महाभारत की बात हो और अर्जुन के बिना बात पूरी हो जाए, ऐसा नहीं हो सकता. यदि आपसे पूछा जाए कि अर्जुन की ससुराल कहां पर थी? क्या आप इसका जवाब दे पाएंगे.
दरअसल अर्जुन की कई पत्नियां थीं. इनमें से एक श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा थी, इसलिए यह तय है कि अर्जुन की एक ससुराल मथुरा-वृंदावन में थी.
इसके अलावा अर्जुन की एक पत्नी चित्रांगदा भी थी, जो मणिपुर की राजकुमारी थीं यानी भारत का यह उत्तर पूर्वी राज्य भी महाभारत के इस वीर की ससुराल था.
दरअसल पांडवों ने जब इंद्रप्रस्थ राज्य बनाया था तो अर्जुन मैत्री संदेश लेकर युधिष्ठिर की तरफ से मणिपुर भेजे गए थे. वहां की राजकुमारी चित्रांगदा ने उन्हें देखा और मोहित हो गई.
चित्रांगदा ने अर्जुन से विवाह करने की इच्छा अपने पिता के सामने जताई. इस पर राजा ने मैत्री के बदले अर्जुन के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा.
मणिपुर के राजा की एक शर्त थी कि अर्जुन और चित्रांगदा का पुत्र या पुत्री, जो भी संतान होगी, वो मणिपुर में ही रहेगी और राजा के बाद राज्य की उत्तराधिकारी बनेगी.
अर्जुन-चित्रांगदा का विवाह हो गया. दोनों का एक पुत्र पैदा हुआ, जिसका नाम बभ्रुवाहन था, जो बाद में मणिपुर का राजा बना
महाभारत युद्ध के बाद युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ का घोड़ा मणिपुर पहुंचने पर बभ्रुवाहन ने ही अर्जुन के साथ युद्ध किया था, जिसमें उन्होंने मां गंगा के दिए बाण से अर्जुन को मार दिया था.
बभ्रुवाहन को उस समय अर्जुन के अपना पिता होने की जानकारी नहीं थी. बाद में चित्रांगदा ने अर्जुन की एक अन्य पत्नी उलूपी से उन्हें जिंदा करने की प्रार्थना की, जो नागकन्या होने के कारण नागमणि रखती थीं.
उलूपी ने नागमणि की मदद से अर्जुन को दोबारा जिंदा कर दिया. इसके बाद अर्जुन और बभ्रुवाहन की मुलाकात हुई. बभ्रुवाहन के वंशजों ने ही इसके बाद मणिपुर पर लंबे समय तक राज किया था.
मणिपुर का मौजूदा मैतेई समुदाय खुद को बभ्रुवाहन का ही वंशज मानता है. इस कारण वे अपने आप को अर्जुन की संतान कहकर भी पुकारते हैं.