Aug 16, 2024, 02:08 PM IST

एक बटन दबाने के लिए मिल रही ढाई करोड़ रुपये सैलरी

Kuldeep Panwar

यदि आपको हर महीने 2.5 करोड़ रुपये की सैलरी वाली नौकरी का ऑफर मिले तो आप ये जरूर जानना चाहेंगे कि आपको करना क्या है.

काम पूछने पर यदि कोई आपको कहे कि बस दिन में दो बार एक स्विच को ऑन-ऑफ करना है तो आप जरूर उसे पागल कहकर हंस देंगे.

लेकिन एक जगह वास्तव में ऐसी नौकरी मिल रही है, जिसमें सालाना 30 करोड़ रुपये का वेतन ऑफर करने पर भी उम्मीदवार नहीं मिल रहा है.

चलिए हम आपको बताते हैं कि वो नौकरी क्या है. दरअसल यह नौकरी दुनिया के सबसे पहले लाइटहाउस पर 24 घंटे मौजूद रहने की है.

यह लाइटहाउस मिस्र के अलेक्‍जेंड्रिया बंदरगाह के करीब फारोस नाम के द्वीप पर है, जिसे लाइटहाउस ऑफ अलेक्‍जेंड्रिया कहकर बुलाते हैं.

इस लाइटहाउस पर कीपर की पोस्ट खाली है, जिसे पूरा दिन बस यह निगरानी करनी है कि वहां की लाइट कभी बंद नहीं होनी चाहिए.

इस नौकरी में बाकी कोई काम नहीं होता और ना ही बॉस फोन पर हिसाब-किताब मांगता है. मछली पकड़िए, स्विमिंग कीजिए और मौज लीजिए.

मजे की बात ये है कि इतने छोटे से काम को करने के लिए भी कैंडीडेट नहीं मिल पा रहे हैं. इस 'आरामदायक' काम में किसी की दिलचस्पी नहीं है.

दरअसल बेहद आरामदायक लगने वाली ये नौकरी बहुत कठिन है, क्योंकि लाइटहाउस पर 24 घंटे अकेले ही रहकर समय काटना होता है.

समुद्र के बीच में बने होने के कारण लाइटहाउस पर खतरनाक समुद्री चक्रवातों से भी सामना होता है, जो कई बार जानलेवा साबित होते हैं.

इस खतरे के बावजूद लाइटहाउस पर किसी की मौजूदगी इसलिए जरूरी है, क्योंकि यह इलाका खतरनाक चट्टानों से भरा हुआ है, जो जहाजों को तोड़ सकती हैं.

यह लाइटहाउस मशहूर नाविक कैप्टन मेरेसियस ने अपने जहाज के यहां टूटने और क्रू के मरने पर मिस्र के शासक से आग्रह करके बनवाया था.

मिस्र के आर्किटेक्ट ने बेहद मेहनत से इसे बनाया, जिसे 'द फेरोस ऑफ अलेक्‍जेंड्रिया' का नाम दिया गया. इसे आर्किटेक्चर का अद्भुत नमूना माना जाता है.

इस लाइटहाउस में शुरुआती दिनों में लकड़ियों से आग जलाकर रोशनी को बड़े लैंस से फैलाया जाता था, ताकि वो दूर से ही दिखाई दे सके.

दुनिया के इस पहले लाइटहाउस को अद्भुत आविष्कार माना गया और फिर हर जगह समुद्री किनारों की खतरनाक जगहों पर लाइटहाउस  बनाए जाने लगे थे.