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Russia-Ukraine War में साइबर स्कैम की भी काली छाया, क्रिप्टो में दान के नाम पर ठगे जा रहे लोग

रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष को 27 दिन हो चुके हैं लेकिन अब तक शांति के आसार नहीं दिख रहे हैं. इस युद्ध के दौरान साइबर अटैक भी हो रहे हैं.

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Russia-Ukraine War में साइबर स्कैम की भी काली छाया, क्रिप्टो में दान के नाम पर ठगे जा रहे लोग
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डीएनए हिंदी: रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष का नुकसान कई क्षेत्रों में दिख रहा है. इस संघर्ष के बीच साइबर स्कैम और साइबर अटैक के खतरे भी बढ़ गए हैं. यूक्रेन के लिए सहयोग राशि दान करने के झूठे विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं. इन विज्ञापनों में क्रिप्टोकरेंसी के जरिए दान करने को कहा जा रहा है. साइबर सिक्यॉरिटी फर्म और एक्सपर्ट ने इन झूठे विज्ञापनों को लेकर वॉर्निंग जारी की है. साइबर सुरक्षा एक्सपर्ट्स ने लोगों से इनके जाल में नहीं फंसने की ताकीद की है. 

रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद डार्क वेब की जरूरत बढ़ी
इंटरनेट पर मौजूद जानकारियों के भंडार तक हर आम उपयोगकर्ता की पहुंच नहीं होती है. डार्क वेब एक ऐसी सुविधा है जहां तक सभी आम उपयोगकर्ताओं की पहुंच नहीं होती है. पिछले महीने रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से डार्क वेब की महत्ता काफी बढ़ गई है. दुनिया की कई मीडिया हाउस ने रूस पर बैन लगाया है. रूस ने भी कई मीडिया संस्थानों पर पाबंदी लगाई है जिसकी वजह से आम नागरिक सीमित मात्रा में ही समाचार पा रहे हैं. इसे देखते हुए ट्विटर ने भी डार्क वेब सुविधा लॉन्च की है ताकि सेंसरशिप के बीच यूजर्स की निजता की रक्षा हो सके. 

डार्क वेब पर आसान है साइबर स्कैम
रूस और यूक्रेन संघर्ष के बीच क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर लोगों को ठगने की वारदात होना कई आश्चर्यजनक बात नहीं है. युद्ध प्रभावित देश के लिए लोगों की सहानुभूति का फायदा उठाकर डार्क वेब पर ऐसे स्कैम किए जा रहे हैं. डार्क वेब पर पहले भी कई बार ऐसी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दिया गया है. इनमें क्रेडिट कार्ड चुराने से लेकर ड्रग्स के लेन-देन के मामले भी शामिल हैं.कोविड महामारी के दौरान भी डार्क वेब पर ऐसे कई भ्रामक विज्ञापन दिखाए गए थे जिनमें लोगों से मदद की अपील की गई थी.

गलत संदर्भों के साथ शेयर की जा रही झूठी कहानियां
डार्क वेब पर यूक्रेन के लिए भी भ्रामक विज्ञापनों की भरमार दिख रही हैं जिनमें मदद के लिए लोगों से दान की अपील की जा रही है. ऐसा ही एक विज्ञापन दिखाया गया था जिसमें मां और बच्चे थे. हालांकि, बाद में जांच-पड़ताल के बाद पता चला कि यह तस्वीर गलत संदर्भ के साथ पेश की जा रही है. जांच के बाद पता चला कि तस्वीर जर्मन अखबार में किसी और संदर्भ के साथ छपी थी.

कुछ मदद कैंपेन भी चल रहे हैं
शोधकर्ताओं का कहना है कि कुछ ऐसे मदद की अपील और कोशिशें भी हो रही हैं जो पूरी तरह से सही हैं और वहां जमा होने वाली राशि का इस्तेमाल यूक्रेन में किया जा रहा है. इस तरह की सेवाओं के जरिए यूक्रेन की मदद की कोशिश हो रही है. इसमें कई अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ और संस्थाएं शामिल हैं. इन कैंपेन के जरिए अब तक $9 मिलियन की राशि जमा भी की गई है.

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