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Gujarat Election 2022: क्या है TLC प्लान, जिससे गुजरात में विद्रोह रोक रहे अमित शाह

Gujarat Election 2022 के दौरान टिकट कटने या प्रत्याशी नहीं बनाने पर नाराज होकर भाजपा का दामन छोड़ने वालों की संख्या बढ़ी है.

Gujarat Election 2022: क्या है TLC प्लान, जिससे गुजरात में विद्रोह रोक रहे अमित शाह
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डीएनए हिंदी: गुजरात में विधानसभा चुनावों (Gujarat Election 2022) के दौरान स्थानीय नेताओं के प्रदर्शनों और विद्रोही रुख दिखाने से परेशान भाजपा अब 'TLC प्लान' पर चलेगी. यह प्लान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने तैयार किया है. गुजरात चुनाव शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दोनों के लिए अहम हैं, क्योंकि यह उनका गृह राज्य है. मीडिया रिपोर्ट्स में पार्टी सूत्रों के हवाले से मंगलवार को बताया गया है कि शाह ने विद्रोही नेताओं को मनाने के लिए 'लव एंड कंपेशन' रुख का इस्तेमाल करने की सलाह दी है. साथ ही हर असंतुष्ट नेता से 'वन-ऑन-वन' बातचीत करने के लिए कहा गया है. शाह ने यह निर्देश सोमवार को हुई उस घटना के बाद दिए हैं, जिसमें गांधीनगर (Gandhinagar) में भाजपा मुख्यालय 'कमलम' पर कुछ सीटों के टिकट बंटवारे से असंतुष्ट भाजपा नेताओं ने हंगामा किया था.

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अब तक 38 विधायकों के कट चुके हैं टिकट

गुजरात में 1 और 5 दिसंबर को मतदान होना है. इसके लिए अब तक भाजपा ने 182 सीटों में से 160 पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. अब तक जारी हुई सूची में 38 पूर्व विधायकों के टिकट काटे गए हैं, जिनमें कुछ कई-कई बार विधायक रह चुके हैं. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी (Vijay Rupani) और पूर्व डिप्टी सीएम नितिन पटेल (Nitin Patel) भी चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं. 

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माना जा रहा है कि इन्हें भी पार्टी हाईकमान की तरफ से ही टिकट काटने की बात कहकर यह घोषणा करने के लिए तैयार किया गया है. गुजरात में करीब 27 साल से लगातार सत्ताधारी पार्टी ने यह कवायद सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए की है, लेकिन टिकट कटने वालों में से बहुत सारे नाराज होकर विद्रोही हो गए हैं.

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TLC क्या है, जिसे अब भाजपा यूज कर रही

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, अमित शाह ने पार्टी को इन विद्रोहियों से निपटने के लिए TLC यानी 'हमदर्दी, प्यार और देखभाल (tender loving care)' फार्मूले का इस्तेमाल करने की सलाह दी है. पार्टी पिछले कुछ दिन से इसका इस्तेमाल कर भी रही है. इसके लिए राज्य के नेताओं की एक टीम भी बनाई गई है. हालांकि अब तक इसका असर नहीं दिखा है. राज्य के गृह मंत्री हर्ष सांघवी (Harsh Sanghvi) ने करीब 4 विद्रोही नेताओं से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. 

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अब शाह ने खुद संभाली है कमान

रिपोर्ट में कहा गया है कि अब अमित शाह ने खुद राज्य में पार्टी के अंदर तकरार थामने का बीड़ा संभाला है. शाह रविवार से राज्य में ही हैं. सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने राज्य के टॉप नेताओं के साथ एक हाईलेवल मीटिंग की है. करीब 5 घंटे तक चली मीटिंग में विद्रोहियों के साथ सुलह की योजना पर चर्चा की गई है. सूत्रों के मुताबिक, मीटिंग में शाह ने कहा कि विद्रोही लंबे समय से भाजपा परिवार का हिस्सा हैं. उनके साथ प्यार और करुणा से बात की जाए. 

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गुजरात भाजपा में पहली बार ऐसा विद्रोह

रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा के एक टॉप लीडर ने नाम छिपाने की शर्त पर कहा कि गुजरात में पार्टी पहली बार इस तरह का विद्रोह देख रही है और इससे तत्काल निपटने की जरूरत है. विद्रोहियों के गुस्से का अंदाजा 6 बार विधायक रह चुके मधुभाई श्रीवास्तव के बयान से लगाया जा सकता है, जिन्होंने सोमवार को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव में उतरने की घोषणा की. साथ ही कहा कि उन्होंने 25 साल पहले नरेंद्र मोदी और अमित शाह के जोर देने पर भाजपा जॉइन की थी, जिसका उन्हें आज बेहद अफसोस है.

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पिछले चुनाव में यह रहा था परिणाम

साल 2017 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 99 सीट जीती थी, जबकि कांग्रेस को 77 सीट मिली थी. हालांकि बाद में कांग्रेस में टूटफूट और इस्तीफों के चलते भाजपा की संख्या कार्यकाल खत्म होने तक 111 पर पहुंच चुकी थी. भाजपा के लिए इस प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है, क्योंकि आम आदमी पार्टी (AAP) के आने से बने इलेक्शन ट्राएंगल और सत्ता विरोधी लहर का नुकसान भाजपा को होने की संभावना जताई जा रही है.

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