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देश में लंबे समय तक रह सकती है महंगाई: आरबीआई गवर्नर

आरबीआई गवर्नर के अनुसार, विकसित देशों में महंगाई का टारगेट 2 फीसदी  है, जबकि मौजूदा समय में महंगाई की दर 6 या 7 या 8 फीसदी  पर देखने को मिल रही है. 

देश में लंबे समय तक रह सकती है महंगाई: आरबीआई गवर्नर

RBI governor shaktikanta das

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डीएनए हिंदी: आरबीआई गवर्नर  शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने साफ संकेत दे दिए हैं कि उनका पूरा फोकस महंगाई (Inflation) को कम करने में है. जिसपर तेजी के साथ काम किया जा रहा है. उन्होंने ईटी को दिए इंटरव्यू में कहा कि जिस तरह के हालात देखने को मिल रहे हैं, उससे नहीं लगता है कि महंगाई कुछ समय में खत्म होने वाली है. इसके लंबे समय तक बने रहने के आसार दिखाई दे रहे हैं.  वहीं उन्होंने य​ह बात भी जोर देकर कही कि देश में महंगाई दुनिया के बाकी विकसित देशों के मुकाबले कंट्रोल में हैं. 

महंगाई बनी रह सकती है 
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि जियो पॉलिटिकल ग्राउंड में अभी कोई पॉजिटिव नोट देखने को नहीं मिल रहे हैं. कोविड की स्थिति बेहतर है, लेकिन कुछ देश अभी भी गंभीर परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं. काफी अनिश्चितताएं हैं. स्थिति किसी भी दिशा में आगे बढ़ सकती है. जिसकी वजह से ऐसा लग रहा है कि महंगाई कुछ और समय तक बनी रहेगी. उन्होंने कहा कि दुनिया के प्रत्येक केंद्रीय बैंक को स्थानीय स्थिति के आधार पर अपना फैसला लेना होता है. 

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विकसित देशों के मुकाबले बेहतर है भारत की स्थिति 
वहीं उन्होंने इस बात पर भी जोर देते हुए कहा कि भारत में महंगाई की स्थिति दुनिया के विकसित देशों के मुकाबले काफी बेहतर स्थिति में है. विकसित देशों में महंगाई का टारगेट 2 फीसदी  है, जबकि मौजूदा समय में महंगाई की दर 6 या 7 या 8 फीसदी  पर देखने को मिल रही है. विकसित देशों के लिए यह बड़ी चिंता का विषय है. भारत में महंगाई टॉलरेंस लेवल 6 फीसदी के मुकाबले 7.8 फीसदी है. आंकड़ों में साफ जाहिर है कि भारत की स्थिति बेहतर है. विकास के मोर्चे पर भी, भारत के अभी भी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होने की संभावना है.

क्यों बढ़ रही है महंगाई 
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि यूरोप में मौजूदा युद्ध को महंगाई को कायम रखा हुआ है. उन्होंने साफ है कि महंगाई अभी सप्लाई बाधा के कारण है. उन्होंने आगे कहा कि कुछ वैश्विक कारक हैं जो किसी एक देश के नियंत्रण में नहीं हैं. जब कोविड की बात आई तो सहयोग मिला. आज हम नहीं जानते कि देश किस दिशा में जा रहे हैं. इसलिए महंगाई लगातार बनी हुई है. युद्ध के लंबे समय तक चलने की संभावना है, इसलिए केंद्रीय बैंकों को कार्रवाई करनी होगी. भारत में, हम प्री कोविड लेवल पर लौट आए हैं. मांग में सुधार और निजी खपत के स्पष्ट संकेत हैं. निजी निवेश में तेजी के भी संकेत हैं. लेकिन महंगाई पर लगाम लगाना ज्यादा जरूरी है, नहीं तो यह नियंत्रण से बाहर हो जाएगी.

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एमपीसी तय करेगा कितना होगा इजाफा 
रिजर्व बैंक के गर्वनर ने साफ किया कि मौजूदा समय में वो नहीं बता सकते हैं कि जून में होने वाली एमपीसी की बैठक में कितना इजाफा होगा. यह बैठक में फैसला लिया जाएगा. अगर जरुरत पड़ी तो वोटिंग भी होगी. आरबीआई एमपीसी जो भी फैसला लेगा वो काफी संतुलित होगा. उन्होंने कहा कि हमारा फोकस महंगाई पर लगाम लगाने पर है. ऐसा करते हुए, हम विकास को लिस्ट से बाहर नहीं कर सकते. तमाम केंद्रीय बैंक भी अपने घरेलू हालात को लेकर ऐसा ही रुख अपनाने की कोशिश कर रहे हैं. आपको बता दें कि आरबीआई ने एमपीसी की बैठक रेपो दरों में 40 बेसिस प्वाइंट का इजाफा कर दिया था. जिसके बाद दरें 4.40 फीसदी हो गई थी. जानकारों की मानें तो अगली मीटिंग में रेपो दरें 5 फीसदी से ज्यादा हो सकती हैं. 

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