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Vivo Mobile के CEO, CFO समेत तीन और टॉप अफसर गिरफ्तार, ED की मनी लॉन्ड्रिंग केस में बड़ी कार्रवाई

Vivo Money Laundering Case: वीवो-इंडिया पर आरोप है कि उसने भारत में कमाई करने के बाद अवैध तरीके से 62 हजार करोड़ रुपये की रकम चीन ट्रांसफर कर दी. यह काम भारत में टैक्स से बचने के लिए किया गया.

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डीएनए हिंदी: Vivo Mobile Latest News- भारत में कमाई कर 62 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम अवैध तरीके से चीन भेजने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने वीवो-इंडिया के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. चीन की स्मार्टफोन निर्माता कंपनी के खिलाफ चल रही मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के सिलसिले में ED ने उसके तीन टॉप ऑफिसर गिरफ्तार कर लिए हैं. ED के ऑफिशियल सोर्सेज के हवाले से भाषा ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. सूत्रों ने बताया कि ED ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों के तहत वीवो-इंडिया के अंतरिम CEO होंग शुक्वान उर्फ ​​टेरी, CFO हरिंदर दहिया और सलाहकार हेमंत मुंजाल को हिरासत में लिया है. उन्होंने बताया कि तीनों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्होंने तीन दिन के रिमांड पर ईडी को सौंप दिया गया है.

वीवो ने बताया इसे उत्पीड़न वाली कार्रवाई

वीवो-इंडिया ने अपने टॉप ऑफिसर्स की गिरफ्तारी पर एक बयान जारी किया है. कंपनी ने कहा, वह अपने अधिकारियों के खिलाफ मौजूदा कार्रवाई से बेहद चिंतित है. ये गिरफ्तारियां निरंतर उत्पीड़न को दिखा रही हैं, जिनसे पूरे औद्योगिक परिदृश्य में अनिश्चितता का माहौल पैदा हो रहा है. कंपनी ने कहा, हम अपने खिलाफ लगे आरोपों का मुकाबला करने और चुनौती देने के लिए सभी कानूनी रास्तों का उपयोग करने के लिए दृढ़ हैं.

पहले भी चार लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है ED

ED इससे पहले भी इस मामले  में चार लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. इनमें एक अन्य मोबाइल फोन निर्माता कंपनी लावा इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक हरिओम राय, चीनी नागरिक गुआंगवेन उर्फ ​​एंड्रयू कुआंग, चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन गर्ग और राजन मलिक शामिल हैं. ये चारों फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं. ईडी ने इन लोगों के खिलाफ हाल ही में दिल्ली की एक विशेष PMLA कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी, जिस पर अदालत ने संज्ञान लिया है. विशेष न्यायाधीश किरण गुप्ता ने 19 फरवरी को आरोपी को तलब किया है.

ईडी ने लगाया है भारत को आर्थिक नुकसान पहुंचाने का आरोप

ईडी चारों आरोपियों के खिलाफ अदालत में पेश दस्तावेज में दावा किया था कि इनकी कथित गतिविधियों से वीवो-इंडिया को गलत तरीके से लाभ मिला, जिससे भारत को आर्थिक नुकसान हुआ है. ईडी ने पिछले साल जुलाई में वीवो-इंडिया और उससे जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई की थी. एजेंसी ने चीनी नागरिकों और कई भारतीय कंपनियों से जुड़े एक बड़े मनीलॉन्ड्रिंग रैकेट का भंडाफोड़ करने का दावा किया था. ईडी ने तब आरोप लगाया था कि भारत में टैक्स देने से बचने के लिए वीवो-इंडिया ने 62,476 करोड़ रुपये ‘अवैध रूप से’ चीन हस्तांतरित किए थे. 

शैल कंपनियों का किया गया है इस्तेमाल

ईडी ने वीवो-इंडिया की एक सहयोगी कंपनी, ग्रैंड प्रॉस्पेक्ट इंटरनेशनल कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड (GPICPL), इसके निदेशक, शेयरधारक और कुछ अन्य प्रोफेशनल्स के खिलाफ दिसंबर 2022 की दिल्ली पुलिस की प्राथमिकी के आधार पर तीन फरवरी को एक प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ECIR) दर्ज की थी. कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को दी शिकायत में आरोप लगाया गया था कि GPICPL और उसके शेयरधारकों ने दिसंबर 2014 में कंपनी के गठन के समय ‘जाली’ पहचान दस्तावेजों और ‘गलत’ पते का इस्तेमाल किया था. इस कंपनी का पंजीकृत पता हिमाचल प्रदेश के सोलन, गुजरात के गांधीनगर और जम्मू में है. यह एक तरीके से शैल कंपनी (मुखौटा कंपनी) है. 

23 फर्जी कंपनियों के जरिये वीवो-इंडिया को दिया पैसा

प्रमुख चीनी कंपनी के खिलाफ यह कार्रवाई तब हुई, जब ईडी की जांच में यह सामने आया कि 2018 से 2021 के बीच भारत छोड़ चुके तीन चीनी नागरिकों और वहां (चीन के) के एक अन्य व्यक्ति ने भारत में 23 कंपनियां बनाई हैं. इनमें कथित तौर पर चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन गर्ग ने मदद की थी. ईडी ने दावा किया कि जांच में पाया गया कि भारत में स्थापित इन 23 कंपनियों ने वीवो इंडिया को भारी मात्रा में धन हस्तांतरित किया था. इसके अलावा, 1,25,185 करोड़ रुपये की कुल बिक्री आय में से, वीवो इंडिया ने 62,476 करोड़ रुपये या कारोबार का लगभग 50 प्रतिशत भारत से बाहर, मुख्य रूप से चीन को भेज दिया ताकि उसे टैक्स की देनदारी ना उठानी पड़े.

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