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Chandrayaan 3 Launch Date: जुलाई में ISRO की चांद फतेह करने की तैयारी, जानिए क्या है भारत का चंद्रयान-3 मिशन

ISRO Chandrayaan 3 Updates: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने बताया है कि चंद्रयान-3 को 12 जुलाई के बाद कभी भी लॉन्च किया जा सकता है. हालांकि पहले यह मिशन 3 जुलाई की लॉन्च विंडो में भेजने की तैयारी की जा रही थी.

Chandrayaan 3 Launch Date: जुलाई में ISRO की चांद फतेह करने की तैया��री, जानिए क्या है भारत का चंद्रयान-3 मिशन

India Moon Mission: इसरो चीफ ने कहा है कि चंद्रयान-3 को 12 जुलाई की लॉन्च विंडो में रवाना किया जाएगा.

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डीएनए हिंदी: Chandrayaan 3 News- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने सबसे अहम और महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के लॉन्च की पूरी तैयारी कर ली है. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पर चंद्रयान-3 पहुंच चुका है और अब उसके इंटिग्रेशन की प्रोसेस शुरू की जा रही है. इसरो ने चंद्रयान-3 की एक सप्ताह लंबी लॉन्च विंडो 12 जुलाई से तय की है यानी इसे जुलाई में ही अंतरिक्ष में भेज दिया जाएगा. हालांकि पहले इसे 3 जुलाई कि लॉन्च विंडो में भेजने की तैयारी थी, लेकिन उस दौरान रूस के भी मून लैंडर मिशन की लॉन्च डेट टकराने के कारण भारत ने इसे अब थोड़ा लेट कर दिया है.

फिलहाल चल रहा है लैंडर की जांच का काम

इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग डेट जुलाई में होने की पुष्टि की है. उन्होंने स्पेसक्रॉफ्ट मिशन ऑपरेशंस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन से इतर मीडिया से बातचीत में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा, फिलहाल चंद्रयान-3 के प्रणोदक मॉड्यूल और रोवर के साथ लैंडर की जांच की जा रही है. इस जांच के खत्म होते ही चंद्रयान-3 और एलवीएम-3 का इंटीग्रेशन शुरू कर दिया जाएगा. इसके बाद मिशन लॉन्च किया जाएगा. 

मिशन की सफलता के साथ ही इतिहास रच देगा भारत

भारत चंद्रयान को चंद्रमा पर उतारने में सफल रहा तो वह इतिहास रच देगा. ऐसा करने पर वह दुनिया का महज चौथा देश होगा, जिसने चंद्रयान को सफलतापूर्वक चांद पर लैंड किया है. इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन ने ऐसा किया है. भारत ने इससे पहले 22 जुलाई, 2019 को भी चंद्रयान-2 के जरिए यह कोशिश की थी, लेकिन तब चंद्रयान का लैंडर विक्रम लैंडिंग साइट से महज 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर संपर्क टूटने के कारण एक्सीडेंट का शिकार हो गया था और चंद्रयान का 47 दिन का सफर बेकार हो गया था.

चंद्रयान-2 के रास्ते से ही जाएगा चंद्रयान-3

इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 को भी उसी रास्ते से चांद पर भेजा जा रहा है, जो चंद्रयान-2 का था. लैंडिंग साइट भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पुरानी ही रखी गई है. इस बार ऑर्बिटर नहीं होने से क्रैश होने का खतरा कम है. चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पहले से ही चांद का चक्कर लगा रहा है, इसलिए चंद्रयान-3 को उसी से कनेक्ट किया जाएगा. इसरो चीफ सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन असफल रहा था, लेकिन हमने उससे सीख ली है और आगे बढ़े हैं. चंद्रयान-3 की सफलता से हम इतिहास बनाएंगे. यह भारत के लोगों को गौरवान्वित करने वाला मिशन है. 

क्या है चंद्रयान-3 मिशन और क्यों है अहम

आप समझ ही चुके होंगे कि चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही अगला पार्ट है. इसे पहले के मुकाबल ज्यादा हैवी लॉन्च व्हीकल GSLV Mk-3 से लॉन्च किया जा रहा है, जिसे 'बाहुबली' भी कहा जाता है. यह देश का सबसे हैवी लॉन्च व्हीकल है. इसे भेजने का मकसद पृथ्वी से इतर किसी दूसरी जगह पर अपने यान की 'सॉफ्ट लैंडिंग' कराने की क्षमता हासिल करना है, जो अब तक तीन देशों के ही पास है. इससे भारत चंद्रमा के वातावरण में सुरक्षित लैंडिंग और रोविंग की एंड-टू-एंड कैपेबिल्टी का प्रदर्शन करेगा. यह मिशन अंतरिक्ष में पहली बार अपने दम पर किसी भारतीय इंसान को भेजने के मिशन की क्षमता को मजबूत करेगा. भारत ने साल 2024 में गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) के जरिए पहली बार अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने की तैयारी की है. 

चांद की सतह की स्टडी का मिलेगा मौका

चंद्रयान-3 मिशन अपने साथ कई वैज्ञानिक उपकरण लेकर जाएगा, जो लैंडिंग साइट के आसपास के एरिया में चंद्रमा की चट्टानी सतह की परत (lunar regolith), चंद्रमा के भूकंप और चंद्र सतह प्लाज्मा और मौलिक संरचना की थर्मल-फिजिकल प्रॉपर्टीज की स्टडी में मदद करेंगे. इससे भारतीय वैज्ञानिकों को आने वाले समय में चांद पर इंसानों को बसाने की तकनीक तैयार करने में मदद मिलेगी.

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