डीएनए एक्सप्लेनर
Pakistan Political Crisis Updates: पाकिस्तान में कब किस राजनेता की ताकत छीन ली जाए और कब दर-दर का भिखारी बन चुका राजनेता दोबारा राजा बन जाए, यह सब सेना के इशारे पर होता रहा है. नवाज शरीफ की वापसी भी इसी का उदाहरण है.
डीएनए हिंदी: Pakistan Latest News- पाकिस्तान में भले ही कोई भी राजनेता खुद को राजनीति का धुरंधर मानता रहा हो, लेकिन 1947 से आज तक वहां का कड़वा सच यही रहा है कि वहां राजनीति से लेकर कूटनीति तक, सबकुछ सेना की मर्जी से ही तय होती रही है. इसके चलते पाकिस्तान में लोकतंत्र कभी भी संकट से परे नहीं रहा है. जब भी कोई राजनेता खुद को लोकनेता समझकर सेना के पट्टे से गर्दन निकालने की चेष्टा करने लगता है, तभी उसके करियर का डाउनफॉल शुरू हो जाता है. कब कौन नेता राजा से रंक बन जाएगा और कब दर-दर की ठोकरें खा रहा कोई नेता अचानक फिर से राजा बन जाएगा, यह सब सैन्य मुख्यालय में ही तय होता रहा है. इसके चलते पाकिस्तान की राजनीति जिस उथल-पुथल से गुजरती रही है. अब एक बार फिर वहीं दौर शुरू होता दिख रहा है. इस बार Gamechanger बनकर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, मैदान में फिर से उतर आए हैं. पिछले करीब 5 वर्षों से वो अपने देश से दूर, लंदन में निर्वासित जीवन बिता रहे थे, लेकिन अचानक से पाकिस्तान के हालात बदले हैं, पाकिस्तानी सेना के जज्बात बदले हैं, और वो लंदन से लौट आए हैं.
ये तो तय था कि छोटे भाई शहबाज़ के प्रधानमंत्री रहते हुए, नवाज शरीफ पाकिस्तान में वापसी करेंगे, लेकिन ये सब इतनी जल्दी होगा, इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. नवाज शरीफ के पाकिस्तान पहुंचने के साथ ही, उनपर रहमतों की बरसात हो रही है. पाकिस्तानी सेना के इशारे पर डमी लोकतंत्र का पूरा सिस्टम, नवाज शरीफ को ईमानदार बनाने पर तुल गया है. नवाज शरीफ की सत्ता जिन मुकदमों की वजह से गई थी, अब पूरा डमी लोकतंत्र, उन मुकदमों को धीरे-धीरे खारिज करता जा रहा है और सिर्फ यही नहीं, पाकिस्तानी सेना ने नवाज के लिए Red Carpet बिछाते हुए, इमरान खान की राह मुश्किल कर दी है.
पहली रैली में दिख गई शरीफ की धमक
नवाज शरीफ 21 अक्टूबर को पाकिस्तान लौटे थे. यहां लौटने के तत्काल बाद उन्होंने सीधे लाहौर पहुंचकर एक बड़ी रैली की. हजारों की संख्या में लोग इस रैली में शामिल थे. इस रैली में नवाज शरीफ की बेटी मरियम तो थीं ही, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और नवाज के छोटे भाई शहबाज शरीफ भी थे. इस रैली के जरिए नवाज शरीफ ने अपने लौटने की धमक दिखाई थी. रैली के स्टेज पर परिवार का मिलना, और जनता के बीच नवाज शरीफ की शेर ओ शायरी से भरा भाषण, कई तरह के संकेत दे रहा था.
नवाज शरीफ के भाषण में मुख्य रूप से तीन बातें थीं.
सेना ने कैसे आसान बनाई है नवाज की वापसी
नवाज की वापसी तभी पक्की हो गई थी, जब उनके भाई शहबाज शरीफ ने पिछले वर्ष पाकिस्तान की सत्ता संभाली थी. नवाज का स्वागत भी जोरदार किया गया. नवाज का स्वागत केवल उनके परिवार या पार्टी ने ही नहीं किया, बल्कि पाकिस्तानी सेना ने अपने तरीके से उनको स्वागत के फूल पेश किए.
मुकदमे और सज़ा खारिज कराना ही पाकिस्तानी सेना के स्वागत का तरीका है. हम इसके बारे में भी आपको आगे बताएंगे. लेकिन उससे पहले आपको ये जानना जरूरी है कि नवाज शरीफ की जिंदगी में सत्ता जाना, देश से बाहर चले जाना और फिर लौट आना, नई बात नहीं है. नवाज शरीफ की जिंदगी में ऐसा दूसरी बार हो रहा है, जब वो कई वर्ष तक, अपने देश से बाहर रहने के लिए मजबूर किए गए हों.
शरीफ के सत्ता में आने जाने का सफर
शरीफ क्यों नहीं पूरा कर पाए एक भी कार्यकाल?
सेना का खेल, शरीफ किए आउट और इमरान को दी बैटिंग
पाकिस्तानी सेना का समर्थन पाकर इमरान खान, सत्ता में आ गए. इसके उलट नवाज शरीफ पाकिस्तानी सेना का साथ खो चुके थे. इससे उन्होंने मुसीबत बुला ली थी. नवाज शरीफ पर कई मुकदमे दर्ज किए गए थे, कुछ मामलों में उनको दोषी मानकर सज़ा भी सुना दी गई थी. नवाज शरीफ को गिरफ्तारी और फिर जेल भेज दिए जाने का डर था. ऐसे में नवंबर 2019 में नवाज शरीफ ने सज़ा से बचने के लिए कोर्ट में अपनी गिरती सेहत का हवाला दिया। उन्होंने अपनी बीमारी के इलाज के लिए विदेश जाने की इजाज़त मांगी थी. कोर्ट ने उन्हें 4 हफ्ते की इजाजत दी थी.
कोर्ट से मिली अनुमति, नवाज शरीफ के लिए Immunity Pass की तरह थी. वो मिलने के बाद नवाज पाकिस्तान से निकलने में कामयाब रहे. अगर वो पाकिस्तान में रहते तो उन्हें अपनी बाकी जिंदगी जेल में ही बितानी पड़ती. वर्ष 2017 में एक बार जब वो पाकिस्तान से निकले तो 2023 अक्टूबर से पहले लौटकर नहीं आए. अब आएं हैं तो माना जा रहा है कि इसमें पाकिस्तानी सेना की तरफ से मिली हरी झंडी का हाथ है.
इमरान से बिगड़ी तो सेना ने उन्हें किया आउट
वर्ष 2017 में जो नवाज शरीफ के साथ हुआ था, वही 2022 में इमरान खान के साथ हो गया. कहा जाता है कि इतिहास अपने आप को दोहराता है. पाकिस्तान की राजनीति में जितनी भी कठपुतलियां हैं, उनकी डोर पाकिस्तानी सेना के हाथ में रहती है. जब नवाज शरीफ और पाकिस्तानी सेना के बीच दिक्कतें आने लगीं, तो सेना ने नवाज शरीफ के सिर से हाथ हटा लिया, और इमरान खान के सिर पर रख दिया था. अब जब इमरान और पाकिस्तानी सेना की जुगलबंदी खराब होने लगी, तो अप्रैल 2022 में इमरान खान की सरकार अविश्वास प्रस्ताव से गिरा दी गई. इमरान खान की सत्ता जाने के बाद पाकिस्तानी सेना के इशारे पर PMLN के नेता और नवाज शरीफ के छोटे भाई, शहबाज शरीफ पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री बने.
हालांकि इमरान खान, नवाज शरीफ की तरह चुप नहीं रहे, ना ही उन्होंने देश छोड़ा बल्कि उन्होंने खुलेआम पाकिस्तानी सेना पर उनकी सत्ता गिराने की साजिश करने का आरोप लगाया. इमरान ने सत्ता जाने के बाद, लगभग अपनी हर रैली में ये कहा कि उनके पास पाकिस्तानी सेना की साजिश से जुड़े सबूत हैं. इमरान का ये भी कहना था कि उनकी सत्ता, अमेरिका के इशारे पर गई है. इमरान का आरोप था कि उनकी सरकार इसलिए गिराई गई, क्योंकि वो रूस के साथ संबंध मजबूत कर रहे थे, और ये बात अमेरिका को पसंद नहीं आई. आरोप था कि अमेरिका के इशारे पर ही पाकिस्तानी सेना ने उनकी सरकार गिरा दी.
इमरान की 'बहादुरी' ही उनके गले उलटी पड़ गई
इमरान खान अपनी रैलियों में अमेरिका और पाकिस्तानी सेना की मिलीभगत से जुड़ा एक पेपर, जनता को दिखाते थे. इस पेपर को लेकर उनका कहना था कि ये सबूत है. दरअसल ये एक Letter था जो अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत असद मजीद ने लिखा था. उस दौरान असद मजीद की मुलाकात अमेरिका के Assistant Secretary of State For South Asia Affairs Donald Lu से हुई थी. इमरान खान के मुताबिक इस मुलाकात के बाद ही पत्र लिखा गया था. पत्र में लिखा गया था कि अमेरिका पाकिस्तान की हर गलती माफ कर देगा, अगर इमरान खान को सत्ता से हटा दिया जाए.
इमरान खान जब अपनी रैलियों में, पेपर लेकर पाकिस्तानी सेना और सरकार को निशाने पर लेने लगे, तब शहबाज शरीफ ने इमरान पर Official Secrets Act के उल्लंघन का मामला दर्ज करवाया. इसको लेकर इमरान खान पर केस चला. इसमें इमरान खान समेत, उनकी पार्टी के Vice Chairman और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को दोषी करार दे दिया गया है. इन दोनों को ही इस मामले में 14 साल की सज़ा हो सकती है.
पाकिस्तान में सेना की हां और ना ही सबकुछ
ये पाकिस्तान की राजनीतिक तासीर है, कि वहां सेना बोलेगी हां, तो हां, सेना बोलेगी ना तो ना. अब आप पाकिस्तानी जनता के लोकतांत्रिक होने के भ्रम की विडंबना देखिए. पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना को आप सुप्रीम पावर मान सकते हैं. पाकिस्तानी सेना को आप कठपुतली मास्टर समझिए. नवाज शरीफ, शहबाज़ शरीफ, इमरान खान, आसिफ अली जरदारी या फिर जितने भी नेता, राजनीतिक पार्टियों से जुड़े रहे हैं, उन्हें आप कठपुतली समझिए. पाकिस्तानी सेना नवाज शरीफ के साथ थी, तो नवाज सत्ता में थे, और बाकी नेता गायब थे. पाकिस्तान सेना इमरान के साथ आई, तो इमरान ने सत्ता पाई, और नवाज पर कई मुकदमे दर्ज किए गए, उन्हें दोषी करार देकर 17 साल की सज़ा सुनाई गई.
पाकिस्तानी सेना की इमरान खान से लड़ाई बढ़ी तो, शहबाज शरीफ सत्ता में आ गए. नवाज की वापसी हो गई, नवाज को धीरे धीरे, मुकदमों से बरी किया जाने लगा, दोष सिद्धी हटाई जाने लगी. वहीं इमरान खान पर मुकदमें दर्ज होने लगे, उन्हें दोषी करार देकर, सज़ा सुनाने की तैयारी होने लगी है यानी पाकिस्तान के लोगों को अगर लोकतांत्रिक देश होने का भ्रम है तो इसमें उनकी कोई गलती नहीं है. पाकिस्तानी सेना ने उन्हें ऐसे मायाजाल में फंसाया हुआ है, जिसमें वो नवाज, इमरान, आसिफ, शहबाज को वोट देकर ये सोचते हैं कि उन्होंने लोकतांत्रिक सरकार चुनी है, जबकि असली सरकार को पाकिस्तानी सेना चला रही है.
सेना के इशारे पर ही मिलने लगे थे नवाज की वापसी के संकेत
अब आप ये सोचिए कि शहबाज शरीफ के सत्ता में आने के बाद से ही नवाज शरीफ ने पाकिस्तान वापसी के संकेत देने शुरू कर दिए थे. आपको क्या लगता है? क्या नवाज शरीफ का पाकिस्तान लौटना, इतना ही आसान था? जिस व्यक्ति पर भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हों, जिसे पाकिस्तान की कोर्ट ने 17 साल की सज़ा सुनाई हो, जिसके चुनाव लड़ने पर कोर्ट ने प्रतिबंध लगा दिया हो. क्या वो पाकिस्तान लौटने की हिम्मत करेगा? क्या उसे नहीं मालूम होगा कि पाकिस्तान लौटते ही उसे गिरफ्तार करके जेल भेज दिया जाएगा. एक लोकतांत्रिक देश में तो ऐसा ही होता है, लेकिन पाकिस्तान एक डमी लोकतंत्र है.
कैसे चली है पाकिस्तान सेना ने अपनी चाल
पाकिस्तानी सेना ने इमरान को हटाने के लिए खास योजना तैयार की थी. योजना के तहत इमरान के खिलाफ माहौल बनाया गया. इमरान खान के खिलाफ कई तरह के केस दर्ज किए गए. अविश्वास प्रस्ताव के जरिए इमरान की सरकार गिराई. नवाज के भाई शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री बनाया गया. फिर इसके बाद नवाज शरीफ के सारे केस हटाए जाने लगे. नवाज शरीफ की वापसी का इंतज़ाम करवाया गया, लेकिन उससे पहले योजना के मुताबिक इमरान पर गिरफ्तारी और जेल जाने की नौबत ला दी गई.
इस तरह से इमरान खान को सत्ता में लाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने जो Modus Operandi अपनाई थी. ठीक वैसी ही Modus Operandi नवाज को सत्ता में वापस लाने के लिए अपनाई जा रही है, जिसमें इमरान को जेल भेजने की हर संभव कोशिश की गई है. पाकिस्तानी जनता को भी ये सोचना चाहिए, कि जिस न्यायिक व्यवस्था ने नवाज शरीफ को दोषी करार दिया था. उसी न्यायिक व्यवस्था ने पहले नवाज शरीफ की गिरफ्तारी पर रोक लगाई और फिर उनकी सज़ा को निलंबित कर दिया. अब नवाज पाकिस्तान में हैं, और उन पर लगे, लगभग हर केस में दोष सिद्धि को धीरे धीरे खारिज किया जा रहा है. हालांकि अभी भी नवाज शरीफ पर चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन PMLN को पूरी उम्मीद है कि कोर्ट ये प्रतिबंध हटा लेगा.
ये बात तो किसी से नहीं छिपी है कि पाकिस्तान में डमी लोकतंत्र है. पाकिस्तान के लोगों को ऐसा लगता है कि उनके यहां लोकतंत्र है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है. पाकिस्तान में लोकतंत्र, और वहम में कोई खास फर्क नहीं है. पाकिस्तान की सत्ता में कोई भी रहे, वो पाकिस्तानी सेना के इशारे पर ही काम करता है.
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