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Karnataka Election 2023: पीएम मोदी को भाया 'बजरंग', क्या यही है चुनाव जीतने का फॉर्मूला?

Karnataka Assembly Election: कांग्रेस ने मेनिफेस्टो में बजरंग दल पर बैन लगाने का वादा किया है. पीएम मोदी ने इसे प्रभु राम और बजरंग बली से जोड़ दिया है. लगातार दूसरे दिन रैली में बजरंगबली के जयकारे लगवाए.

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Karnataka Election 2023: पीएम मोदी को भाया 'बजरंग', क्या यही है चुना�व जीतने का फॉर्मूला?

Karnataka Polls 2023

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डीएनए हिंदी: Karnataka Polls 2023- कर्नाटक विधानसभा चुनाव का प्रचार अब चरम पर है. असली मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है, जबकि JDS मूकदर्शक बना पीछे से दोनों की लड़ाई देख रहा है. प्रचार के दौरान जुबानी मर्यादाएं दोनों ही दलों की तरफ से टूट रही हैं. कांग्रेस ने राज्य में बासवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर शुरुआत की थी, लेकिन बीच में लीक से भटकते हुए उसका प्रचार पीएम मोदी के लिए 'जहरीला सांप' और 'नालायक बेटा' जैसे जुबानी तीरों पर पहुंच गया. माना जा रहा था कि भाजपा यूपी-गुजरात की तरह यहां भी पीएम मोदी के लिए इन बिगड़े बोलों को ही हथियार बनाकर प्रचार करेगी, लेकिन पिछले दो दिन का प्रचार देखा जाए तो लग रहा है कि कांग्रेस ने पीएम मोदी को इससे भी बड़ा मुद्दा दे दिया है. दरअसल पीएम मोदी ने मंगलवार और बुधवार, दोनों दिन अपनी चुनावी रैलियों में जनता का ध्यान बजरंगबली की तरफ ही रखा है, जिसे वे कांग्रेस के मेनिफेस्टो में बजरंग दल पर बैन लगाए जाने के वादे से जोड़ रहे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या पीएम मोदी की यह 'बजरंगी' कोशिश चुनावी जीत का फॉर्मूला बन पाएगी?

कांग्रेस ने क्या वादा किया मेनिफेस्टो में

कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly Election 2023) के लिए मंगलवार को चुनावी घोषणापत्र (Election Manifesto) जारी किया है. इसमें कांग्रेस ने हिंदुत्ववादी संगठन बजरंग दल पर कर्नाटक में प्रतिबंध लगाने का वादा किया है. इसके बाद कांग्रेस की छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सरकारों ने भी अपने यहां बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है. राजस्थान में कांग्रेस के मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने जयपुर में कहा कि बजरंग दल अपराधियों की भर्ती कर रहा है. कर्नाटक और राजस्थान अलग-अलग नहीं हैं. जय श्रीराम के नारे के साथ अपराध करने की छूट नहीं दी जाएगी. 

पीएम मोदी ने ऐसे बनाया मुद्दा

कांग्रेस की बजरंग दल पर बैन की घोषणा के तत्काल बाद ही पीएम मोदी ने रैली में इसे मुद्दा बना लिया था. उन्होंने मंगलवार को रैली में कहा था कि श्रीराम के बाद ये बजरंगबली को भी कैद करना चाहते हैं. इसके बाद उन्होंने बुधवार को भी कर्नाटक में तीन जगह मूडबिदरी, अंकोला और बेलहोंगल में रैलियां कीं. इस दौरान भी उन्होंने बजरंगबली को ही मुद्दा बनाए रखा.

बुधवार को 6 बार लगवाए बजरंग बली के नारे

पीएम मोदी ने बुधवार के प्रचार की शुरुआत मूडबिदरी में रैली से की. यहां उन्होंने शुरुआत ही जनता से तीन बार जय बजरंगबली के नारे लगवाकर की. इसके बाद उन्होंने अपने भाषण का अंत भी बजरंगबली की तीन बार जय-जयकार कराकर किया. जनता ने भी उनके एक बार कहने पर मैदान के हर कोने से नारा लगाकर पूरा आसमान गुंजायमान कर दिया.

बजरंग बली के नाम पर कांग्रेस को सजा देने को कहा

पीएम मोदी ने भाषण के दौरान जनता से कहा, कांग्रेस कर्नाटक को दिल्ली में बैठे एक परिवार के लिए ATM बनाना चाहती है. हमें सैनिक देखकर खुशी होती है, जबकि कांग्रेस को सैनिकों को देखकर रोना आता है. आतंक के आकाओं को बचाने वाली कांग्रेस महज अपने एक नेता के रिटायरमेंट गिफ्ट के लिए चुनाव जीतना चाहती है. इसके बाद पीएम ने सभी से कहा, अबकी बार पोलिंग बूथ में जब ईवीएम का बटन दबाओगे तो जय बजरंगबली बोल कर इन्हें (कांग्रेस को) सजा दे देना.

कर्नाटक और बजरंग बली के रिश्ते से समझिए सारी बात

दरअसल पीएम मोदी ने बजरंग बली को महज कांग्रेस मेनिफेस्टो के कारण ही मुद्दा नहीं बनाया है. दरअसल इसके पीछे कर्नाटक और भगवान हनुमान का करीबी रिश्ता है. दरअसल रामायण में दिखाई गई वानरों की राजधानी किष्किंधा कर्नाटक के हम्पी में ही मानी जाती है. वानरों की वहां रिहाइश से जुड़े बहुत सारे सबूत भी मौजूद हैं. कर्नाटकवासी दावा करते हैं कि हनुमानजी का जन्म भी यहीं पर करीब के एक पर्वत पर हुआ था. इस कारण कर्नाटक में हनुमानजी को बेहद खास अहमियत दी जाती है.

हालांकि हनुमानजी के जन्मस्थल को लेकर आंध्र के तिरुपति और महाराष्ट्र के नासिक जिले के भी दावे हैं, लेकिन कर्नाटक वासी ऐसे सभी दावों को खारिज करते हुए भावनात्मक आपत्ति भी जताते हैं. मंगलवार को भी नासिक में हुई एक धर्मसंसद में किए गए दावों पर कर्नाटक में भावनात्मक उबाल देखने को मिला था. राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि बजरंग दल पर बैन के बहाने भगवान बजरंग बली का मुद्दा उठाकर पीएम मोदी ने कर्नाटक की इसी भावनात्मक नब्ज पर हाथ रखने की कोशिश की है.

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