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Karnataka Exit Polls: कर्नाटक में कांग्रेस जीती तो 'मोदी फैक्टर' पर उठेंगे सवाल, जानें कैसे प्रभावित होगा 2024 का गणित

Karnataka Election 2023: कर्नाटक में विधानसभा चुनाव का मतदान हो चुका है. मतदान के बाद आए एग्जिट पोल में कांग्रेस का पलड़ा भारी दिखा है. हालांकि सही गणित 13 मई को मतगणना पर ही स्पष्ट होगा.

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Karnataka Exit Polls: कर्नाटक में कांग्रेस जीती तो 'मो��दी फैक्टर' पर उठेंगे सवाल, जानें कैसे प्रभावित होगा 2024 का गणित

Rahul Gandhi vs PM Modi

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डीएनए हिंदी: Karnataka Assembly Election 2023- कर्नाटक में विधानसभा चुनाव को लेकर पिछले दो महीने से मचा शोर मतदान के साथ बहुत हद तक थम गया है. अब सभी की निगाहें 13 मई को आने वाले 224 विधानसभा सीटों के परिणाम पर है ताकि यह तय हो सके कि राज्य में कांग्रेस का 'जहरीला सांप' ज्यादा हावी रहा है या भाजपा के 'बजरंग बाण' ने कुछ काम किया है. फिलहाल मतदान के बाद सामने आए ज्यादातर एग्जिट पोल में कांग्रेस का ही पलड़ा भारी दिखा है. ZEE NEWS और MATRIZE के एग्जिट पोल में स्पष्ट तौर पर कांग्रेस की बहुमत हासिल करने की संभावना जाहिर की गई है. ऐसे में 'मोदी फैक्टर' पर सवाल उठने लाजिमी है, जिसे भाजपा के पिछले करीब एक दशक से चल रहे देश भर में विजय रथ का आधार माना जाता है. साथ ही यहां कांग्रेस की जीत साल 2024 के लोकसभा चुनावों से लेकर इसी साल होने वाले कई राज्यों के विधानसभा चुनावों तक पर असर डालेगी. आइए जानते हैं कैसे होगा ये प्रभाव?

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पहले जान लीजिए एग्जिट पोल का आंकड़ा

ZEE NEWS और MATRIZE के एग्जिट पोल के हिसाब से कर्नाटक में कांग्रेस को 103 से 118 सीट तक मिल सकती है यानी पिछले चुनाव की 80 सीट में उसे कम से कम 15 सीट और अधिकतम 38 सीट का लाभ हो सकता है. इसके उलट साल 2018 में 104 सीट जीतने वाली भाजपा के 79-94 सीट पर ही अटकने के आसार हैं. जेडीएस के खाते में मैसूर एरिया के मजबूत वोट बैंक की बदौलत 25-33 सीट आती दिख रही हैं, जो उसे फिर से किंगमेकर बना सकती हैं. अन्य को 2 से 5 सीटें मिल सकती हैं.  

पढ़ें- Karnataka Assembly Elections 2023: क्या हावी रही इस बार चुनाव में ब्लैक मनी? जानिए क्या कह रहे जब्त पैसे के आंकड़े

कांग्रेस जीती तो कैसे प्रभावित होगा मोदी फैक्टर

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा के पास सत्ताविरोधी रूझान की टक्कर के लिए कोई स्थानीय मुद्दा नहीं था. उसका पूरा अभियान केवल और केवल 'ब्रांड मोदी' को सामने रखकर उनके नाम पर चुनाव जीतने पर टिका हुआ था. इसका अंदाजा पीएम मोदी के पिछले एक साल में कर्नाटक के अलग-अलग हिस्सों में तमाम दौरों और रोडशो से भी लगाया जा सकता है. विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी पीएम मोदी ने 24 रैली और कई रोडशो किए. ऐसे में यदि कांग्रेस जीतती है तो इसे सीधे तौर पर मोदी फैक्टर के लिए झटका माना जाएगा, क्योंकि विपक्षी दल इसे मोदी के कम होते जादू की तरह देखेंगे. पीएम मोदी के अलावा कर्नाटक में भाजपा के सभी दिग्गज नेताओं ने दिन-रात एक किए थे. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 31 रैली, अमित शाह ने 35 रैली-रोड शो, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 12 रैली और असम के सीएम हिमांता बिस्वा सरमा ने 16 रैली-रोडशो किए. इसके बावजूद भाजपा हारी तो बहुत सारे सवाल खड़े हो जाएंगे.

अब जानते हैं कैसे प्रभावित होंगे आगामी चुनाव

कर्नाटक का चुनाव भाजपा के लिए 'गेटवे ऑफ साउथ इंडिया' जैसा था. कर्नाटक में पार्टी पहले से मजबूत रही है, लेकिन बाकी दक्षिण भारतीय राज्यों में उसकी वैसी स्वीकार्यता नहीं है. इसके बावजूद भाजपा ने उत्तर भारत में सत्ता विरोधी रूझानों के कारण लोकसभा सीटों के लगने वाले झटके की पूर्ति दक्षिण भारत से करने की प्लानिंग बना रखी है. दक्षिण के 5 राज्यों में 129 लोकसभा सीट हैं. भाजपा की निगाह कर्नाटक में जीत को तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में प्रोजेक्ट करने पर थी. अब कर्नाटक जैसा अपना मजबूत दुर्ग हार जाने से भाजपा की यह प्लानिंग झटका खाएगी. 

बात यदि इस साल होने वाले बाकी विधानसभा चुनावों की भी करें तो भी भाजपा को कर्नाटक की हार का नुकसान होगा. इस साल मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने बाकी हैं. इन तीनों राज्यों में भाजपा की इकलौती प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस है, जिसका हौसला कर्नाटक में जीत से सातवें आसमान पर पहुंच सकता है. यह फैक्टर भाजपा को नुकसान दे सकता है.

विपक्षी दलों का मोर्चा बनने में होगी आसानी

कांग्रेस की जीत के बाद विपक्षी दलों का जो मोर्चा बनाने की कवायद भी मजबूत होगी. जदयू सुप्रीमो और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस अभियान में कांग्रेस पर अन्य दलों का भरोसा बढ़ेगा, जिससे भाजपा के खिलाफ लोकसभा चुनाव में एकजुट मोर्चा उतरकर उसकी परेशानी बढ़ा सकता है.

ध्रुवीकरण नहीं विकास ही मुद्दा?

यदि कर्नाटक में भाजपा की हार हुई तो उसकी ध्रुवीकरण की राजनीति को बेहद झटका लगेगा. पिछले दो साल से कर्नाटक में लगातार हिंदुत्व बनाम इस्लाम का ध्रुवीकरण हो रहा है. इसके चलते ही हिजाब विवाद जैसे मुद्दे सामने आए थे. चुनाव प्रचार में भी कांग्रेस के बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने जैसे वादों को लेकर भाजपा और खासतौर पर प्रधानमंत्री मोदी ने बजरंग बली का नाम लेकर जन भावनाएं अपने पक्ष में करने की कोशिश की थी. इसके उलट कांग्रेस लगातार आम जनता को कई तरह की गारंटी लागू करने का भरोसा दिलाती रही है. ऐसे में भाजपा की हार से कांग्रेस को यह प्रचारित करने का मौका मिलेगा कि ध्रुवीकरण नहीं विकास ही असली मुद्दा है.

कांग्रेस के लिए होगा संजीवनी जैसा होगा रिजल्ट

कर्नाटक चुनाव के दौरान कांग्रेस ने स्टार कैंपेनर्स की बजाय स्थानीय नेताओं पर ज्यादा ध्यान दिया. हालांकि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 22 रैली-रोड शो किए, जबकि स्थानीय नेता और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 34 रैलियां की. फिर भी कांग्रेस यदि जीत गई तो इससे उसे 2024 लोकसभा चुनाव के लिए 'बूस्टर डोज' जैसा आत्मविश्वास मिलेगा. एकतरफ कांग्रेस दक्षिण भारत में भाजपा का रथ आगे बढ़ने से रोकने में सफल होगी, वहीं उसे इस जीत के बाद भाजपा के खिलाफ संगठित हो रहे विपक्षी दलों में भी पुरानी हैसियत वाला रुतबा हासिल हो पाएगा.

राहुल गांधी की ब्रांड इमेज होगी मजबूत

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कर्नाटक पर खास ध्यान दिया था. इस दौरान उन्होंने भाजपा सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुद्दा जमकर उठाया था. इसके अलावा मौजूदा चुनाव प्रचार में भी राहुल ने अनोखा तरीका अपनाया था. वह आम जनता से मिलने के लिए बस में सफर करने या बस स्टॉप पर महिलाओं के मन की बात टटोलने जैसे काम करते दिखाई दिए. ऐसे में कांग्रेस की जीत के बाद राहुल की ब्रांड इमेज भी प्रभावित होगी.

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