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असम में बाल विवाह के खिलाफ हो रहा एक्शन, क्यों भड़की हैं महिलाएं, कैसे सुलगी सियासत? जानिए सबकुछ

असम में बाल विवाह के खिलाफ सरकार एक्शन मोड में हैं. 2,000 से ज्यादा पतियों को गिरफ्तार किया गया है, वहीं 4,000 से ज्यादा केस दर्ज किए गए हैं.

असम में बाल विवाह के खिलाफ हो रहा एक्शन, क्यों भड़की हैं महिलाएं, कैसे सुलगी सियासत? जानिए सबकुछ

असम में बाल विवाह के खिलाफ सरकारी एक्शन पर भड़का है हंगामा. महिलाएं कर रही हैं विरोध प्रदर्शन.

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डीएनए हिंदी: असम (Assam) के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, बाव विवाह के आरोपियों के खिलाफ गिफ्तारी अभियान चला रहे हैं. उनके नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार राज्य में बाल विवाह के हजारों मामलों पर नजर रख रही है और नकेल कस रही है. पुलिस बाल विवाह के आरोप में 'पतियों' और उनके परिजन को गिरफ्तार कर रही है. लड़कियों को ससुराल से छुड़ाया जा रहा है और आरोपियों को हथकड़ियां पहनाई जा रही हैं. असम सरकार के इस फैसले के खिलाफ लड़कियां सड़कों पर उतर आई हैं. महिलाएं असम में विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. असम में इस मुद्दे पर सियासत सुलग गई है.

अब तक, असम में नाबालिग लड़कियों से अवैध विवाह के आरोप में 2,000 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि राज्य में नागरिकों के भारी विरोध के बावजूद बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी.

असम सरकार ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है, 'बाल विवाह पर कार्रवाई में शनिवार तक राज्य में 2,250 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है. राज्य भर में बाल विवाह के खिलाफ दर्ज 4,074 प्राथमिकी के आधार पर अब तक कुल 2,258 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.'

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सरकारी एक्शन से परेशान पत्नियां 

कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि असम में एक लड़की ने बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई के बीच में आत्महत्या कर ली. लड़की अपनी शादी के वक्त नाबालिग थी, उसे आशंका थी कि कहीं उसके पिता को उसकी शादी कराने के लिए गिरफ्तार न कर लिया जाए. खुदकुशी करने वाली लड़की के दो बच्चे हैं. उसके पति की कोविड महामारी के दौरान मौत हो गई थी. गोलकगंज में एक महिला ने एक पुलिस स्टेशन में जाकर हंगामा किया और धमकी दी कि अगर उसके पति को रिहा नहीं किया जाता है तो वह खुदकुशी कर लेगी. उसके पति को बाल विवाह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. 

सरकारी एक्शन के खिलाफ उतरी महिलाएं

राज्य सरकार, बाल विवाह के खिलाफ एक्टिव अभियान चला रही है. जबरन शादी करने वाले आरोपियों को गिरफ्तार किया जा रहा है. बाल विवाह के आरोपियों पर सरकार नकेल कस रही है. बीजेपी सरकार की गिरफ्तारियों के विरोध हजारों महिलाएं अलग-अलग थानों का घेराव कर रही हैं. 

पुलिस की बढ़ गई हैं मुश्किलें, जगह-जगह हो रहे विरोध प्रदर्शन

प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि सरकार ने गलत गिरफ्तारी की है. गिरफ्तार किए गए पति और उनके परिवार के सदस्य निर्दोष हैं. महिलाओं ने सड़कों को जाम कर दिया है. महिलाओं की मांग है कि सभी आरोपियों की रिहाई की जाए. महिलाएं पुलिसकर्मियों की राह भी रोक रही है.

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क्या है नेताओं का रिएक्शन?

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बाल विवाह के आरोप में लोगों को गिरफ्तार करने के लिए असम में बीजेपी की जमकर शिकायत की है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि राज्य सरकार ने पिछले छह वर्षों में कई स्कूल नहीं खोले हैं और यह उनकी विफलता है. आप उन्हें जेल भेज रहे हैं जो उनके परिवारों की देखभाल करेंगे. क्या राज्य उनकी भलाई करेगा?

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि पिछले छह साल से असम में बीजेपी की सरकार है. आप पिछले छह वर्षों के दौरान क्या कर रहे हैं? यह आपकी पिछले छह साल की विफलता है. आप उन्हें जेल भेज रहे हैं. अब उन बच्चियों की देखभाल कौन करेगा? सीएम  करेंगे? यह राज्य की विफलता है और ऊपर से आप उन्हें बदहाली में धकेल रहे हैं.

क्या है असम सरकार आदेश?

असम की कैबिनेट ने फैसला किया था  14 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी करने वालों पर पॉक्सो अधिनियम  के तहत केस दर्ज किया जाएगा. 14-18 साल की आयु वर्ग की लड़कियों की शादी करने वालों पर बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006  के तहत खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा. यही वजह है कि हजारों लोग जेल पहुंच गए हैं. आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा और विवाह को अवैध करार दिया जाएगा. अगर दूल्हा भी 14 साल से कम उम्र का है तो उसे सुधार गृह भेजा जाएगा. असम सरकार के इस फरमान पर हंगामा बरपा है. हजारों पति जेल में है, हजारों पर केस दर्ज हो चुका है.

क्यों सुलगी है सियासत?

असम के कुछ जिलों में अल्पसंख्यक समुदाय में शादियां कम उम्र होती हैं. एक बड़ी आबादी पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. वहीं दूसरी तरफ आदिवासी और दूसरे पिछड़े समुदायों में भी बाल विवाह परंपरा के तौर पर रहा है. ऐसी स्थिति में गिरफ्तारी और केस के मामले बढ़ सकते हैं. सरकार के इस फैसले पर इस वजह से ही हंगामा बरपा है.

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