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Maratha Reservation: क्या है मराठा आरक्षण का विवाद जिसमें सुलग रही है महाराष्ट्र की पूरी राजनीति, समझें

Maratha Reservation Protest: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर मराठा आरक्षण का मुद्दा हावी हो गया है. मराठा आरक्षण रद्द किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में पूरे प्रदेश में आंदोलन शुरू हो गया है. समझें पूरा विवाद और इसकी कहानी.

Maratha Reservation: क्या है मराठा आरक्षण का विवाद जिसमें सुलग रही है महाराष्ट्र की पूरी राजनीति, समझें

Maratha Reservation

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डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र के जालना में मराठा आरक्षण को लेकर शुरू हुआ प्रदर्शन (Maratha Reservation Protest) उग्र हो गया और अब यह प्रदेश के दूसरे हिस्सों में भी फैल रहा है. महाराष्ट्र की राजनीति में भी यह बड़ा मुद्दा है और आने वाले लोकसभा चुनावों में यह हावी रहने वाला है. प्रदेश में मराठा रिजर्वेशन को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था. इस फैसले के विरोध में महाराष्ट्र के कई संगठन अब प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदेश की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियां आरक्षण के समर्थन में हैं लेकिन सु्प्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनके हाथ बंधे हैं. 2018 में राज्य सरकार ने बिल लाकर 16 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया था जिसके बाद कुछ मेडिकल छात्रों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जानें क्या है यह पूरा विवाद और क्यों मराठा आरक्षण के नाम पर हो रहा है घमासान.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बढ़ा बवाल 
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग लंबे समय से चल रही थी. 30 नवम्बर 2018 को महाराष्ट्र सरकार ने राज्य विधानसभा में मराठा आरक्षण बिल पास किया था.  इसके खिलाफ कुछ मेडिकल छात्रों ने कोर्ट में अपील की. बॉम्बे हाई कोर्ट ने आरक्षण को रद्द नहीं किया लेकिन उसकी सीमा घटाकर शिक्षण संस्थानों में 12 फीसदी और सरकारी नौकरियों में 13 प्रतिशत कर दिया था. इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और साल 2021 में  सुप्रीम कोर्ट ने फैसला आरक्षण के विरोध में दिया. सर्वोच्च न्यायालय आरक्षण के फैसले को असंवैधानिक करार दिया था. राज्य की सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं में मराठाओं को 16 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था जिसे कोर्ट ने खत्म कर दिया. इसके बाद से इसे लेकर विरोध जारी था लेकिन इसी महीने इसके खिलाफ प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर गए. 

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मराठा आरक्षण पर क्या है पूरा विवाद 
महाराष्ट्र में मराठों की आबादी 30 फीसदी के करीब है और यह प्रदेश में राजनीतिक लिहाज से प्रभावी आंकड़ा है. इसके अलावा मराठा में किसानों से लेकर पशुपालक और जमींदार भी आते हैं. लंबे समय से यह समुदाय सरकारी नौकरी में आरक्षण की मांग कर रहा है और इसके लिए काफी समय से छिटपुट प्रदर्शन और मांग होती रही है. आर्थिक और सामाजिक स्थिति के लिहाज से भी इस समुदाय का दबदबा है. सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण के विरोध में तर्क दिया गया था कि महाराष्ट्र में पहले से ही 52 फीसदी आरक्षण चला आ रहा है. इस सीमा से आगे जाकर आरक्षण देना संवैधानिक फैसले का उल्लंघन है. सर्वोच्च न्यायालय ने इस तर्क को सही ठहराते हुए मराठा आरक्षण को अवैध ठहरा दिया है. 

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महाराष्ट्र में क्या है आरक्षण की स्थिति
महाराष्ट्र में आरक्षण की वर्तमान स्थिति
अनुसूचित जाति – 15 फीसदी
अनुसूचित जनजाति – 7.5 फीसदी
अन्य पिछड़ा वर्ग – 27 फीसदी
अन्य – 2.5 फीसदी
कुल- 52 फीसदी

महाराष्ट्र की राजनीति में हावी रहे हैं मराठा 
सैद्धांतिक तौर पर महाराष्ट्र में बीजेपी हो या शिवसेना या मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ये सभी मराठा आरक्षण के समर्थन में रहे हैं. महाराष्ट्र की राजनीति में मराठा चेहरों की बड़ी भूमिका रही है और प्रदेश के ज्यादातर मुख्यमंत्री भी मराठा ही रहे हैं. 2018 में बीजेपी सरकार ने जब यह बिल पास किया था तब शिवसेना और बीजेपी गठबंधन में सरकार चला रहे थे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सभी प्रमुख पार्टियों के लिए असमंजस की स्थिति बन गई है. राजनीतिक दल न तो विरोध कर पा रहे हैं और न समर्थन का आश्वासन ही दे पा रहे हैं.

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