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NCF New Rules: बोर्ड एग्जाम से लेकर यूनिफॉर्म तक, अब स्कूली पढ़ाई में क्या-क्या बदलेगा जानें यहां 

Board Exams In NEW NCF: नई शिक्षा नीति (NEP) के बाद अब नया करिकुलम भी लॉन्च कर दिया गया है. नए एनसीएफ (NCF) के मुताबिक अब स्कूली शिक्षा और पाठ्यक्रम में भी बड़े बदलाव होंगे. इसके अलावा यूनिफॉर्म और मॉर्निंग असेंबली में भी परिवर्तन किया जाएगा. 

NCF New Rules: बोर्ड एग्जाम से लेकर यूनिफॉर्म तक, अब स्कूली पढ़ाई में क्या-क्या बदलेगा जानें यहां 

NCF For Board Exams

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डीएनए हिंदी:  शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के अनुरूप स्कूली शिक्षा के लिए नया पाठ्यक्रम ढांचा जारी कर दिया है. नए करिकुलम के मुताबिक अब स्कूली पढ़ाई में बड़े पैमाने पर बदलाव देखने को मिलेगा. क्लासरूम के सिटिंग अरेंजमेंट से लेकर बच्चों की यूनिफॉर्म और सुबह की प्रार्थना में बदलाव के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा बोर्ड एग्जाम और परीक्षा पैटर्न में भी नए बदलाव नजर आएंगे. नए पाठ्यक्रम के मुताबिक अब स्कूल शिक्षा का पैटर्न, बच्चों के पसंद का विषय लेने और परीक्षाओं की प्रवृति से लेकर यूनिफॉर्म और असेंबली तक के लिए नया फ्रेमवर्क दिया गया है. जानें अब स्कूली शिक्षा में कौन से बड़े बदलाव होने जा रहे हैं और उसका क्या असर पड़ेगा. 

10+2 फॉर्मेट किया जा रहा है पूरी तरह से खत्म
अब तक स्कूली शिक्षा का आधार 10+2 था जिसे नई शिक्षा नीति (NEP 2020) में पूरी री तरह से खत्म कर दिया गया है. अब स्कूली शिक्षा को 4 भागों में बांटा गया है जिसमें 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला जाएगा. इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल होंगे. इसमें फाउंडेशन ईयर भी शामिल है. अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 और इसके बाद तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) होगा. इसे मिडिल या माध्यमिक चरण कहते हैं. चौथा स्टेज सेकेंडरी का होगा जो कक्षा 9 से 12 तक होगा. 

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सेमेस्टर सिस्टम के आधार पर स्कूलों में पढाई
सेकेंडरी स्टेज को चार ग्रेड में 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं में बांटा गया है. कॉलेज की तर्ज पर स्कूलों में भी साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं होंगी. इस स्टेज में छात्रों को 8-8 ग्रुप में कुल 16-16 पेपर देने होंगे. 11वीं-12वीं के  के हिस्सों को एक साथ रखा गया है. इसमें स्टूडेंट्स को 8 विषयों में से हर ग्रुप के दो-दो विषय (16 विषय) दो साल के दौरान पढ़ने होंगे. अगर किसी बच्चे ने इतिहास विषय लिया है तो उसे 11वीं और 12वीं में 4 पेपर देने होंगे. इसके अलावा साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स स्ट्रीम का अब कठोरता से पालन नहीं होगा. बच्चों को पसंद के विषय चुनने में पहले की तरह कठोरता से स्ट्रीम का पालन नहीं करना होगा. 

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शिक्षक-छात्रों के बीच संवाद बढ़ाने के लिए बदलेगी सिटिंग अरेंजमेंट 
आम तौर पर स्कूलों में एक के पीछे एक कई लाइन होती है जिस पर छात्र बैठते हैं. अब क्लास के सिटिंग अरेंजमेंट में भी बदलाव किया जाएगा. इसके लिए क्लासरूम में सिटिंग अरेंजमेंट को सेमी सर्कल या सर्कल के शेप में किया जाएगा. अब तक यह सिटिंग अरेंजमेंट देश के चुनिंदा शिक्षण संस्थानों में ही है. इसके अलावा, छात्रों और शिक्षकों के बीच संवाद बढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा. नए करिकुलम में खास तौर पर इस पर जोर दिया गया है कि सिलेबस पूरा करने तक पढ़ाई को सीमित न किया जाए. 

यूनिफॉर्म और असेंबली में बदलाव 
स्कूलों को यूनिफॉर्म के तौर पर जेंडर न्यूट्रल विकल्प का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया गया है. इसके अलावा, स्थानीय और भौगोलिक जरूरतों के मुताबिक यूनिफॉर्म तय करने का निर्देश दिया गया है. मॉर्निंग असेंबली या सुबह की प्रार्थना को एक तय पैटर्न पर कराने के बजाय संवाद और विचारों के आदान-प्रदान की जगह बनाने का निर्देश दिया गया है. पाठ्यक्रम में स्थानीयता को शामिल करने का निर्देश भी जारी किया गया है. कुल मिलाकर कह सकते हैं कि इन बदलावों से स्कूली शिक्षा में बड़ा परिवर्तन दिखेगा. 

क्या कहते हैं एक्सपर्ट 
नई शिक्षा नीति पर चर्चा करते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने कहा था कि स्थानीय भाषा में उच्च शिक्षा का विकल्प कमजोर पृष्टभूमि से आने वाले बच्चों के लिए बेहतर विकल्प खोलेगी. आईआईटी जैसे संस्थानों से ड्रॉपआउट की एक वजह कमजोर अंग्रेजी होती है. अब नए करिकुलम में भी स्थानीय भाषाओं और स्थानीयता को शामिल करने पर जोर दिया गया है. फैकल्टी ऑफ एजुकेशन में पूर्व डीन प्रोफेसर अनीता रामपाल ने बीबीसी को दिए अपने साक्षात्कार में नए करिकुलम की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि सिलेबस और यूनिफॉर्म जैसे मुद्दे राज्यों पर छोड़ दिए जाने चाहिए क्योंकि यह स्थानीय जलवायु और बहुत से तथ्यों को ध्यान में रखकर तय किया जाता है. नया करिकुलम बिना सलाह-मशवरा के एक आदेश के तौर पर थोपा गया लग रहा है.

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