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दिल्ली में ढह गई इमारत, जानिए क्या है नेशनल बिल्डिंग कोड जिसके हिसाब से बनाने चाहिए टावर और बिल्डिंग

National Building Code: इमारतें या घर बनाने के लिए नेशनल बिल्डिंग कोड के तहत नियम तय किए गए हैं, इनका उल्लंघन करने पर कार्रवाई भी हो सकती है.

दिल्ली में ढह गई इमारत, जानिए क्या है नेशनल बिल्डिंग कोड जिसके हिसाब से बनाने चाहिए टावर और बिल्डिंग

National Building Code

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डीएनए हिंदी: हाल ही में दिल्ली के टैगोर गार्डन में एक तीन मंजिला इमारत ढह गई. नांगलोई में सिलेंडर धमाके के बाद घर गिर गया. बीते कुछ समय में दिल्ली समेत कई अन्य राज्यों में भी इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं. ज्यादातर मामलों में इमारत की गुणवत्ता या प्लानिंग को लेकर सवाल उठते हैं. कई बार नियमों का उल्लंघन करने को लेकर कार्रवाई भी की जाती है. ऐसे में यह जरूरी है कि अगर आप अपना घर या कोई टावर बनाने जा रहे हैं तो नियमों को जान लें. ये नियम न सिर्फ आपको कानूनी कार्रवाई से बचाएंगे बल्कि आपके घरों को सुरक्षित और आरामदायक भी रखेंगे.

कोई भी घर, बिल्डिंग या कई फ्लोर वाले टावर बनाते समय सुरक्षा और गुणवत्ता का ध्यान रखना जरूरी होती है. यह निर्माण कैसा हो, सुरक्षा कैसी, जल निकासी और वेंटिलेशन कैसा हो, इस सबके लिए कुछ नियम तय किए गए हैं. इन्हीं नियमों को नेशनल बिल्डिंग कोड की गाइडलाइन यानी एनबीसी गाइडलाइन कहा जाता है. आइए इन्हें विस्तार से समझते हैं...

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एनसीबी गाइडलाइन में घर के अंदर किचन, बाथरूम और गैरेज के लिए नियम हैं. वहीं, बाहरी डिजाइन के लिए भी कुछ तय नियम बताए गए हैं. किचन के लिए सबसे जरूरी है कि उसमें से पानी निकलने की जगह हो, बर्तन धोने की जगह हो, फर्श मजबूत हो. साथ ही, किचन को किसी खुली जगह में रखा जाए और एक वर्ग मीटर से छोटा किचन न हो.

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बाथरूम और गराज के लिए नियम
अगर गई फ्लोर हों तो सारे बाथरूम एक-दूसरे के ऊपर होने चाहिए. हां, अगर वाटर टाइट फर्श हों तो छूट मिल सकती है. इसके अलावा, फर्श मजबूत हो और जल निकासी के लिए ढलान हो. बाथरूम की कम से कम एक दीवार पर खिड़की होनी चाहिए. घर का गराज सड़क या बाहर के रास्ते के आसपास होना चाहिए. यह गराज किसी भी तरह से बिल्डिंग में जाने के रास्ते को रोकने वाला नहीं होना चाहिए. इसकी फर्श की मोटाई 15 सेंटीमीटर से कम नहीं होनी चाहिए.

घर में अगर बेसमेंट बनाया जा रहा हो तो इसकी ऊंचाई कम से कम ढाई मीटर और अधिकतम साढ़े चार मीटर होनी चाहिए. बेसमेंट में वेंटिलेशन के लिए एसी, एग्जॉस्ट फैन या ब्लोअर लगाना जरूरी है. बेसमेंट की दीवारें और फर्श का वाटर प्रूफ भी होना जरूरी है जिससे कि नींव में सीलन न आए और बिल्डिंग की मजबूती बनी रहे. बेसमेंट की एंट्री इमारत के अंदर से होनी चाहिए, सड़क से नहीं.

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इमरजेंसी के लिए भी चाहिए जगह
हर बिल्डिंग में ऐसे निकास होने चाहिए जिससे आग लगने या भूकंप आने की स्थिति में निकला जा सके. आपने इसके उदाहरण शॉपिंग मॉल या मेट्रो स्टेशनों पर देखे होंगे. साथ ही, इस रास्ते में कोई बाधा न हो, रास्ता चौड़ा हो और सीधे इमारत के बाहर सड़क या खुली जगह पर जाता हो.

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