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सूचना सेठ: कैसे अपने बच्चे की हत्यारन बन सकती है मां? मनोवैज्ञानिक कह रहे ये बात

सूचना सेठ ने अपने बेटे का कत्ल किया है. वह AI की दुनिया की चर्चित हस्ती रही हैं. उनके इस हिंसक कदम की वजह से मनोवैज्ञानिक हैरत में हैं.

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सूचना सेठ: कैसे अपने बच्चे की हत्यारन बन सकती है मां? मनोवैज्ञानिक कह रहे ये बात

Suchana Seth.

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डीएनए हिंदी: बेंगलुरु जैसा शहर. सफल स्टार्टअप की CEO लेकिन अपने ही बच्चे की कातिल. सूचना सेठ ने जो किया है, उसने पूरे देश को झकझोर के रख दिया है. माइंडफुल AI लैब की 39 वर्षीय संस्थापक और CEO सूचना सेठ पर आरोप हैं कि उन्होंने उत्तरी गोवा के कैंडोलिम में एक सर्विस अपार्टमेंट में अपने नाबालिग बेटे की हत्या की है.

सूचना सेठ के इस खौफनाक कदम ने लोगों को सन्न कर दिया है. वह एक सफल CEO रही हैं, ऐसे में उन पर लगे आरोप सन्न करने वाले हैं. मनौवैज्ञानिकों में बहस छिड़ी है कि कैसे कोई मां अपने बेटे की ही कातिल बन सकती है.

तलाक के ऐसे मामले इतने खतरनाक स्तर पर कैसे पहुंच जाते हैं, कैसे कोई कातिल बन सकता है? जब हमने इस मामले में तुलसी हेल्थकेयर के संस्थापक और निदेशक डॉक्टर गौरव गुप्ता से सवाल किया तो उन्होंने इसके कारणों का विश्लेषण किया.

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सूचना सेठ की मनोदशा पर क्या कह रहे मनोवैज्ञानिक
मनोचिकित्सक गौरव गुप्ता कहते हैं, 'एक मां द्वारा अपने बेटे की हत्या करने से बुरा कुछ नहीं है. यह मां और शिशु के बीच सुरक्षा की भावना के प्रतिकूल व्यवहार है. हर सकारात्मक चीज का खंडन करता है. इस तरह के व्यवहार को समझने के लिए किसी की पूरी मनोदशा समझनी होगी.'

मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे, कितना डालते हैं असर
मां की मनोदशा विकृत करने के कई कारक होते हैं. अगर पहले से कोई मानसिक समस्या है, सिजोफ्रेनिया है, गंभीर अवसाद या अन्य मानसिक विकृतियां हैं तो कोई ऐसे कदम उठा सकता है, जिसके बारे में कोई स्वस्थ चित्त का व्यक्ति नहीं सोच सकता है.

ये वजहें लोगों के निर्णयों को प्रभावित करते हैं. किसी की मन:स्थितियों को बिगाड़ने में ऐसे कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं. मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति यदि आदतन अपराधी नहीं है तो कभी इस तरह की हत्या के बारे में सोच नहीं सकता.

टेंशन और डिप्रेशन
व्यक्तिगत मुश्किलें, आर्थिक स्थिति, सामाजिक दशा और विपरीत परिस्थितियां कुछ ऐसे कारक हैं जिनकी वजह से किसी व्यक्ति का तनाव, सीमा से अधिक बढ़ सकता है. अगर मां इन तनावों से जूझ रही है और वह ऐसी परिस्थितियों से निपट नहीं पा रही है तो उसके भीतर अपने बच्चे की देखभाल करने की उसकी क्षमता खत्म हो सकती है. अवसाद ग्रस्त होने पर वह अपने साथ-साथ अपने बच्चे के लिए भी जानलेवा साबित हो सकती है.

दुर्व्यवहार या आघात का इतिहास
मनोचिकित्सकों के मुताबिक अगर किसी महिला के अतीत में उत्पीड़न और यौन दुर्व्यवहार जैसी घटनाएं शामिल हैं, या कभी उसे गहरा आघात पहुंचा है तो वह अतीत और वर्तमान से जूझती नजर आ सकती है. सफलता उसके लिए वक्ती मरहम हो सकता है लेकिन स्थाई नहीं. अतीत के आघात की वजह से उसकी मानसिक और भावनात्मक स्थिति असर पड़ता है. अगर वह अपने साथ हुए किसी हादसे से बाहर नहीं आ पाती है तो उसकी पालन-पोषण और नैतिकता की नीतियां प्रभावित हो सकती हैं. महिला अपने बच्चों का ख्याल नहीं रख सकती है. तनाव बढ़ने पर वह अपना और अपने बच्चे का भी जीवन खत्म कर सकती है.

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नशे की लत
नशीले पदार्थ, मादक द्रव्यों के सेवन से निर्णय लेने की क्षमता कम होने लगती है. इसका नतीजा यह निकलता है कि लोग आक्रोशित होते हैं और जल्दी प्रतिक्रिया देते हैं. 

साइकोपैथिक या सोशियोपैथिक प्रवृत्तियां
कभी-कभी, व्यक्ति में मनोरोगी या सोशियोपैथिक लक्षण नजर आते हैं. ऐसे में लोगों में अपराधबोध और पछतावे की भावना खत्म हो जाती है. अगर मां इस स्थिति से जूझ रही है तो वह अपने बच्चे को चोट तक पहुंचाने से नहीं हिचकती है. कई बार यह हत्या की हद तक बढ़ जाता है.

दर्दनाक होती है तलाक की प्रक्रिया
स्त्री-पुरुष दोनों के लिए तलाक आसान प्रक्रिया नहीं है. भारतीय समाज में यह सामाजिक स्तर पर भी व्यक्ति को प्रभावित करता है. सूचना सेठ के केस में शुरुआती जांच से पता चला है कि कोर्ट ने जब उसके पति को अपने बच्चे से मिलने की इजाजत दे दी तो यह फैसला उसे रास नहीं आया. इसी वजह से उसने बच्चे की जान ले ली. वह नहीं चाहती थी कि उसका पति उसके बच्चे से मुलाकात करे.

डॉक्टर गौरव गुप्ता ने कहा, 'तलाक और कस्टडी की लड़ाई के दौरान कम्युनिकेश जरूरी है. ऐसी स्थिति में बच्चों की देखभाल को प्राथमिकता दें. अपने बच्चे की भलाई को प्राथमिकता देने के लिए सम्मानजनक संवाद बनाए रखें.'

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- विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए मध्यस्थता या परामर्श लें.
- व्यक्तिगत शिकायतों के बजाय बच्चे की जरूरतों पर ध्यान दें.
- बच्चों के लालन-पालन के लिए फ्लेक्सिबल रहें.
- बहस और अदालती कार्यवाही के दौरान भावनाओं पर नियंत्रण रखें.
- कानूनी मकसद के लिए दस्तावेजों का ख्याल रखें. मार्गदर्शन के लिए वकील की मदद लें.
- तनाव से बचने के लिए अपनी सेहत का ख्याल रखें.

सूचना सेठ कौन हैं?
सूचना सेठ एक सीईओ हैं जिन्होंने कोविड महामारी के दौरान AI कंपनी की स्थापना की थी. उनके बारे में लोग कहते हैं कि वे बेहद भावुक और प्रतिभाशाली रही हैं. आज उन पर मानवता के सबसे भयानक अपराधों में से एक का आरोप लगा है. मां होने के बाद भी उन्होंने अपने बेटे को मार डाला. 

2008 और 2011 के बीच बेंगलुरु के रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट में रिसर्च फेलो बनने से पहले सूचना सेठ ने कलकत्ता विश्वविद्यालय में भौतिकी की पढ़ाई की थी. सूचना सेठ डेटा एंड सोसाइटी में मोज़िला फेलो, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च स्कॉलर रही हैं. रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट में वह बेहद चर्चित रही हैं. पश्चिम बंगाल की रहने वाली सूचना सेठ को 2021 के लिए 'AI एथिक्स में 100 प्रतिभाशाली महिलाओं' की सूची में भी शामिल किया गया है.

बेहद जटिल होते हैं ऐसे मामले
डॉक्टर गौरव गुप्ता के मुताबिक लोगों को ऐसे मामलों में अटकलें नहीं लगानी चाहिए. यह मामला चौंकाने वाला है. यह सामाजिक मूल्यों को हिलाकर रख देने वाला है. इसकी वजह को समझना आसान नहीं है. ऐसे मामलों को संवेदनशीलता से और बिना किसी नतीजे पर पहुंचे निपटाया जाना चाहिए. हर मामला जटिल होता है. इन मामलों में आम तौर पर कानूनी अधिकारी मनोचिकित्सकों की भी मदद लेते हैं, जिसकी मदद से अपराधियों की मनोदशा को समझा जा सके, ऐसी मनोवृत्तियों की पड़ताल की जा सके.

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