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क्या है Flex Fuel, कैसे घट सकती हैं तेल की कीमतें?

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि आने वाले 6 महीनों में फ्लेक्स फ्यूल वाले इंजनों के निर्माण में तेजी आ सकती है.

क्या है Flex Fuel, कैसे घट सकती हैं तेल की कीमतें?

Flex Fuel

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डीएनए हिंदी: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) फ्लेक्स-फ्यूल से चलने वाली गाड़ियों पर बड़ा प्लान तैयार कर रहे हैं. शनिवार को उन्होंने कहा कि ऑटो मोबाइल कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों ने छह महीने के भीतर फ्लेक्स-फ्यूल गाड़ियों के प्रोडक्शन का वादा किया है.

'ईटी ग्लोबल बिजनेस समिट' के एक कार्यक्रम में नितिन गडकरी ने कहा है कि सरकार सार्वजनिक परिवहन को 100 प्रतिशत स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से चलाने की योजना पर काम कर रही है. उन्होंने कहा, है कि इस हफ्ते, मैंने सभी बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों के प्रबंध निदेशकों और सियाम के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. उन्होंने मुझसे वादा किया कि वे ऐसे वाहनों के लिए फ्लेक्स-फ्यूल इंजन का विनिर्माण शुरू करेंगे, जो एक से अधिक ईंधन से चल सकते हैं.'

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क्या है फ्लेक्स फ्यूल 

फ्लेक्स-फ्यूल, गैसोलीन और मेथनॉल या इथेनॉल के मिश्रण से तैयार एक वैकल्पिक ईंधन है. फ्लेक्स अंग्रेजी के फ्लेक्सिबल शब्द से बना है. ऐसे इंजन जो बिना किसी दिक्कत के दूसरे ईंधन से भी चल सकते हों. ब्राजील फ्लेक्स फ्यूल इंजनों का इस्तेमाल करने वाला सबसे बड़ा देश है. 

इथेनॉल और मेथेनॉल से कैसे चलेंगी गाड़ियां?

भारत में वैकल्पिक ईंधन फ्यूल इथेनॉल और मेथेनॉल को मिलाकर बनाया जा सकते हैं. इस इंजन के आने से आप अपनी गाड़ी को पूरी तरह से पेट्रोल या डीजल या फिर इथेनॉल पर चला सकेंगे. नितिन गडकरी एक अरसे से ऐसी गाड़ियों की वकालत करते रहे हैं.

क्यों सस्ते हो सकते हैं तेल के दाम?

इथेनॉल और मेथेनॉल बायो प्रोडक्ट हैं. इन्हें गन्ना, मक्का और दूसरे वेस्ट से तैयार किया जाता है. यह एक जैविक ईंधन है. इन ईंधनों से कम प्रदूषण फैलता है. देश में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के बीच इनकी जरूरत महसूस हो रही है. इसकी लागत भी कम होगी क्योंकि तैयार करने में कम खर्च आएगा. अगर फ्लेक्स फ्यूल इंजन बनाए जाते हैं ऐसे ईंधनों का इस्तेमाल हो सकेगा.

क्या होगा फायदा?

प्रदूषण अब भी देश में एक बड़ी समस्या है. बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण की वजह गाड़ियों से निकलने वाला धुआं भी है. पेट्रोलियम ईंधन पर्यावरण के लिहाज से ठीक नहीं हैं. अगर फ्लेक्स फ्यूल इंधनों पर जोर दिया जाता है कि कार्बन उत्सर्जन कम होगा.  इथेनॉल और मेथेनॉल जैसे ईंधन पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाएंगे. इथेनॉल उत्पादन भारत में ज्यादा बढ़ सकता है क्योंकि गन्ने और मक्के की उत्पादन दर देश में अच्छी है. इसकी वजह से किसानों की भी आर्थिक स्थिति सुधर सकती है. इन्हीं से इथेनॉल का उत्पादन होता है. भारत 80 फीसदी पेट्रोल-डीजल के लिए आयात पर निर्भर है.

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