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क्या है इंटर सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशन बिल, इससे कितनी मजबूत होगी सेना?

संसद के दोनों सदनों से इंटर सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशन बिल पास हो गया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस बिल को भारत के सैन्य सुधारों की राह में एक 'मील का पत्थर' बता रहे हैं. आइए जानते हैं इस बिल के बारे में सबकुछ.

क्या है इंटर सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशन बिल, इससे कितनी मजबूत होगी सेना?

भारतीय सेना.

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डीएनए हिंदी: संसद के दोनों सदन, इंटर सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशन (कमांड, कंट्रोल और डिसिप्लीन) बिल 2023 पास हो गया है. यह विधेयक इंटर सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशन(ISO) के कमांडर-इन-चीफ और ऑफिसर-इन-कमांड को नजदीक लाने की कोशिश है. इससे सेना और सशक्त होगी. तीनों सेनाओं बीच बेहतर सामंजस्य बैठाने के लिए केंद्र सरकार, इस कानून को लेकर आई है.

राज्यसभा में विधेयक की शुरुआत करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य के मद्देनजर सशस्त्र बलों को मजबूत करने को जरूरी बताया और इस बात पर जोर दिया कि बेहतर संयुक्तता और एकीकरण के जरिए ही सेना राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने की दिशा में आगे बढ़ सकती है.

यह विधेयक तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करेगा और एकीकृत ढांचे को मजबूत करेगा. उन्होंने यह भी कहा कि यह भारत के सैन्य सुधारों की राह में एक 'मील का पत्थर' साबित होगा.

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राजनाथ सिंह ने बताया कि आज का युद्ध पारंपरिक नहीं रह गया है, बल्कि प्रौद्योगिकी और नेटवर्क केंद्रित हो गया है. देश के सामने आने वाली भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तीनों सेनाओं के लिए एकजुटता के साथ काम करना बेहद जरूरी हो गया है. 

इंटर सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशन बिल है क्या?
सशस्त्र बल अभी तक सेना अधिनियम 1950, नौसेना अधिनियम 1957 और वायु सेना अधिनियम 1950 के तहत, अपनी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी तरह थे. अब इंटर सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशन बिल के लागू होने के बाद, कुछ चीजों में बदलाव आएगा. इसके तहत तीनों सेनाओं में अनुशासन, अनुशासनात्मक कार्यवाही के उल्लंघन पर होने वाले एक्शन और दूसरी कानूनी प्रक्रियाओं को एक प्लेटफॉर्म पर लाया जाएगा. यह तीनों सेनाओं के बीच तालमेल को दुरुस्त करेगा. आने वाले समय में संयुक्त संरचनाओं के निर्माण के लिए एक मजबूत नींव रखेगा और सशस्त्र बलों के कामकाज में और सुधार करेगा.

ISO विधेयक- 2023 की क्या है खासियत?

-आईएसओ विधेयक- 2023 नियमित सेना, नौसेना और वायु सेना के सभी कर्मियों और केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित अन्य सुरक्षाबलों पर भी समान रूप से लागू होगा. यह विधेयक कमांडर-इन-चीफ, ऑफिसर-इन-कमांड या केंद्र सरकार की ओर से चयनित किसी अधिकारी को ज्यादा मजबूत बनाएगा. इसके जरिए थिएटर कमांड की ओर देश की सेनाएं आगे बढ़ सकती हैं. 

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-ऑफिसर-इन-कमांड के कमांडर-इन-चीफ का मतलब जनरल ऑफिसर/फ्लैग ऑफिसर/एयर ऑफिसर से है, जिसे अंतर-सेवा संगठन के ऑफिसर-इन-कमांड के कमांडर-इन-चीफ के रूप में नियुक्त किया गया है.

-कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड की अनुपस्थिति में कमान और नियंत्रण बनाए रखने के लिए, कार्यवाहक पदाधिकारी के पास शक्तियां होंगी. इसके तहत अधिकारी को इंटर-सर्विसेज संगठन में नियुक्त, प्रतिनियुक्त, तैनात या संलग्न सेवा कर्मियों पर सभी अनुशासनात्मक या प्रशासनिक कार्रवाइयां शुरू करने का भी अधिकार दिया जाएगा. यह बिल, एक थिएटर कमांड की संभावनाओं के भी द्वार खोलता है. अगर यह कानून बन जाता है तब, तीनों सेनाएं भविष्य में एक ध्वज के नीचे भी लाई जा सकती हैं.

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