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President Rule in Delhi: क्या होता है राष्ट्रपति शासन, जिसे दिल्ली में लगाने की तैयारी? AAP बोली- 'बैक डोर' से सत्ता हड़पने की साजिश

President Rule in Delhi: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 5 महीने से तिहाड़ जेल से सरकार चला रहे हैं. इस पर विपक्षी दल BJP ऐतराज जता रहा है. भाजपा विधायकों ने इसके खिलाफ एक ज्ञापन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी सौंपा था. इससे ही राष्ट्रपति शासन की चर्चा शुरू हो गई है.

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President Rule in Delhi: दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर राष्ट्रपति शासन का मुद्दा गरमा गया है. मीडिया रिपोर्ट्स में आया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गृह मंत्रालय से विपक्षी दल भाजपा के विधायकों के उस ज्ञापन पर जवाब मांगा है, जिसमें विधायकों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 5 महीने से जेल में बंद होने को संवैधानिक संकट की स्थिति बताते हुए आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार को बर्खास्त करने और राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद AAP भड़क गई है. आप नेताओं ने भाजपा पर 'बैक डोर' से सत्ता हड़पने की साजिश रचने का आरोप लगाया है. दिल्ली सरकार में मंत्री और आप प्रवक्ता आतिशी (Atishi) ने आरोप लगाया है कि भाजपा अपने ऑपरेशन लोट्स (Operation Lotus) के जरिये पूरे देश में केवल निर्वाचित सरकारों को गिराने में जुटी हुई है. यह काम महाराष्ट्र, कर्नाटक में हो चुका है और अब दिल्ली में ऐसा करने की तैयारी है. आतिशी ने कहा कि दिल्ली के वोटर भाजपा को विधानसभा चुनाव में इसका करारा जवाब देंगे.

क्यों उठी है दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की चर्चा

दरअसल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल से सरकार चलाने को भाजपा संवैधानिक संकट की स्थिति मान रही है. भाजपा विधायकों ने इसे लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन दिया था, जिसमें दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग की गई थी. दिल्ली भाजपा विधायक दल के नेता विजेंद्र गुप्ता ने दावा किया है कि राष्ट्रपति कार्यालय से उनके ज्ञापन के जवाब में बताया गया है कि इसे केंद्रीय गृह सचिव को भेज दिया गया है. गृह सचिव कानूनी राय लेने के बाद अपनी सलाह राष्ट्रपति को देंगे. इसके बाद आगे का फैसला तय होगा. विजेंद्र गुप्ता के इस बयान के बाद ही दिल्ली में राष्ट्रपति शासन की चर्चा शुरू हुई है. 

क्या आरोप लगा रही है आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता आतिशी ने इसे भाजपा की 'बैक डोर' से केजरीवाल सरकार को गिराने की साजिश बताया है. उन्होंने ANI से कहा,'भाजपा की दिल्ली में एक साजिश कामयाब नहीं हुई है, तो उन्होंने दूसरी साजिश शुरू कर दी है. यदि भाजपा ने केजरीवाल सरकार गिराई तो दिल्लीवाले इसका करारा जवाब देंगे. आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिलेगी और आम आदमी पार्टी सभी 70 सीट जीतेगी.' आतिशी ने कहा,'भाजपा जहां-जहां चुनाव नहीं जीत पाती है, वहां वहा निर्वाचित सरकार को गिराने का काम करती है. विधायक खरीदती है और चोर दरवाजे से सरकार बनाने की कोशिश करती है. दिल्ली में भी उन्होंने यही किया, लेकिन सफल नहीं हुए. आप के विधायक नहीं खरीद पाए तो दूसरी साजिश शुरू कर दी है.' आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी कहा कि दिल्ली में भाजपा तय कर ले कि कब हारना है. चार महीने पहले हारना है या बाद में. कल तारीख घोषित करो, हम पीछे नहीं हैं. यदि वे राष्ट्रपति शासन लागू करेंगे तो समझ लीजिए कि उन्हें चार महीने पहले ही हारना है. बता दें कि दिल्ली में अगले साल जनवरी महीने में विधानसभा चुनाव होने संभावित हैं.

पहले जान लीजिए क्या होता है राष्ट्रपति शासन

राष्ट्रपति शासन उस समय लागू होता है, जब किसी राज्य में सरकार कानून-व्यवस्था को संभालने में अक्षम रहती है. किसी राज्य में सरकार अपना बहुमत विधानसभा के अंदर खो देती है. दिल्ली में राष्ट्रपति शासन संविधान के अनुच्छेद 239AB के तहत लागू किया जा सकता है. यह प्रावधान उपराज्यपाल को केंद्र सरकार से दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश करने की शक्ति देता है. उपराज्यपाल यह सिफारिश इस स्थिति में कर सकता है, जब उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक स्थिति खराब दिखाई दे. इसके अलावा अनुच्छेद 239AA के तहत भी राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है, जिसमें राज्य सरकार को अपने कर्तव्य का सही तरीके से निर्वहन करने में सक्षम नहीं मानते हुए उपराज्यपाल राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकता है. इसके लिए दिल्ली में उपराज्यपाल मुख्यमंत्री केजरीवाल के 5 महीने से जेल में बंद रहने का तर्क दे सकते हैं.

राष्ट्रपति शासन में क्या होता है

  • किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने पर सत्ता की कमान राज्यपाल (दिल्ली में उपराज्यपाल) के हाथ में आ जाती हैं.
  • विधानसभा भंग हो जाती है और पूरी प्रशासनिक व्यवस्था विधायिका से कार्यपालिका यानी प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ में आ जाती है.
  • खास हालात में राष्ट्रपति के पास विधानसभा के नीतिगत व कानूनी फैसले लेने की शक्तियां भारतीय संसद को सौंपने की भी शक्ति होती है.

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