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Anand Mohan Prison Release: ना बैंड बाजा, ना रोड शो, 5 पॉइंट्स में जानें क्यों 'लो प्रोफाइल' रही बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई

Bihar News: बिहार के बाहुबली पूर्व सांसद की रिहाई के लिए पहले समर्थकों ने 500 कारों के रोड शो का इंतजाम कर रखा था, लेकिन अचानक आनंद मोहन सुबह 4 बजे जेल से चले गए.

Anand Mohan Prison Release: ना बैंड बाजा, ना रोड शो, 5 पॉइंट्स में जानें क्यों 'लो प्रोफाइल' रही बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई

Anand Mohan Singh

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डीएनए हिंदी: Who is Anand Mohan Singh- बिहार के बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह (Anand Mohan Singh) की रिहाई पर पूरे देश की नजरें लगी हुई थीं. बिहार सरकार की तरफ से जेल नियमों को बदलकर किसी भी कीमत पर आनंद मोहन सिंह को रिहा करने की कोशिश ने इस मामले को अनूठा बना दिया. ऐसे में सत्ता के गलियारों से आम आदमी की चौपाल तक इसकी ही चर्चा थी. ऐसे में माना जा रहा था कि शानोशौकत और बाहुबल दिखाने के शौकीन आनंद मोहन सिंह की जेल से रिहाई भी एक भव्य आयोजन सरीखी रहेगी. उनके समर्थकों ने इसका इंतजाम भी कर रखा था, लेकिन अचानक सबकुछ बदल गया. आनंद मोहन सिंह ने जब गुरुवार 27 अप्रैल, 2023 को जेल से रिहा होकर बाहर कदम रखा तो हर तरफ खामोशी थी और गर्मियों की सुबह का हल्का अंधियारा छाया हुआ था. ना कोई बैंड-बाजा था, ना ही उनके समर्थकों की भीड़ और ना कोई रोड शो.

इसके बाद से ही यह सवाल उठ रहा है कि आखिर बिहार के सबसे बड़े बाहुबलियों में से एक आनंद मोहन ने अपनी रिहाई इतनी 'लो प्रोफाइल' क्यों बना दी? आइए 5 पॉइंट्स में जानते हैं इस सवाल का जवाब.

VIDEO: Anand Mohan Released-आनंद मोहन को मिली रिहाई, जानें कौन है गैंगस्टर से नेता बना बिहार का ये बाहुबली

1. सोलह साल बाद जेल से रिहा हुए आनंद मोहन

आनंद मोहन पर IAS अफसर जी. कृष्णैया (district magistrate G Krishnaiah) की अपने समर्थकों के साथ मिलकर पीट-पीटकर हत्या करने का आरोप था, जिसमें उनका दोष साबित होने पर उम्रकैद की सजा मिली थी. वे करीब 16 साल से सहरसा जिला कारागार में बंद थे, जहां से उन्हें गुरुवार को रिहा किया गया. आनंद मोहन उन 26 कैदियों में से एक हैं, जिन्हें नीतीश कुमार की बिहार सरकार के जेल नियमों में संशोधन के कारण रिहाई मिली है. 

2. रिहाई 26 की, लेकिन विवाद केवल आनंद मोहन पर

इस महीने की शुरुआत में राज्य के गृह विभाग ने बिहार प्रिजन मैनुअल, 2012 के नियम संख्या 481 (1-ए) में संशोधन की अधिसूचना जारी की थी. इस संशोधन के जरिये इस नियम में उस लाइन को हटाया गया, जिसमें लिखा था 'या ऑन ड्यूटी सरकारी कर्मचारी की हत्या करने वाले'. पुराने नियम में इस लाइन के जरिये प्रावधान था कि ऑन ड्यूटी सरकारी कर्मचारी की हत्या करने वाले को किसी भी तरीके से रिहा नहीं किया जा सकता है, लेकिन यह लाइन हट जाने से राज्य सरकार को ऐसे कैदियों की रिहाई की छूट मिल गई. विपक्षी दलों का आरोप है कि जिन 26 कैदियों को रिहा किया गया है, उनमें इस लाइन के हटने के कारण ही आनंद मोहन का नाम शामिल हो सका है. यही कारण है कि केवल उनके नाम पर विवाद हो रहा है.

पढ़ें- कौन है आनंद मोहन, जिसकी रिहाई के लिए कानून बदल बैठे नीतीश कुमार?

3. विवाद रोकने को ही टाला 500 कारों का रोड शो

आनंद मोहन सिंह के हजारों समर्थकों ने उनकी रिहाई के समय सहरसा जेल पहुंचने का ऐलान कर रखा था. इन समर्थकों ने  रिहाई के बाद आनंद मोहन को 500 से ज्यादा कारों के रोडशो के साथ घर वापस लाने की तैयारी कर रखी थी. आनंद मोहन के करीबियों में गिने जाने वाले राष्ट्रीय जनता दल के एक नेता ने मीडिया से बताया कि रिहाई पर ग्रैंड वेलकम करने की तैयारी थी. इसके लिए गुरुवार दोपहर बाद उनकी रिहाई का कार्यक्रम रखा गया था, लेकिन उनकी रिहाई पर उठ रहे विवाद को बढ़ने से रोकने के लिए अचानक बुधवार रात को यह सारा आयोजन स्थगित कर दिया गया.

4. पटना हाई कोर्ट में PIL पर सुनवाई से पहले कराई रिहाई

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में PIL दाखिल की गई थी. साथ ही सैकड़ों लोग इसे लेकर हल्ला कर रहे थे. इस कारण PIL पर गुरुवार को संभावित सुनवाई से पहले रिहाई की प्रक्रिया पूरी करने का निर्णय लिया गया. बुधवार रात को ही जेल प्रशासन पर दबाव डालकर रिकॉर्ड टाइम में रिलीज प्रोसेस पूरा कराया गया. इसके बाद चुपके से गुरुवार सुबह 4 बजे बिना किसी तामझाम के आनंद मोहन की बेहद 'लो प्रोफाइल' तरीके से रिहाई की गई, जब लोग सो रहे थे और सड़कें भी पूरी तरह सुनसान थीं. रिहा होते ही आनंद मोहन सीधे सहरसा जिले के कोसी नदी क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित पिछड़े इलाके में मौजूद अपने पैतृक गांव पंचगछिया पहुंच गए. वहां भी बेहद शांति के साथ उनका स्वागत किया गया.

पढ़ें- आनंद मोहन के समर्थन में उतरे कई दिग्गज नेता, बाहुबली की रिहाई पर बिहार में हंगामा, वजह क्या है

5. जी. कृष्णैया की पत्नी की घोषणा ने भी लो प्रोफाइल रखी रिहाई

मृत IAS अफसर जी. कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने आनंद मोहन सिंह की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा कर रखी है. उन्होंने कहा, हम एक ऐसे अपराधी की रिहाई के खिलाफ लड़ेंगे, जिसने एक आईएएस अफसर की हत्या की और जिसे उच्च अदालत द्वारा दोषी भी माना गया. माना जा रहा है कि रिहाई में ज्यादा चमक-दमक दिखाने पर सुप्रीम कोर्ट में इसका गलत असर होने की सलाह वकीलों ने आनंद मोहन सिंह को दी थी. इसके चलते भी उन्होंने अपनी रिहाई बेहद खामोशी के साथ कराई है. 

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