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DNA Lit में पढ़ें चर्चित रूसी कहानी गिरगिट की दूसरी किस्त

Famous Russian Story Girgit: अंतोन चेखव रूसी कथाकार हैं. उनकी कहानियों में सामाजिक विसंगतियों पर करारा व्यंग्य मिलता है. इस कहानी में पुलिस का वह चरित्र उभर कर सामने आता है, जिसकी वजह से आम आदमी पुलिस महकमे पर भरोसा नहीं कर पाता. डीएनए लिट में आज पढ़ें रूसी कहानी गिरगिट की दूसरी किस्त.

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DNA Lit में पढ़ें चर्चित रूसी कहानी गिरगिट की दूसरी किस्त

अंतोन चेखव की कहानी गिरगिट की दूसरी किस्त.

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डीएनए हिंदी : गिरगिट की पहली किस्त में आपने पढ़ा कि ख्रुकिन को सफेद ग्रेहाउंड पिल्ले ने काट लिया था. उसके शोर-शराबे से मजमा लग चुका था और  दारोगा ओचुमेलोव वहां अपने एक सिपाही के साथ पहुंच चुका था. ख्रुकिन ने दारोगा से गुहार लगाई थी कुत्ते के मालिक से हरजाना दिलवाया जाए. इस दूसरी किस्त में पढ़ें आगे की कहानी...

गिरगिट (दूसरी किस्त)

"हुंह...अच्छा..." ओचुमेलोव गला साफ करके, त्योरियां चढ़ाते हुए कहता है, "ठीक है...अच्छा, यह कुत्ता है किसका? मैं इस बात को यहीं नहीं छोड़ुंगा! यों कुत्तों को छुट्टा छोड़ने का मजा चखा दूंगा! लोग कानून के मुताबिक नहीं चलते, उनके साथ अब सख्ती से पेश आना पड़ेगा! ऐसा जुरमाना ठोकूंगा कि दिमाग ठीक हो जाएगा बदमाश का! फौरन समझ जाएगा कि कुत्तों और हर तरह के ढोर-डंगर को ऐसे छुट्टा छोड़ देने का क्या मतलब है! मैं ठीक कर दूंगा, उसे! येल्दीरिन! सिपाही को संबोधित कर दारोगा चिल्लाता है, पता लगाओ कि यह कुत्ता है किसका, और रिपोर्ट तैयार करो! कुत्ते को फौरन मरवा दो! यह शायद पागल होगा... मैं पूछता हूं यह कुत्ता है किसका?"

"यह शायद जनरल झिगालोव का हो!" भीड़ में से कोई कहता है. "जनरल झिगालोव का? हुंह... येल्दीरिन, जरा मेरा कोट तो उतारना...ओफ, बड़ी गर्मी है... मालूम पड़ता है कि बारिश होगी. अच्छा, एक बात मेरी समझ में नहीं आती कि इसने तुम्हें काटा कैसे?" ओचुमेलोव ख्रूकिन की ओर मुड़ता है. "यह तुम्हारी उंगली तक पहुंचा कैसे? यह ठहरा जरा सा जानवर और तुम पूरे लहीम-शहीम आदमी. किसी कील-वील से उंगली छील ली होगी और सोचा होगा कि कुत्ते के सिर मढ़ कर हरजाना वसूल कर लो. मैं खूब समझता हूं! तुम्हारे जैसे बदमाशों की तो मैं नस-नस पहचानता हूं!"

"इसने उसके मुंह पर जलती हुई सिगरेट लगा दी, हुजूर! बस, यूं ही मजाक में. और यह कुत्ता बेवकूफ तो है नहीं, उसने काट लिया. ओछा आदमी है यह हुजूर!"

एआई की परिकल्पना : अंतोन चेखव की कहानी गिरगिट का एक दृश्य.

"अबे! काने! झूठ क्यों बोलता है? जब तूने देखा नहीं, तो झूठ उड़ाता क्यों है? और सरकार तो खुद समझदार हैं. सरकार खुद जानते हैं कि कौन झूठा है और कौन सच्चा. और अगर मैं झूठा हूं, तो अदालत से फैसला करा लो. कानून में लिखा है...अब हम सब बराबर हैं, खुद मेरा भाई पुलिस में है... बताए देता हूं... हां..."

"बन्द करो यह बकवास!"
"नहीं, यह जनरल साहब का नहीं है." सिपाही गंभीरतापूर्वक कहता है "उनके पास ऐसा कोई कुत्ता है ही नहीं, उनके तो सभी कुत्ते शिकारी पोंटर हैं."
"तुम्हें ठीक मालूम है?"
"जी, सरकार."

"मैं भी जानता हूँ. जनरल साहब के सब कुत्ते अच्छी नस्ल के हैं, एक से एक कीमती कुत्ता है उनके पास. और यह! यह भी कोई कुत्तों जैसा कुत्ता है, देखो न! बिल्कुल मरियल खारिश्ती है. कौन रखेगा ऐसा कुत्ता? तुम लोगों का दिमाग तो खराब नहीं हुआ? अगर ऐसा कुत्ता मास्को या पीटर्सबर्ग में दिखाई दे, तो जानते हो क्या हो? कानून की परवाह किए बिना एक मिनट में उसकी छुट्टी कर दी जाए! ख्रूकिन! तुम्हें चोट लगी है और तुम इस मामले को यूं ही मत टालो... इनलोगों को मजा चखाना चाहिए! ऐसे काम नहीं चलेगा."

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"लेकिन मुमकिन है, जनरल साहब का ही हो..." कुछ अपने आपसे सिपाही फिर कहता है, "इसके माथे पर तो लिखा नहीं है. जनरल साहब के अहाते में मैंने कल बिल्कुल ऐसा ही कुत्ता देखा था."
"हां, हां, जनरल साहब का ही तो है!" भीड़ में से किसी की आवाज आती है.

(अब यह कन्फ्यूजन पैदा हो गया है कि कुत्ता आम आदमी का है या जनरल साहब का? अगर कुत्ता जनरल साहब का है तो दारोगा का रुख क्या होगा? क्या वह तब भी ख्रुकिन को हरजाना दिलवाने को तत्पर होगा या दारोगा की चाल बदल जाएगी? इन सवालों के जवाब पढ़ें तीसरी किस्त में.)

कहानी गिरगिट की पहली किस्त

कहानी गिरगिट की अंतिम किस्त

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