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Nargis के नाम बेटी नम्रता का इमोशनल नोट, कहा- छुपकर रोते थे पापा पर कभी चेहरे पर झलकने नहीं दिया दुख

नरगिस की बड़ी बेटी नम्रता दत्त ने एक इमोशनल नोट शेयर कर मां नरगिस को याद किया और कि कैसे आखिरी सांस तक सुनील दत्त उनके साथ थे.

Nargis के नाम बेटी नम्रता का इमोशनल नोट, कहा- छुपकर रोते थे पापा पर कभी चेहरे पर झलकने नहीं दिया दुख

मां को याद कर भावुक हुईं नम्रता दत्त

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डीएनए हिंदी: बीते जमाने की मशहूर अदाकारा नरगिस (Nargis) आज हमारे बीच में नहीं हैं. उनको गुजरे 41 साल हो गए हैं. 3 मई यानी बीते दिन उनकी डेथ एनिवर्सिरी (death anniversary) पर परिवार सहित उनके सभी चाहने वालों ने उन्हें याद किया. इस मौके पर नरगिस की बेटी नम्रता दत्त (Namrata Dutt) ने एक इमोशनल नोट शेयर किया. उन्होंने बताया कि उनकी मां की आखिरी सांस तक सुनील दत्त (Sunil Dutt) उनके साथ उनका सहारा बने हुए थे.

पिंकविला को दिए एक नोट में नम्रता दत्त ने अपनी मां की आखिरी इच्छा को याद किया. उन्होंने बताया कि उनकी मां नरगिस को 1980 में कैंसर (Cancer) का पता चला था और फिर कैसे उनके पिता सुनील दत्त ने उनकी देखभाल के लिए खुद को समर्पित कर दिया था. नम्रता ने लिखा "पापा हर दिन सुबह से रात तक उनके साथ थे. वो उन्हें खाना खिलाते थे, उन्हें साफ करते थे. हम बहनें भी उनकी देखभाल करते थे. मुझे यकीन है कि पापा चुपके से रोते थे, लेकिन उन्होंने हमें कभी नहीं बताया कि, वो रोते हैं.''

नम्रता ने आगे बताया कि कैंसर की दर्दनाक सर्जरी के बाद नरगिस कोमा में चली गईं थीं. उन्होंने कहा, "मां की सर्जरी के तुरंत बाद उन्हें आंतरिक रूप से रक्तस्राव होने लगा. इसके बाद डॉक्टर्स ने पांच से छह बार फिर से उनकी सर्जरी को ओपेन किया, क्योंकि रक्तस्राव रुक नहीं रहा था. जब वे उन्हें सिलाई नहीं कर सके, तो उन्होंने उसे स्टेपल कर दिया. शरीर इतने दर्द से गुजरा कि वो कोमा में चली गईं.''

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कोमा के दौरान नम्रता, प्रिया और सुनील उनसे बात करते थे इस उम्मीद से कि शायद एक दिन नरगिस को होश आ जाए. नम्रता ने उस पल को भी याद किया जब नरगिसने हिम्मत जुटा कर कोमा से वॉकर पर चलकर बाहर आई थीं. उनको ऐसे देखकर अस्पताल के लोगों ने तालियां बजाई थी और उनको 'मिरैकल लेडी' कहा था. नम्रता ने कहा 'वो पल एकदम दिल को छू लेने वाला था.'

कैंसर मुक्त होने के बाद साल 1981 में वो भारत लौट आई थीं. परेशानियां तब भी कम न हुईं, नरगिस के अंदर यूरिनरी इंफेक्शन डेवलप हो गया और तकलीफें बढ़ती गईं, उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया, जहां वो फिर से कोमा में चली गई थीं. और 3 मई 1981 को 52 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. 

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