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Heart Attack In Children: बड़े ही नहीं बच्चों को भी आ सकता है हार्ट अटैक? एक्सपर्ट्स से जानें इसकी वजह और रोकथाम का तरीका

हाल ही में 12 से 15 साल के किशोर की भी हार्ट अटैक से मौत हो गई. ऐसे जानते हैं बच्चों में हार्ट अटैक आने की वजह और रोकथाम क्या है.

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Heart Attack In Children: बड़े ही नहीं बच्चों को भी आ सकता है हार्ट अटैक? एक्सपर्ट्स से जानें इसकी वजह और रोकथाम का तरीका
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डीएनए हिंदी: (Heart Attack Risk In Child) हार्ट में दो कोरोनरी नसें ब्लड का सर्कुलेशन करती है. इन्हीं के साथ ​दिल में ऑक्सीजन भी जाता है. यह दिल की मांसपेशियों को जीवित रखने के लिए बहुत ही जरूरी होता है, लेकिन जैसे ही ब्लड सर्कुलेशन अचानक से रूक जाता है. तभी दिल की मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं. ऐसी स्थिति को ही हार्ट अटैक कहा जाता है. बच्चों में दिल का दौरा बहुत कम होता है, जब तक कि दिल की मांसपेशियों की कोई गहरी बीमारी न हो. एक्सपर्ट्स की मानें तो स्वास्थ्य की स्थितियां ही बच्चों में हार्ट अटैक (Heart Attack) की संभावनाओं को बढ़ाती है.

ये बीमारियों बच्चों दिल पर बढ़ाते हैं हार्ट अटैक का खतरा

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हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी 

इस स्थिति में दिल की मांसपेशियां बहुत मोटी हो जाती हैं. मोटापे की वजह से मांसपोशियों को ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत होती है, जो कोरोनरी नसें आपूर्ति करने में असमर्थ होती हैं. खासकर व्यायाम या खेलते समय बच्चा गिरने के साथ ही उसकी मौत तक हो सकती है. यह बच्चों में अचानक हार्ट अटैक की सबसे आम वजह है. 

दिल की मांसपेशियों की असामान्य उत्पत्ति 

कुछ बच्चों में हार्ट अटैक का दूसरा सबसे बड़ा कारण मांसपेशियों या कोरोनरी नसों की असामान्य उत्पत्ति है. इससे हार्ट की मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे दिल का दौरा पड़ता है.

कावासाकी रोग 

यह प्रतिरक्षा प्रणाली में गड़बड़ी के कारण होता है और कोरोनरी नसों को प्रभावित कर सकता है, जिससे हृदय और दिल का दौरा पड़ सकता है.

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मायोकार्डिटिस 

बच्चों के दिल में मायोकार्डिटिस एक दुलर्भ रोग है. यह वायरल संक्रमण के प्रति प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के कारण हो सकता है. यह जानलेवा हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप खराब दिल की क्रिया और असामान्य लय हो सकती है.

बच्चों में दिल के दौरे की रोकथाम 

एक्सपर्ट्स के अनुसार, दिल के दौरे के जोखिम को रोकने के लिए, पहले दिल की अंतर्निहित बीमारी का निदान और इलाज किया जाना चाहिए. सबसे पहले, हम स्कूली बच्चों को स्क्रीनिंग की सलाह देते हैं, विशेष रूप से जन्मजात दिल के रोग या अचानक कार्डियक अरेस्ट के पारिवारिक इतिहास वाले ज्यादातर दिल के रोगों का निदान इकोकार्डियोग्राफी द्वारा किया जा सकता है. इकोकार्डियोग्राफी दिल का एक अल्ट्रासाउंड है, जो एक दर्द रहित विधि है और बच्चों में अधिकांश हृदय रोगों के निदान में बहुत सटीक है.

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ऐसी स्थिति में तुरंत लें डॉक्टर की सलाह

कुछ मामलों में, जिन बच्चों को दिल का दौरा पड़ने का अधिक खतरा होता है, उन्हें रक्त के थक्कों को बनने से रोकने के लिए एस्पिरिन लेने की जरूरत हो सकती है. हालांकि, अपने बच्चे को कोई भी दवा देने से पहले स्वास्थ्य देखभाल एक्सपर्ट डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है. यदि किसी बच्चे को सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ या दिल के दौरे के अन्य लक्षणों का अनुभव होता है, तो तुरंत इलाज कराना जरूरी है. शुरुआत इलाज बच्चे की जान बचा सकता है.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।) 

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