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National Nutrition Week: 71 फीसदी भारतीय पौष्टिक खाने का खर्च नहीं उठा पाते, CSE ​की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

National Nutrition Week 2022 in Hindi: राष्ट्रीय पोषण सप्ताह (NNW)) हर साल देश में 1 से 7 सितंबर तक मनाया जाता है. इस पोषण सप्ताह को मनाने का मुख्य उद्देश्य बेहत्तर स्वास्थ्य के लिए पोषण के महत्व पर जागरूकता बढ़ाना है लेकिन CSE ​की रिपोर्ट जानकार आप हैरान हो जाएंगे कि देश में 71 प्रतिशत लोग पोषक तत्‍व पर खर्च ही नहीं कर पाते. 

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National Nutrition Week: 71 फीसदी भारतीय पौष्टिक खाने का खर्च नहीं उठा पाते, CSE ​की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

पौष्टिक आहार का खर्च वहन नहीं कर पाते 71 फीसदी भारतीय, चौंकाती है सीएसई ​की रिपोर्ट
 

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डीएनए हिंदी: हर साल स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) ‘राष्‍ट्रीय पोषण सप्‍ताह’ (National Nutrition Week) मनाता है और इस दौरान बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य की रक्षा और बेहतर विकास के लिए अभियान चलाया जाता है. हालांकि सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरन्मेंट (सीएसई) की रिपोर्ट पढ़कर आप चौंक जाएंगे कि 71 प्रतिशत भारतीय स्वस्थ आहार पर खर्च नहीं कर पाते.

बैलेंस और न्यूट्रीशियस डाइट न होने के कारण ही हर साल 17 करोड़ व्यक्तियों की मौत हो जाती है। ‘स्टेट ऑफ इंडियाज इनवायरन्मेंट 2022: इन फीगर्स’ की नामक रिपोर्ट बताती है कि आहार सही न होने के चलते सांस संबंधित रोग, डायबिटीज, कैंसर, हार्ट अटैक के मामले अधिक हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि आहार में फल, सब्जियों, साबुत अनाज की कमी होती है.

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भारत में, 20 वर्ष या इससे अधिक आयु के लोग हर रोज सिर्फ 35.8 ग्राम फल खाते हैं, जबकि रोजाना लोगों को 200 ग्राम फल खाने की सिफारिश की गई है. वहीं न्यूनतम 300 ग्राम सब्जियों की तुलना में लोग महज 168.7 ग्राम सब्ज़ी ही खा रहे हैं. लोग प्रतिदन 24.9 ग्राम दाल (लक्ष्य का 25 प्रतिशत) और 3.2 ग्राम गिरिदार फल या मेवा (लक्ष्य का 13 प्रतिशत) का ही इस्तेमाल करते हैं।

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फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (खाद्य एवं कृषि संगठन) के मुताबिक, स्वस्थ आहार, उस समय अफोर्डेबल नहीं माना जाता है जब ये किसी व्यक्ति की आय के 63 प्रतिशत से अधिक इस पर लागत आती है। रिपोर्ट में खाद्य पदार्थों की कीमतों का भी विश्लेषण किया गया है। विश्लेषण से यह प्रदर्शित होता है कि खाद्य पदार्थ की कीमतें मार्च-अप्रैल 2022 में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत इजाफा हुआ हैं।

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