Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Delhi High Court: हाई कोर्ट का अहम फैसला, 'दामाद को घर-जमाई बनने के लिए कहना क्रूरता'

Delhi High Court Case: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक तलाक केस की सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि दामाद को शादी के बाद पत्नी के घर में रहने के लिए कहना और घर-जमाई बनने के लिए दबाव डालना मानसिक क्रूरता है.

Delhi High Court: हाई कोर्ट का अहम फैसला, 'दामाद को घर-जमाई बनने के लिए कहना क्रूरता'

Delhi High Court

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदी: दिल्ली हाई कोर्ट ने तलाक के एक केस की सुनवाई करते हुए गंभीर टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि तलाक की इजाजत देते हुए कहा है कि दामाद को पत्नी के घर में रहने और घर-जमाई बनने के लिए कहना मानसिक क्रूरता है. इसके आधार पर कोर्ट ने तलाक की अर्जी मंजूर कर दी है. कोर्ट में एक शख्स ने तलाक की अर्जी दी थी जिसमें उसने बताया था कि गर्भवती होने पर पत्नी अपने मायके चली गई और फिर वापस आने से इनकार कर दिया. साथ ही उसने दबाव बनाया कि पति अपना घर छोड़कर मायके में रहे और घर-जमाई बनकर रहने के लिए तैयार हो जाए. हाई कोर्ट ने इसे आधार मानते हुए तलाक दे दिया है. 

निचली अदालत के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बदला 
दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस सुरेश कुमार कैत और नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया. निचली अदालत ने याचिकाकर्ता की अपील को अस्वीकार कर दिया था.याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि 2001 में उसकी शादी हुई थी. एक साल के भीतर उसकी पत्‍नी गर्भवती होने पर गुजरात में अपना ससुराल छोड़कर दिल्ली में अपने माता-पिता के घर लौट आई. इसके बाद कई बार कहने के बाद भी उसकी पत्नी ने वापस गुजरात लौटने से इनकार कर दिया.

यह भी पढ़ें: लैंडर विक्रम ने कर ली पहली बड़ी खोज, जानें चांद के बारे में क्या खास बात पता चली

याचिकाकर्ता का कहना है कि उसने सुलह के लिए गंभीर प्रयास किए लेकिन उसकी पत्‍नी और उसके माता-पिता राजी नहीं हुए. उनकी एक ही मांग थी कि वह उनके साथ 'घर जमाई' के रूप में रहे. उस शख्स ने कहा कि उसके माता-पित बूढ़े हैं और उनकी देखभाल के लिए उसके लिए घर में रहना जरूरी है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील स्वीकार करते हुए इसे मानसिक क्रूरता माना और तलाक दे दिया है. कोर्ट ने कहा इस रिश्ते में सुलह की कोशिशें कामयाब नहीं हुईं और याचिकाकर्ता के साथ मानसिक क्रूरता हुई है.

यह भी पढ़ें: Nuh Yatra: नूंह में शोभा यात्रा निकालने पर अड़े वीरेश शांडिल्य, पुलिस ने लगाया बैरिकेड

हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया हवाला 
महिला ने आरोप लगाया था कि उसका पति शराबी है और दहेज के लिए कई बार उसे शारीरिक तौर पर प्रताड़ित भी किया था. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि किसी बेटे को अपने परिवार और बूढ़े माता-पिता को छोड़ने के लिए कहना मानसिक क्रूरता है. कोर्ट ने यह भी कहा किसी बेटे को जरूरत पर अपना परिवार छोड़ना पड़ सकता है. बूढ़े माता-पिता की देखभाल करना हर बेटे का नैतिक और कानूनी दायित्व भी है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement