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DNA TV Show: 81 साल के किसान ने दुर्लभ प्रजाति के 81 पौधे नर्सरी में लगाए, अब राष्ट्रपति करेंगी सम्मानित 

Arjun Mandal Nursery: बिहार के जमुई में रहने वाले 81 साल के अर्जुन मंडल की कहानी बहुत से लोगों के लिए प्रेरणा है. उन्होंने सालों की अथक मेहनत के बाद ऐसी नर्सरी तैयार की है जिसकी चर्चा आज पूरे देश में हो रही है और उन्हें सम्मान भी मिला है.   

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Arjun Mandal

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डीएनए हिंदी: कहते हैं कि कुछ लोगों का नाम और पहचान उनके काम से बन जाती है. ऐसे ही लोगों के लिए हिंदी में यह कविता लिखी गई है: काम ऐसा करो, कि एक पहचान बन जाए. हर कदम ऐसा चलो, कि निशान बन जाए. यहां जिंदगी तो, हर कोई काट लेता है. जिंदगी जीयो इस कदर कि मिसाल बन जाए. इन लाइनों का सही मायने में अर्थ समझाया है बिहार के एक बुजुर्ग किसान ने. बिहार के जमुई जिले में एक गांव है चिनवेरिया. यहां रहने वाले 81 साल के बुजुर्ग किसान अर्जुन मंडल को अब उनके एक सराहनीय योगदान के लिए सम्मान मिलने वाला है. जानें क्या है इस बुजुर्ग किसान की मुहिम और उन्होंने ऐसा क्या काम किया है जिसकी हर ओर चर्चा हो रही है. 

दुर्लभ प्रजाति के पौधों की खान है अर्जुन की नर्सरी
बिहार के अर्जुन मंडल ने एक ऐसी नर्सरी तैयार की है जहां दुर्लभ प्रजाति के पौधों का खजाना है. इस नर्सरी में विलुप्त हो चुकी दुर्लभ औषधियों की 200 से ज्यादा प्रजातियां हैं. उन्होंने अपनी नर्सरी का नाम आरोग्य वाटिका रखा है. इस आरोग्य वाटिका को बनाने में पांच दशक की कड़ी मेहनत लगी है.विलुप्त हो रहे औषधीय पौधे को बचाने की इस मुहिम के लिए भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से सम्मानित किया जाएगा. अर्जुन मंडल को यह पुरस्कार 12 सितंबर को राजधानी दिल्ली में दिया जाएगा.

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एक से बढ़कर एक दुर्लभ पौधे हैं नर्सरी में 
किसान अर्जुन मंडल ने अपनी नर्सरी आरोग्य वाटिका में मालकांगनी, गरुड़तरु, लक्ष्मीतरु, दमबेल, बाकस, चारुपुत्रक, कुचला, ईश्वर मूल और गुलमार जैसी कई दुर्लभ औषधियों को संरक्षित कर रखा है. यही नहीं विलुप्त हो रहे औषधीय पौधों को घरों में लगाने के लिए वो लोगो को प्रेरित भी करते हैं. उनका कहना है कि भारत में औषधीय पौधों का इस्तेमाल सदियों पुराना है और वह चाहते हैं कि लोग इस विरासत के बारे में जानें और बचाने के लिए जागरूक हों.

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किसान अर्जुन मंडल ने 1969 में होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज भागलपुर से डिप्लोमा भी किया है. इसके एक साल बाद 1970 से औषधीय पौधों को संरक्षित करते आ रहे हैं. इस काम के लिए उन्हें कई बार सम्मानित किया जा चुका है. साल 2006 में बिहार सरकार द्वारा किसान श्री सम्मान, वर्ष 2009 में राष्ट्रपति उद्यान के डायरेक्टर ने सम्मानित किया था. साल 2013 में गुजरात सरकार ने श्रेष्ठ किसान पुरस्कार से सम्मानित किया और अब आगामी 12 सितंबर को अर्जुन मंडल को नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जाएगा.

 

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