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DNA TV SHOW: काली कमाई के लिए मरीजों की जान से खेल रहीं फार्मा कंपनियां, सरकारी नियमों की उड़ाती हैं ऐसे धज्जियां

DNA TV Show: भारत की फार्मा कंपनियां भारत सरकार के आदेश और नियमों को ताक पर रखकर काली कमाई कर रही है. आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों और कैसे किया जा रहा है...

DNA TV SHOW: काली कमाई के लिए मरीजों की जान से खेल रहीं फार्मा कंपनियां, सरकारी नियमों की उड़ाती हैं ऐसे धज्जियां

DNA TV SHOW

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डीएनए हिंदी: भारत की  फार्मा कंपनियां भारत सरकार के आदेश और नियमों को ताक पर रखकर काली कमाई कर रही है. आज डीएनए टीवी शो में सौरभ राज जैन के साथ जानिए कि कंपनियां ऐसी लूट कैसे कर रही हैं. हम आपको बताएंगे कि सरकार के नियमों के अनुसार दवाओं की कीमत क्या निर्धारित की गई है और दवा कंपनियां उसको ताक पर रखकर कैसे काम कर रही हैं. 

 भारत सरकार की National Pharmaceutical Pricing Authority यानी NPPA का Gazette Notification  के जरिये सरकार, हर साल साधारण खांसी-बुखार से लेकर कैंसर, ह्दय रोग और एंटी वायरल दवाओं की अधिकतम कीमत तय करती है. सरकार ने इस साल 472 जरूरी दवाओं की अधिकतम कीमतें तय कीं थीं, जिससे ज्यादा कीमत पर कोई दवा नहीं बेची जा सकती. ऐसा भारत सरकार, बीते कई दशकों से कर रही है ताकि देश का हर नागरिक जीवन रक्षक दवाओं को अफोर्ड कर पाए. लेकिन आज हम आपको आपरेशन फार्मा के तहत बताएंगे कि कैसे बड़ी-बड़ी दवा निर्माता कंपनियां, सरकार के नियमों की ना सिर्फ धज्जियां उड़ा रही हैं बल्कि तय कीमतों से दोगुने से लेकर पांच गुना कीमत पर दवाएं बेच रही हैं.

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 ऐसे लूट रही हैं दवा कंपनियां

अपनी तहकीकात के दौरान Zee News संवाददाता शिवांक मिश्रा ने बाजार में बिक रहीं उन दवाओं की कीमत देखा तो पता चला कि सरकार के Gazette Notification में शामिल 100 से ज्यादा दवाएं, सरकार द्वारा निर्धारित अधिकतम कीमत से ज्यादा MRP पर बिक रही हैं. ये MRP, तय कीमतों से चार गुना तक ज्यादा हैं. जिनमें Cadilla Pharma, Cipla, Hetero Pharma, Intas Pharma, Sun Pharma, PFizer जैसी बड़ी बड़ी कंपनियों की दवाएं भी शामिल हैं, हालांकि इस फ्रॉड में भारत में दवा बनाने वाली छोटी कंपनिया भी पीछे नहीं हैं, जिनकी दवाईयों की MRP, भारत सरकार द्वारा तय किए गए कीमत से कई गुना ज्यादा हैं. 
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उदाहरण से समझिए कंपनियों का घोटाला 

आपको उदाहरण के लिए कुछ दवाओं के बारे में बताया जा रहा है,  जिनकी MRP भारत सरकार द्वारा तय की गई कीमतों से भी ज्यादा है. Plasma Cells के कैंसर के मरीजों को दिया जाने वाला Bortezomib 2mg injection के एक Vial की कीमत भारत सरकार ने 31 मार्च 2023 के Notification में 5 हजार 260 रुपए निर्धारित की थी. Cadila Pharma, ये Injection Borte-cad (बोर्टे-कैड) 2mg के नाम से बेचती है, जिसकी MRP 15 हजार 201 रुपए है.  इसी तरह HETERO PHARMA के Bortero 2mg की MRP है 12 हजार रुपए यानी कीमतें तय होने के बाद भी एक ब्रांड का इंजेक्शन तय कीमत से 3 गुना MRP पर और दूसरे ब्रांड का इंजेक्शन तय कीमत से दो गुना ज्यादा MRP पर बिक रहा है. इसी तरह भारत सरकार ने किडनी रोग, कैंसर या HIV AIDS के दौरान खून की कमी होने के उपचार में इस्तेमाल होने वाले Erythropoietin (एरिथ्रो-पोईटिन) की कीमत 1,969 रुपए तय की थी लेकिन यही इंजेक्शन दो बड़े ब्रांड, Intas Pharma और Janssen Pharma, तय कीमत से कई गुना ज्यादा कीमत पर बेच रहे हैं.

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Janssen Pharma के Eprex की MRP, 4 हजार 600 रुपए है तो INTAS PHARMA का EPOFIT (एपोफिट) Injection 3 हजार दो सौ पैतीस रुपए में बिक रहा है. Lung Cancer के उपचार में काम आने वाले Gemcita-bine (जेम्सिटा-बीन) 200mg इंजेक्शन की कीमत तो भारत सरकार ने तय की है 1 हजार 299 रुपए लेकिन Medicare Remedies का Gemceta-bibe-200 (जेम्सिटा-बीब-200)  5000 रुपए MRP पर बिक रहा है. HEALTH BIOTECH का Gemcit-200 2, 250 रुपये में बिक रहा है. 

मरीजों को नहीं होती यह जानकारी 

मरीजों को सरकार द्वारा निर्धारित कीमतों के बारे में पता ही नहीं होता. जिसका फायदा दवा निर्माता कंपनियां उठाती हैं और मनमर्जी की MRP पर दवाएं बेचती हैं. ये जानते हुए भी कि ऐसा करना ना तो कानूनी तौर पर और ना नैतिक तौर पर सही है. सरकार ने जिन 472 दवाओं की जो अधिकतम कीमत कीमत तय की हैं. उनमें से 160 दवाएं, बाजार में उससे ज्यादा MRP पर बेची जा रही हैं.कानूनी जानकारों की माने तो ये मामला Drugs Price Control Order का तो बनता ही है, जिसमे तय दाम से ज्यादा दाम को ब्याज के साथ जुर्माना देने का प्रावधान है बल्कि इसके Black marketing जैसे कानून भी शामिल हैं. जिस के आधार पर कार्यवाही होनी चाहिए. जरा सोचिए कि जब Zee News की Investigation में ये पता चल गया कि कैसे दवा कंपनियां, भारत सरकार के नियम और कानून तोड़कर MRP वाला Fraud कर रही हैं तो तो क्या भारत सरकार के जिम्मेदार अधिकारियों को इस बारे में नहीं पता होगा  या कहीं ऐसा तो नहीं कि दवा कंपनियों की सरकारी अधिकारियों से कोई सांठ-गांठ है? 

अगर कोई ये कहता है कि जो सच Zee News की Investigation में सामने आया है, उसके बारे में सरकारी विभागों को कोई खबर ही नहीं थी तो इस पर यकीन करना बेहद मुश्किल है. क्या दवा कंपनियों की खुलेआम चल रही MRP वाली लूट के बारे में NPPA और PCI जैसी संस्थाओँ को भनक तक नहीं है? अगर सरकारी संस्थाओं को सब पता है तो फिर ऐसा करने वाली दवा कंपनियों पर अभी तक कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया? Zee News Investigation में ये साबित हुआ है कि कई बड़ी और छोटी दवा कंपनियां, सरकार द्वारा निर्धारित कीमत से ज्यादा MRP पर दवाएं बेच रही हैं...और ये सीधे-सीधे आम जनता से लूट का मामला बनता है. अब ये भारत सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि इस मामले का संज्ञान ले और तय कीमतों से ज्यादा MRP पर दवाएं बेचने वाली कंपनियों के खिलाफ एक्शन हो ताकि आम लोगों का भला हो सके.

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