भारत
Independence Day 2022 India History: भारत के इतिहास में साल 1973 से 2000 तक का समय काफी उथल-पुथल भरा रहा. हर साल कुछ न कुछ ऐसी घटनाएं हुईं जिन्होंने देश की राजनीति को अलग ही दिशा दी. पढ़ें लोकेंद्र सिंह की रिपोर्ट.
डीएनए हिंदी: भारत की आजादी के 25 साल बाद यानी साल 1973 को एक टर्निंग पॉइंट माना जाता है. देश में कुछ ऐसे आंदोलन शुरू हुए जिन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नींद उड़ाकर रख दी. आने वाले कुछ सालों ने भारत की राजनीति की दिशा भी बदलने वाली थी. देश के संविधान में भी कुछ ऐसे बड़े परिवर्तन होने वाले थे जिनकी वजह से देश में भी कई तरह के बदलाव होने वाले थे. आइए जानते हैं कि साल 1973 से लेकर 2000 तक का भारत कैसे-कैसे आगे बढ़ा और कौन-कौन सी अहम घटनाएं देश के इतिहास में दर्ज हो गईं.
1973 में चिपको आंदोलन
इस साल को एक ऐसे आंदोलन के रूप में देखा जाता है जिसने इंदिरा गांधी की भी नींद उड़ा दी थी. गांव के लोगों में अपने जंगल को बचाने के लिए एक अलग तरह का जुनून और जज्बा देखने को मिला था. कटते जंगलों को बचाने और लोगों को जल, जंगल, जमीन से जोड़ने के लिए शुरू हुआ यह आंदोलन चिपको के नाम से प्रसिद्ध हुआ. चिपको आंदोलन रैणी के जंगलों में 26 मार्च 1973 को हुआ था. इस आंदोलन में किसान से लेकर महिलाओं ने भारी तरह से प्रदर्शन किया था और चिपको आंदोलन के नाम से ही स्पष्ट है कि तब जब भी कोई पेड़ों को काटने आता था तो आंदोलनकारी पेड़ों से चिपक जाते थे. इसके अलावा साल 1973 में बाघों की घटती संख्या को देखते हुए 1 अप्रैल के दिन उसी साल प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया गया. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में प्रोजेक्ट टाइगर के पहले डायरेक्टर के रूप में कैलाश सांखला को चुना गया था. आज इसी प्रोजेक्ट के बदौलत भारत में बाघों की संख्या बढ़ी है. उस वक्त से लेकर अब तक भारत में बाघों की संख्या दोगुनी हुई है. और 2018 के सर्वे के मुताबिक देश में 2967 बाघ हैं.
1974
यह देश के डिफेंस सेक्टर के लिए ऐतिहासिक साल था. 18 मई 1974 को भारत ने अपने परमाणु परीक्षण धमाके की गूंज दुनिया को सुनाई थी. इस पल का साक्षी बना था राजस्थान में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर जैसलमेर का पोखरण. भारत ने इस Nuclear Test से दुनिया को अपनी ताकत दिखाकर चौंका दिया था. ये भारत का पहला परमाणु परीक्षण इंदिरा गांधी के निर्देशन में किया गया था, यानी 1974 के बाद पोखरण की एक अलग पहचान बन गई.
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इसके अलावा हाल ही में हमने देखा कि किस तरह संकट में डूबे श्रीलंका की भारत ने बढ़चढ़कर मदद की.. तो भारत-श्रीलंका के रिश्तों के तार भी 1974 से जुड़े हैं. 1974 में ही भारत और पाकिस्तान के बीच सिरिमा-गांधी समझौता हुआ था. जिस पर श्रीलंका के प्रधानमंत्री सिरिमावो भंडारनायके और भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हस्ताक्षर किए थे. इस समझौते को भारत और श्रीलंका के बीच अच्छे संबंध बढ़ाने में एक कदम माना जाता है, क्योंकि इसने श्रीलंका में भारतीय मूल के लोगों के मुद्दों को हल करने में योगदान दिया.
1975
ये साल 1975 का था. तमाम आशंकाओं और चुनौतियों के बीच ये भारत के लिए लिटमस ईयर साबित होने वाला था. भविष्य अपने गर्भ में बहुत कुछ छिपा रहा था हालांकि अंदेशा सब कुछ बता रहा था. 19 अप्रैल को भारत को बड़ी कामयाबी मिली थी, जहां देश के पहले सैटलाइट आर्यभट्ट को अंतरिक्ष में भेजा गया था. इस सैटेलाइट को इसरो यानी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन और सोवियत यूनियन की मदद से बनाया गया था.
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सिंहासन खाली करो कि जनता आती है
देश के राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता पूरे देश में जोर शोर से फैल रही थी. देश के दिग्गज नेता यानी लोकनायक जयप्रकाश नारायण सरकार के खिलाफ सड़कों पर थे, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को संसद से अयोग्य घोषित करने का फैसला इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दे दिया था, राजनारायण को विजेता घोषित कर दिया था. इंदिरा गांधी की सरकार कटघरे में खड़ी हो गई थी. विरोध का सिलसिला थम नहीं रहा था और फिर 25 जून 1975 को आपातकाल घोषित कर दिया गया, इसे भारत के लोकतंत्र में काला अध्याय भी घोषित किया गया.
1978
साल 1978 अपने साथ नए प्रयोग लेकर आया था, दुनिया की टेस्ट ट्यूब बेबी 25 जुलाई 1978 को लुइस ब्राउन के रूप में आई तो भारत में लुइस के जन्म के 67 दिन यानी 3 अक्टूबर 1978 को भारत ने पहला टेस्ट ट्यूब बेबी बनाया. इसका पूरा श्रेय कोलकाता के डॉ सुभाष मुखोपाध्याय को जाता है. यह उपलब्धि हासिल करने वाले वो दुनिया के दूसरे व्यक्ति थे. ये बच्ची दुर्गा पूजा के दिन जन्म ली थी लिहाजा ये दुर्गा के नाम से मशहूर हुई लेकिन बाद में कनुप्रिया अग्रवाल का नाम दिया गया.
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हालांकि, यह साल भी भारत के दृष्टिकोण से काफी उथलपुथल वाला रहा, जहां जनता पार्टी की सरकार ने नोटबंदी का बड़ा फैसला लिया, मोरारजी भाई देश के प्रधानमंत्री थे लिहाजा उनके नोटबंदी की घोषणा के बाद 16 जनवरी 1978 को एक हजार, पांच हजार और दस हजार रुपये के नोट बंद कर दिए गए. उस समय भी घोषणा के अगले दिन सार्वजनिक छुट्टी रखी गई ताकि बैंक आने वाली मुश्किलों का सामना करने की तैयारी कर सकें. लोगों को पुराने नोट को एक्सचेंज करने के लिए सिर्फ तीन दिन का समय दिया गया.
1978 का कॉमनवेल्थ गेम कनाडा के एडमंटन में हुआ. लिहाजा ये कॉमनवेल्थ गेम भारत के लिए अच्छी खबर लेकर आया था, जहां बैडमिंटन में भारत को पहला गोल्ड प्रकाश पादुकोण ने दिया और इस साल भारत ने कुल 6 गोल्ड हासिल किए.
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1979
भारत के इतिहास में साल 1979 का अपने-आप में ही खास महत्व है. इस साल ऐसी कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं जो इतिहास के पन्नों में आज दर्ज होकर रह गई हैं. पहली है गुजरात के मोरबी शहर में आई वो बाढ़ जिसे याद कर लोग आज भी सिहर उठते हैं. लोग उस मंजर को आज भी नहीं भूले हैं, जब मोरबी शहर ने देखते ही देखते केवल 2 घंटों के भीतर जल समाधि ले ली थी. इंसानों और पशुओं के शव केवल जमीन पर ही नहीं, बल्कि पेड़ों पर लटके हुए थे. दरअसल, मोरबी शहर की जल सुविधा के लिए बनाया गया मच्छू 2 बांध लगातार हो रही बारिश की वजह से टूट गया. और अगले 10 मिनट के अंदर पूरा शहर पानी में डूब गया. चंद घण्टों पहले जो शहर आबाद था, वो अब लाशों के ढेर में तब्दील हो चुका था. इस बाढ़ में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मच्छु डैम हादसे के बाद इंसानों के 1,137 शव और जानवरों के 2,919 शव बरामद हुए थे. साथ ही उस समय करीब 100 करोड़ रुपये का नुकसान भी हुआ. इसके अलावा 17 अक्टूबर के दिन ही मदर टेरेसा को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था. मदर टेरेसा को कौन नहीं जानता. उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीब, अनाथ, लाचार और बीमार लोगों की सेवा में लगा दिया था.
1980
ये वो साल था जब आज की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी का उदय हुआ था. 1979 में मोरारजी देसाई की जनता पार्टी की सरकार गिर चुकी थी, और जनता पार्टी की ये असफलता भारतीय जनता पार्टी की नींव रखने का कारण बनी. इसके अलावा 1980 में इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी का निधन हो गया. एक विमान हादसे में 23 जून 1980 को संजय गांधी जान गंवा बैठे और इसी के साथ देश के राजनीतिक समीकरण बदलने लगे क्योंकि इसी के बाद से राजनीति में इंदिरा गांधी के बड़े बेटे राजीव गांधी के आने की सुगबुगाहट तेज़ हो गई.
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1984
ये साल 1984 का था जब विंग कमांडर राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में पैर रखा था. अप्रैल 1984 को जब वह अंतरिक्ष में पहुंचे तो उनके साथ ही भारत का नाम भी दुनिया के नक्शे में एक नई वजह से चमकने लगा था. अभी तक वो पहले भारतीय हैं जिनका रिकॉर्ड कोई नहीं तोड़ सका है. वहीं दूसरी प्रमुख घटना बच्छेंद्री पाल का एवरेस्ट फतह करना भी है जब उन्होंने 23 मई 1984 को कठिन परिस्थितियों में एवरेस्ट फतह किया था और साल का अंत आते-आते कुछ ऐसी घटना घट गई जिस पर किसी ने अंदेशा भी नहीं जताया होगा. 31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उनके आवास एक सफदरगंज पर कर दी गई थी, पूरा भारत अवाक रह गया था. उनकी हत्या ऑपरेशन ब्लू स्टार के कारण की गई थी जिसके कारण अलगाववादियों ने उन्हें निशाना बनाया.
1985
क्रिकेट हमारे देश में कितना लोकप्रिय खेल है ये तो हम सब जानते हैं. साल 1985 में भारत ने फाइनल में पाकिस्तान को हराकर ऑस्ट्रेलिया में आयोजित क्रिकेट की पहली विश्व चैंपियनशिप ट्रॉफी अपने नाम की थी. इसके साथ ही इसी साल तीन ऐसी चीजों का गठन हुआ जिसके आज बहुत मायने हैं. पहला तो इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी जिसे आज IGNOU के रूप में जाना जाता है. और आज के समय में ये दुनिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है, जहां भारत और अन्य 33 देशों के लगभग 40 लाख विद्यार्थी पढ़ाई करते हैं. इसके साथ ही ड्रग्स और नशीले पदार्थ के बढ़ते डिमांड को लेकर देशभर में Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act, 1985 भी बना और लागू किया गया. और आखिरी SPG यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप का गठन. जो आज के समय में देश के सबसे ताकतवर सिक्योरिटी ग्रुप के रूप में देखें जाते हैं साथ ही ये पीएम मोदी की भी सुरक्षा करते हैं.
1986
साल था 1986 भोपाल गैस त्रासदी को दो साल हो गए थे लेकिन जख्म अभी भी ताज़ा थे. लिहाज़ा पर्यावरण को लेकर सरकारें गंभीर हो चुकी थीं. प्रयास जारी थे और इसी कड़ी में संसद में पास हुआ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम. 19 नवंबर 1986 को Environment Protection Act लागू हो गई, जिसके जरिए देश में पर्यावरण के संरक्षण के लिए कई अहम कदम उठाए गए. इतना ही नहीं, इसी साल देश के तमाम उपभोक्ताओं के अधिकारों को ध्यान में रखते हुए 24 दिसंबर को Consumer Protection Act भी लागू हो गई थी.
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इसके अलावा, 1986 में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. बात है मशहूर बेजोय बनाम केरल राज्य मामले की जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने उन बच्चों के पक्ष में फैसला सुनाया जिनको राष्ट्रगान ना गाने की वजह से स्कूल से निकाल दिया गया था. फैसले में कोर्ट ने कहा कि धार्मिक आस्था की वजह से राष्ट्रगान गाने से इनकार करने के लिए, उन्हें स्कूल से निकाला जाना, संविधान के आर्टिकल 19(1) और आर्टिकल 25(1) का उल्लंघन है.
1990
साल 1990 में मंडल कमिशन की सिफारिशों को लागू किया गया था, लिहाजा विरोध की लपटों ने पूरे भारत को हिला दिया था, प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने मंडल कमिशन की सिफारिशों को लागू किया था. जहां दिल्ली के संसद मार्ग थाने पर छात्र राजीव गोस्वामी ने खुद को आग लगा लिया था जबकि सुरेंद्र सिंह चौहान ने खुदकुशी कर ली थी, पूरे देश में हाहाकार मच गया था, पिछड़ों को 27 फीसदी आरक्षण मिल गया था, बाद में इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर भी लगा दिया.
हालांकि 1990 का काल भारत के लिहाज से असमंजस जैसा था, केंद्र में नेशनल फ्रंट की सरकार थी और वीपी सिंह मुखिया थे, कश्मीर से पंडितों का पलायन शुरू हो गया था, बीजेपी सहयोगी की भूमिका में थी लेकिन जिस घटना को लेकर भारत समेत पूरी दुनिया में तहलका मच गया वो था भारत के गृह मंत्री की बेटी रुबिया सईद का अपहरण, अपहरण के एवज में कुख्यात आतंकियों को रिहा करना था, लिहाजा भारत आतंकियों की रिहाई का गवाह बना और रुबिया सईद आजाद हुईं.
साल की तीसरी बड़ी घटना प्रधानमंत्री वीपी सिंह को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा, और बागी बलिया के उपनाम से मशहूर चंद्रशेखर भारत के 8वें प्रधानमंत्री बने.
1991
साल 1991 तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में चुनावी रैली चल रही थी. उसी रैली में एक महिला आत्मघाती हमलावर के विस्फोट में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी. इस हत्या की जिम्मेदारी श्रीलंका में सक्रिय आतंकी संगठन लिट्टे ने ली थी. राजीव गांधी ने न सिर्फ जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी की राजनीतिक विरासत को संभाला, बल्कि देश को तकनीक व वैश्विक बुलंदियों तक पहुंचाने के लिए भी अनेक काम किए. इसके अलावा इसी साल पीवी. नरसिम्हा राव की सरकार सत्ता में आई थी. उनकी सरकार में उस वक्त वित्त मंत्री और देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उसी साल देश को एक ऐतिहासिक बजट दिया था, जिसने देश की वर्तमान तरक्की की बुनियाद रखी और दुनिया के लिए अपने दरवाजे खोले और भारत आज economic liberalisation के 31 साल मना रहा है. उसी साल भारत की अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण सुधारों की शुरुआत हुई और देश की आर्थिक नीति के लिए एक नया रास्ता खुला.
1992
भारत के इतिहास में ये वो साल था जब बड़ी घटनाएं देश को झकझोरने वाली थीं. 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कारसेवकों ने विवादित ढांचे को गिरा दिया. हज़ारों लोग लड़े भिड़े, कत्लेआम हुआ. जिसकी टीस आज भी दिलों में उठती है. ये दिन इतिहास में एक ऐसी तारीख के रूप में दर्ज हुआ जिसका अलग-अलग समुदायों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव पड़ा. और 1992 से ही राम मंदिर आंदोलन शुरू हुआ. जिसने देश की राजनीति की हवा बदल दी.
विवादित ढांचे को लेकर कई सालों तक तनाव बरकरार रहा और आखिरकार कोर्ट में अनगिनत सुनवाइयों के बाद 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया.
साल 1992 ही financial sector में देश के सबसे बड़े घोटाले का चश्मदीद बना. जिसने 90 के दशक में वित्तीय बाज़ार हिला कर रख दिया. ये घोटाला करीब 4000 करोड़ रुपये का था. इस घोटाले के ज़िम्मेदार थे हर्षद मेहता, जिनका वित्तीय जगत में ऐसा नाम उछला कि 2020 में उनकी ज़िंदगी पर पूरी वेब सीरीज़ बन गई जो काफी पॉपुलर हुई. इसके बाद ही शेयर मार्केट में गड़बड़ी रोकने के लिए SEBI यानी Securities and Exchange Board of India का गठन हुआ.
1997
राष्ट्रीय जनता दल. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की पार्टी. वैसे तो ये पार्टी बिहार की है, लेकिन इसके लालटेन की टिमटिमाहट पूरे देशभर में फैली हुई है. साल 1997 में ही इस पार्टी का गठन हुआ था. जी हां, 5 जुलाई 1997 को जनता दल से अलग होकर लालू यादव ने राष्ट्रीय जनता दल पार्टी का गठन किया था. और इतना ही नहीं, चारा घोटाले की वजह से जब लालू यादव को जेल की सलाखों के पीछे डाला गया तो इसी साल उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को को मुख्यमंत्री बनाकर सबको चौंका दिया. इस तरह साल 1997 में लालू ने अपनी अलग पार्टी भी खड़ी कर ली और सत्ता भी बचा ली. इसके अलावा इसी साल 1997 में लेखिका अरुंधति राय की किताब ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ को बुकर प्राइज मिला था. ये दुनियाभर में साहित्य जगत के प्रमुख पुरस्कारों में से एक है. बता दें कि नोबेल पुरस्कार के बाद बुकर प्राइज को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है.
1998
साल 1998 देश में 12वीं लोकसभा का गवाह बना था. 1998 में देश मिड टर्म इलेक्शंस की दहलीज़ पर आ खड़ा हुआ. 16 फरवरी से 28 फरवरी के बीच देश में तीन चरणों में चुनाव पूरे हुए और किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिली. भारतीय जनता पार्टी ने शिवसेना, अकाली दल, समता पार्टी, AIADMK और बीजू जनता दल के सहयोग से सरकार बनाई और अटल बिहार वाजपेयी फिर से प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे लेकिन इस बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार 13 महीने में ही गिर गई.
वहीं, 1998 में ही सीताराम केसरी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और इसी साल से सोनिया गांधी के हाथ में कांग्रेस की कमान आ गई. इसके अलावा 1998 में ही अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने छोटे से कार्यकाल में परमाणु परीक्षण का एलान कर दिया था.
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