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Jammu And Kashmir Assembly Elections से कितना बदलेगा कश्मीर, होगी 370 की वापसी? जानें अब्दुल्ला, मुफ्ती और रशीद के सियासी दांव

नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) की तरफ से मेनिफेस्टो जारी की गई हैं. इसमें 370 की वापसी समेत 12 गारंटियां दी गई हैं. वहीं, पीडीपी ने सोमवार यानी कल 8 प्रभारियों की लिस्ट जारी की है, इसमें महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती भी शामिल हैं.

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Jammu And Kashmir Assembly Elections से कितना बदलेगा कश्मीर, होगी 370 की वापसी? जानें अब्दुल्ला, मुफ्ती और रशीद के सियासी दांव

Kashmiri Voters (File Photo)

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केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों को लेकर चुनाव आयोग की तरफ से एलान हो गया है. कश्मीर में एक लंबे अरसे के बाद विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं. घाटी में चुनाव को लेकर उत्साह का माहौल दिख रहा है. सभी पार्टियां इसको लेकर जोर-शोर से जुट गई हैं. इस चुनाव को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) की तरफ से मेनिफेस्टो जारी की गई हैं. इसमें 370 की वापसी समेत 12 गारंटियां दी गई हैं. साथ ही पीडीपी ने सोमवार यानी कल 8 प्रभारियों की लिस्ट जारी की है, इसमें महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती भी शामिल हैं. वहीं, जेल में बंद इंजीनियर रशीद के छोटे भाई खुर्शीद अहमद शेख चुनाव की तैयारियां में लगे हुए हैं. 

जनता में लोकतंत्र की चाह और घाटी में बढ़ता आतंकवाद
कश्मीर में हुए विधानसभा चुनावों की घोषणा के बाद से राज्य के नेताओं में जबरदस्त गर्मजोशी दिखाई पड़ रही है. आपको बताते चलें कि लोकसभा चुनावों के दौरान कश्मीर में बड़ी संख्या में लोग वोट डालने निकले थे. वहां 50% से ज्यादा मतदान हुए थे. 6 साल से जारी राष्ट्रपति शासन के बाद लोगों में लोकतंत्र को लेकर एक नई उमंग दिखाई दे रही है. वहीं दूसरी तरफ पिछले दिनों कश्मीर के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. इस साल जून से मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल शुरू हुआ है, तबसे लेकर अब तक घाटी में आतंकवाद करीब 9 घटनाएं हो चुकी हैं. इन घटनाओं में 12 सैनिक मारे गए हैं. वहीं 13 घायल हो चुके हैं. इनमें से 10 आम लोगों मौत हो चुकी है. साथ ही करीब 44 लोग घायल हो गए.  


यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों की क्या है तैयारी, जानिए बीजेपी और कांग्रेस का प्लान


क्या हो सकती है 370 की वापसी
एनसी की तरफ से जारी घोषणापत्र में अनुच्छेद 370 को  फिर से बहाल करने की बात कही गई है. लकिन ऐसा करना बेहद ही मुश्किल है. वजह ये हबै कि अगर एनसी की सरकार बन भी जाती है तो एक यूटी प्रदेश होने की वजह से वहां की सरकार हर बड़े फैसले के लिए राज्यपाल पर आश्रित रहेगी. राज्यपाल से फिलहाल उन्हें ये मंजूरी मिलना कठीन है. इसलिए ये महज एक चुनावी दावा ही लगता है. फिलहाल ऐसा होना असंभव ही नजर आ रहा है.  एनसी की तरफ से उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला और वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में इस घोषणा पत्र को जारी किया. एनसी ने अपने मेनिफेस्टो में 12 गारंटियां दी हैं जिसमें आर्टिकल 370 की वापसी के लिए सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ने की बात भी कही गई है. साथ ही मनमोहन सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में शुरू की गई क्रॉस एलओसी व्यापार और बस सेवा की बहाली सहित सीबीएम को फिर से शुरू करने का समर्थन किया जाएगा. लेकिन शांति की जिम्मेदारी पाकिस्तान पर भी होगी.

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