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Maharashtra: सावरकर के मुद्दे पर फिर भिड़े शिवसेना-कांग्रेस, सामना में किया जोरदार हमला

कांग्रेस के वीर सावरकर को लेकर दिए गए बयानों पर अब शिवसेना के मुखपत्र सामना ने जमकर हमला बोल दिया है.

Maharashtra: सावरकर के मुद्दे पर फिर भिड़े शिवसेना-कांग्रेस, सामना में किया जोरदार हमला
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डीएनए हिंदी: कांग्रेस द्वारा लगातार वीर सावरकर (Veer Savarkar) को लेकर किए गए हमलों पर एक बार फिर शिवसेना (Shivsena) भड़क गई है. पार्टी गठबंधन में होने के बावजूद लगातार सावरकर को अपना आदर्श मानती रही है. शिवसेना ने अब मुखपत्र सामना के जरिए कहा है कि कांग्रेस के नेताओं को इतिहास का कोई ज्ञान नहीं है और नई पीढ़ी के लिए इतिहास से बिल्कुल ही अनभिज्ञ हैं. शिवसेना ने कांग्रेस पर यह आरोप तक लगा दिया है कि कांग्रेस ने सावरकर को 'झुनझुना' बना दिया है. 

दरअसल, कांग्रेस द्वारा वीर सावरकर के खिलाफ बयानों को लेकर श‍िवसेना ने ल‍िखा है क‍ि कांग्रेस ने वीर सावरकर को ‘झुनझुना’ बना दिया है तो भाजपा ने स्वातंत्र्यवीर को ‘खिलौना’ बना दिया है. सामना में लिखा गया कि कांग्रेस सावरकर का अपमान करती रहती है और उस अपमान के बदले में भाजपा वाले जवाब आदि पूछते रहते हैं.

कांग्रेस पर बड़ा हमला

सामना के जरिए शिवसेना कहा, "सावरकर के अपमान के खिलाफ प्रतिक्रिया व्यक्त करना समझा जा सकता है. हमने भी इस मामले में अपनी भूमिका समय-समय पर स्पष्ट की है. लेकिन फडणवीस की संतप्त भावना सच्ची है क्या?" 

अपने लेख में सामना ने न केवल कांग्रेस बल्कि भाजपा को भी घेर लिया है. पार्टी ने आरोप लगाया है कि भाजपा सावरकर के नाम पर राजनीति करती है लेकिन उन्हें भारत रत्न देने के मुद्दे पर खामोश हो जाती है. सामना में लिखा गया, "भाजपा के लोग सावरकर का अपमान सहन नहीं करेंगे, ऐसा बोलते हैं, लेकिन ‘भारत रत्न’ देने की मांग होते ही मुंह छुपा लेते हैं.

भाजपा पर भी साधा निशाना

सावरकर पर भाजपा के रवैए को लेकर सावरकर भाजपा के दृष्टिकोण से मुंह लगाना और चबानेवाला विषय बन गया है. सामना ने कहा, "राहुल गांधी ने कुछ बयान दिया तो भाजपाइयों को सावरकर की याद आती है. बाकी समय में कौन सावरकर और कैसा उनका विचार! सब कुछ लपेटकर रख दिया जाता है. सावरकर के बारे में कांग्रेस और बीजेपी दोनो को अध्ययन की जरूरत है."

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आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब शिवसेना ने वीर सावरकर के मुद्दे पर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया हो. इससे पहले भी जब-जब कांग्रेस के नेताओं की तरफ से सावरकर की आलोचना में बयान दिए गए हैं तब-तब गठबंधन में होने के बावजूद शिवसेना ने कांग्रेस को खरी-खोटी सुनाई है. यही कारण है कि गठबंधन होने के बाद से कांग्रेस के नेता भी खुलकर सावरकर पर कुछ भी बोलने से बचते रहे हैं. 

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