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नूंह छोड़कर लौट आए मुस्लिमों को 5 लाख रुपये क्यों दे रही हैं ममता बनर्जी? समझिए क्या है गणित

Entrepreneurship Loan West Bengal: ममता बनर्जी ने ऐलान किया है कि नूंह हिंसा के बाद पश्चिम बंगाल लौट आए मुस्लिमों को कारोबार शुरू करने के लिए लोन दिया जाएगा.

नूंह छोड़कर लौट आए मुस्लिमों को 5 लाख रुपये क्यों दे रही हैं ममता बनर्जी? समझिए क्या है गणित
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डीएनए हिंदी: हरियाणा के नूंह में हुई हिंसा के बाद बड़े स्तर पर पलायन हुआ है. कई झुग्गी-बस्तियों को अतिक्रमण बताकर उन पर बुलडोजर भी चला. ऐसे में यहां रहने वाले बहुत सारे लोगों को अपने-अपने गांव लौटना पड़ा. अब नूंह से पश्चिम बंगाल लौटे मुस्लिमों को ममता बनर्जी की सरकार बड़ा तोहफा देने जा रही है. ममता बनर्जी ने ऐसे लोगों को 5 लाख रुपये का लोन देने का ऐलान किया है. यह लोन पश्चिम बंगाल में अपना कारोबार शुरू करने के लिए दिया जाएगा. हाल ही में ममता बनर्जी ने मंदिर के पुजारियों और मस्जिदों के इमामों के भत्ते में भी बढ़ोतरी का ऐलान किया था. यह दर्शाता है कि ममता बनर्जी इन योजनाओं से राजनीतिक बिसात पर भी मजबूत कदम बढ़ा रही हैं.

नूंह में बंगाली प्रवासी कामगार बड़ी संख्या में रहते थे. इसमें से लगभग 150 प्रवासी नूंह से पश्चि बंगाल लौट आए हैं. ये लोग नूंह और आसपास के इलाकों में मिस्त्री, प्लंबर, कचरा बीनने वाले, कंस्ट्रक्शन वर्कर और सफाईकर्मी के तौर पर काम करते थे. इनमें से ज्यादातर लोग बीरभूम, मुर्शिदाबाद, मालदा, उत्तर दिनाजपुर और दक्षिण दिनाजपुर के रहने वाले मुस्लिम परिवार हैं. ऐसे में राज्य सरकार ने इनको रोजगार दिलाने का बीड़ा उठाया है.

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ममता बनर्जी ने किया बड़ा ऐलान
हाल ही में ममता बनर्जी ने उद्यमिता लोन देने वाली योजना का विस्तार करने का ऐलान किया है. इसके तहत नूंह से लौटने वाले लोगों को अपना कारोबार स्थापित करने में आर्थिक मदद की जाएदी. इस मौके पर ममता बनर्जी ने कहा था, 'यह हमारे मुस्लिम भाइयों और बहनों के प्रति एक कल्याणकारी और मानवीय कदम है.' वह कोलकाता में इमामों के एक सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं.

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हालांकि, ममता बनर्जी के इस कदम को विपक्षी सीपीएम और बीजेपी ने सस्ता चुनावी हथकंडा और तुष्टीकरण बताया है. दरअसल, पश्चिम बंगाल में मुस्लिम आबादी 27 प्रतिशत से ज्यादा है और यह चुनावों में भी निर्णायक भूमिका निभाती है. कई सालों से टीएमसी की जीत में मुस्लिम मतदाताओं का अहम योगदान रहा है. ऐसे में ममता बनर्जी भी कोई ऐसा मौका नहीं छोड़ना चाहती हैं.

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