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अब NGO को भी देनी होगी अपनी संपत्ति की जानकारी, गृह मंत्रालय ने बदले नियम

FCRA NGO Rules: गृह मंत्रालय ने FCRA के तहत विदेशी फंडिंग लेने के नियमों में बदलाव करते हुए कहा है कि अब एनजीओ को भी अपनी संपत्ति की जानकारी देनी होगी.

अब NGO को भी देनी होगी अपनी संपत्ति की जानकारी, गृह मंत्रालय ने बदले नियम

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डीएनए हिंदी: भारत सरकार ने गैर लाभकारी संस्थाओं (NGO) की फंडिंग के नियमों में कुछ बदलाव किए हैं. इनके तहत अब NGOs को भी अपनी संपत्ति की जानकारी सरकार को देनी होगी. विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत रजिस्टर्ड एनजीओ को अब विदेशी धन का इस्तेमाल कर बनाई गई चल और अचल संपत्तियों का विवरण देना होगा. इसमें यह भी बताना होगा कि वित्त वर्ष शुरू होने से पहले एनजीओ की संपत्ति कितनी थी और सालभर में कितनी संपत्ति उसे प्राप्त हुई.

गृह मंत्रालय (एमएचए) ने सोमवार को एक अधिसूचना जारी कर विदेशी धन प्राप्त करने वाले एनजीओ के लिए बने नियमों में संशोधन किया, जिसके बाद प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत (31 मार्च) तक एनजीओ के लिए संपत्ति की घोषणा करना अनिवार्य हो गया है. कानून के मुताबिक, विदेशी धन प्राप्त करने वाले सभी एनजीओ को अब एफसीआरए के तहत पंजीकृत होना होगा.

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फॉर्म FC-4 में किए गए बदलाव
गृह मंत्रालय ने विदेशी अंशदान विनियमन नियम, 2010 के फॉर्म FC-4 में दो खंड जोड़कर बदलाव किए हैं. इन संशोधनों में (बीए) विदेशी धन से बनाई गई चल संपत्तियों का विवरण (वित्तीय वर्ष में 31 मार्च तक) और (बीबी) विदेशी धन के इस्तेमाल से बनाई गई अचल संपत्तियों का विवरण (वित्तीय वर्ष में 31 मार्च को) शामिल है. फॉर्म FC-4 को वे सभी गैर-सरकारी संगठन और संघ भरते हैं, जिन्हें एफसीआरए लाइसेंस दिया जाता है, ताकि वे अपना वार्षिक लेखा-जोखा दाखिल कर सकें.

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गृह मंत्रालय ने उन सभी संस्थाओं के एफसीआरए लाइसेंस की वैधता को 31 मार्च 2024 तक बढ़ाने का फैसला किया है, जिनके लाइसेंस 30 सितंबर को समाप्त हो रहे हैं या फिर उनका नवीनीकरण लंबित है.

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