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One Nation One Election: एक देश एक चुनाव के लिए बनी कमेटी में अमित शाह-अधीर रंजन समेत ये 8 नाम, सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन

One Nation One Election Committee: एक देश एक चुनाव के लिए देश में क्या माहौल है और इसमें आने वाली अड़चनों को तलाशने के लिए मोदी सरकार ने कमेटी गठित की है. अब शनिवार को सरकार ने कमेटी के सदस्यों के नाम का भी ऐलान कर दिया है. 

One Nation One Election: एक देश एक चुनाव के लिए बनी कमेटी में अमित शाह-अधीर ��रंजन समेत ये 8 नाम, सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन

 One Nation One Election Committee

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डीएनए हिंदी: वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर मोदी सरकार काफी गंभीर नजर आ रही है. ऐसा लग रहा है कि संसद के विशेष सत्र में इस पर बिल लाने के लिए सरकार पूरी तरह से तैयार है. वन एक देश एक चुनाव के लिए बनाई कमेटी को लेकर केंद्र सरकार ने शनिवार (2 सितंबर) को नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय समिति बनाई गई है. इसमें विपक्षी सांसदों के साथ कानून के जानकार, पूर्व ब्यूरोक्रेट समेत तमाम लोगों को शामिल किया गया है. कमेटी को जल्द से जल्द इस मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है. कांग्रेस, शिवसेना समेत अन्य विपक्षी दल वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध कर रहे हैं. कई क्षेत्रीय दल भी इसके समर्थन में नहीं हैं.

अमित शाह समेत ये दिग्गज नेता कमेटी के सदस्य 
वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी के चेयरमैन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं. वहीं समिति में गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद, वित्त कमीशन के पूर्व चेयरमैन एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ वकीलहरीश साल्वे और पूर्व सीवीसी संजय कोठारी हैं. कमेटी को एक देश एक चुनाव पर अपनी रिपोर्ट जल्द से जल्द सौंपने के लिए कहा गया है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इसके लिए तय समय-सीमा भी दी गई है या नहीं. 

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कमेटी का नाम रखा गया HLC
कमेटी का नाम उच्च स्तरीय समितिरखा गया है जिसे अंग्रेज़ी में एचएलसी कहा जाएगा. विधियों न्याय विभाग के सचिव नितेन चंद्र कमेटी के सचिव भी होंगे. इसके अलावा कमेटी की बैठक में केंद्रीय न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल मौजूद रहेंगे. माना जा रहा है कि एक राष्ट्र एक चुनाव से जुड़ा बिल लाने के लिए ही सरकार ने विशेष सत्र बुलाई है. हालांकि इसके लिए संवैधानिक संशोधन की जरूरत होगी और इसलिए पहले सभी दलों के साथ बातचीत जरूरी है. 

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एक देश एक चुनाव पर सहमत नहीं है विपक्षी दल
एक देश एक चुनाव का मुद्दा बीजेपी और कुछ दूसरे बड़े नेता उठा चुके हैं लेकिन फिलहाल इस पर अब तक आम सहमति नहीं बन सकी है. विपक्षी दल इसका खास तौर पर विरोध कर रहे हैं. इसकी वजह है कि इससे चुनावों का मुद्दा पूरी तरह से केंद्र आधारित हो सकता है और क्षेत्रीय पार्टियों को नुकसान पहुंच सकता है. एक देश एक चुनाव कराने के पक्ष में सबसे बड़ा तर्क दिया जाता है कि इससे चुनावों पर होने वाला बेहिसाब खर्च कम होगा. हर साल राज्यों के होने वाले चुनाव से आयोग और सरकारी मशीनरी का बड़ा वक्त चुनाव आयोजन में ही खर्च हो जाता है. 

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