Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

DNA TV Show: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी अटकेगी राहुल गांधी की सदस्यता बहाली? जानें क्या हैं इसके नियम

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी को ये उम्मीद होगी कि उनकी संसद सदस्यता जल्दी बहाल कर दी जाएगी. लेकिन इसका फैसला लोकसभा स्पीकर के हाथ में है.

DNA TV Show: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी अटकेगी राहुल गांधी की सदस्यता बहाली? जानें क्या हैं इसके नियम

Congress नेता Rahul Gandhi. 

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदी: कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को शुक्रवार को उस वक्त बड़ी राहत मिली जब सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम मामले में उनकी दो साल की सजा पर रोक लगा दी. सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद उनकी सांसदी बच गई और आगामी लोकसभा चुनाव में उनके लड़के का रास्ता साफ हो गया. हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं था, जब किसी नेता नेता को उनके भाषण ने इस तरह मुसीबत में डाला हो. उससे पहले भी बयानों की वजह से मानहानि के केस होते रहे हैं लेकिन वो माफी मांगने के बाद खत्म हो जाते थे. लेकिन राहुल गांधी अपने बयान पर टिके रहे. 

भाषण में क्या बोले थे राहुल गांधी?
राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा के दौरान जोश में आकर बोल दिया था कि 'इन सब चोरों के नाम मोदी-मोदी कैसे है? नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी और अभी थोड़ा ढूंढेंगे तो और बहुत सारे मोदी मिलेंगे.'देखा जाए तो इस बयान में जोश तो था ही इसके अलावा इसमें मोदी सरनेम वाले लोगों पर कटाक्ष भी था. देश के लोग जानते हैं कि राहुल गांधी कौन से मोदी की तरफ इशारे में कटाक्ष कर रहे थे. हालांकि राहुल ये नहीं जानते थे कि उनका ये बयान उनकी संसद सदस्यता छीन सकता है.

इसी साल 23 मार्च को राहुल गांधी के राजनीतिक जीवन में उस वक्त अल्प विराम आ गया था जब सूरत की अदालत ने इस मामले में दोषी मानते हुए उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी. इस फैसले के अगले दिन ही राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता छिन गई थी. पिछले करीब 130 दिनों से राहुल गांधी कांग्रेस के एक सामान्य नेता बन गए थे. वो सांसद नहीं रहे थे. कर्नाटक के वायनाड की जनता ने उन्हें चुनकर संसद में भेजा था. लेकिन इस केस ने राहुल से उनकी संसद सदस्यता तो छीनी साथ ही वायनाड की जनता से उनका प्रतिनिधित्व भी छीन लिया था.

ये भी पढ़ें- DNA TV Show: अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर में कितने बदले हालात?

लेकिन शुक्रवार का दिन राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए खुशी का दिन रहा.  इस मामले में दोषसिद्धी पर रोक लगाकर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को बड़ी राहत दी. सर्वोच्च अदालत के इस फैसले के बाद सभी को लग रहा है कि राहुल की मुसीबत टल गई है और वो मानहानि केस से बरी हो गए हैं. जबकि ऐसा नहीं है. हम आपको समझाते हैं कि कैसे राहुल गांधी अभी भी इस केस में आरोपी बने रहेंगे. लेकिन उनकी संसद सदस्यता दोबारा वापस आ सकती है.

राहुल के लिए अब भी ये केस जी का जंजाल
एक्सपर्ट की मानें तो राहुल गांधी को इस केस से भले ही राहत मिल गई हो, लेकिन ये केस उनके जी का जंजाल बना रहेगा. इसके पीछे एक वजह है. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दो साल की सजा पर रोक लगाई है. मानहानि का केस अभी भी सूरत की सेंशन कोर्ट में चल रहा है. कानून प्रक्रिया का पालन करते हुए सूरत कोर्ट में अब तय करेगी की इस केस में आगे क्या करना है. सूरत कोर्ट के फैसले के बाद ये फिर से हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में आ सकता है.

सदस्यता बहाली की समय सीमा को लेकर क्या हैं नियम?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी को ये उम्मीद होगी कि उनकी संसद सदस्यता जल्दी बहाल कर दी जाएगी. वो ये भी मानकर चल रहे होंगे कि संसद के मानसून सत्र में अविश्वास प्रस्ताव की बहस और वोटिंग में वो हिस्सा ले पाएंगे. लेकिन इतना आसान नहीं है. सर्वोच्च अदालत के फैसले के बाद उनकी संसद सदस्यता बहाली का रास्ता भले ही साफ हो गया हो लेकिन  लोकसभा अध्यक्ष एक निश्चित समय में उनकी सदस्यता बहाल करने के लिए बाध्य नहीं हैं.

हमारे सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी की सदस्यता पर फैसला लोकसभा स्पीकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के गहन अध्ययन के बाद ही लेंगे. यानी अगर देखा जाए तो राहुल गांधी की सदस्यता की बहाली में राजनीतिक अडंगा आ सकता है. कानून के जानकारों का कहना है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला उनकी सदस्यता बहाली पर कब तक फैसला लेंगे ये कहना अभी मुश्किल है. मोदी सरकार इसे जानबूझकर मानसून सत्र तक अटका सकती है.

ये भी पढ़ें-  'मुझसे मांगे गए 50 करोड़', CM एकनाथ शिंदे का उद्धव ठाकरे पर आरोप

NCP सांसद का उदाहरण
उन्होंने बताया कि ऐसा ही एक मामला लक्ष्यद्वीप के एनसीपी सांसद मोहम्मद फैजल का सामने आया था. 11 जनवरी 2023 को लक्ष्यद्वीप की कवरत्ती जिला अदालत ने हत्या की कोशिश के एक मामले में मोहम्मद फैजल को दोषी मानते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी. जिसके बाद 13 जनवरी को उनकी लोकसभा सदस्यता खारिज कर दी गई थी. जिला अदालत के फैसले के खिलाफ मोहम्मद फैजल ने केरल हाईकोर्ट का रुख किया था. जिसने 25 जनवरी को उनकी दोषसिद्धी और सजा पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद एनसीपी सांसद ने लोकसभा सदस्यता बहाल करने की मांग की थी. लेकिन लोकसभा स्पीकर ने लगभग 2 महीने तक इस मामले में कोई एक्शन नहीं लिया था और उनकी सदस्यता अटका कर रखी थी.

इसके बाद मोहम्माद फैजल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. हालांकि जिस दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी उससे कुछ घंटे पहले ही लोकसभा स्पीकर ने उनकी सदस्यता बहाल कर दी थी. इससे ये पता चलता है कि लोकसभा सदस्य की बहाली को लेकर लिया जाने वाला फैसला लोकसभा अध्यक्ष पर निर्भर करता है. बहाली का फैसला लेने को लेकर स्पीकर समय सीमा के लिए बाध्य नहीं होता है. यही वजह है कि आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विशेष तौर पर इसको लेकर टिप्पणी की थी.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement