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UCC पर RSS के संगठन ने विधि आयोग को दी सलाह, 'पहले आदिवासियों के रीति-रिवाजों को समझें'

UCC Rules for Adivasis: आरएसएस से जुड़े संगठन वनवासी कल्याण आश्रम ने विधि आयोग को सुझाव दिया है कि आदिवासियों को यूनिफॉर्म सिविल कोड से बाहर रखा जाएगा.

UCC पर RSS के संगठन ने विधि आयोग को दी सलाह, 'पहले आदिवासियों के रीति-रिवाजों को समझें'

Uniform Civil Code

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डीएनए हिंदी: यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के मुद्दे पर विधि आयोग ने देश के धार्मिक और सामाजिक संगठनों से सुझाव मांगे हैं. इन सुझावों में तमाम संगठनों की ओर से अलग-अलग तरह की मांगें रखी जा रही हैं. अब राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) के आनुषांगिक संगठन वनवासी कल्याण आश्रम ने भी एक अलग सुझाव दिया है. इस संगठन का सुझाव है कि आदिवासियों के रीति-रिवाजों और उनकी मान्यताओं को यूनिफॉर्म सिविल कोड से अलग रखा जाएगा. संगठन का यह भी कहना है कि विधि आयोग को अपनी रिपोर्ट देने में कोई जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. पारंपरिक रीति-रिवाजों को लेकर जनजातीय समूहों में भी यूसीसी को लेकर काफी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. इसी को ध्यान में रखते हुए मांग उठ रही है कि आदिवासियों को अपवाद के तौर पर छूट दी जाए.

इससे पहले, संसदीय समिति की मीटिंग में समिति के अध्यक्ष सुशील मोदी ने भी यही बात कही थी और आदिवासियों को यूनिफॉर्म सिविल कोड से बाहर रखने की मांग उठाई थी. अब इस संगठन का कहना है कि विधि आयोग को अपनी रिपोर्ट जमा करने से पहले आदिवासी समाज की रीति-रिवाजों और परंपराओं को अच्छे से समझना चाहिए. आरएसएस ने आदिवासी समाज के लोगों से भी कहा है कि वे अपने सुझाव आयोग को दें.

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आदिवासियों को सता रही है चिंता
वनवासी कल्याण आश्रम ने अपने बयान में कहा है कि सोशल मीडिया पर जारी बहस में पड़ रहे ज्यादातर लोगों में समझ का अभाव है इसी वजह से लोग भ्रमित हो रहे हैं. संगठन का कहना है कि आदिवासी समाज के लोगों में भ्रम पैदा किया जा रहा है और कुछ लोग अपना एजेंडा पूरा करने के लिए जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं. दरअसल, पूर्वोत्तर के कई राज्यों के अलावा मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और दक्षिण के कई राज्यों में ऐसे दर्जनों जनजातीय समूह हैं जिनकी परंपराएं और शादी-विवाह के नियम काफी अलग हैं. ऐसे में उन्हें इस कानून से डर लग रहा है.

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सत्ताधारी पार्टी बीजेपी जहां लोकसभा चुनाव से पहले हर हाल में यूसीसी लाना चाहती है, वहीं उसके लिए आदिवासियों और जनजातीय समूहों को साधना भी चुनौतीपूर्ण हो गया है. यही वजह है कि सीधे कानून का ड्राफ्ट संसद में लाने से पहले विधि आयोग की ओर से लोगों से राय मांगी जा रही है. दूसरी तरफ, उत्तराखंड में तैयार किए जा रहे यूनिफॉर्म सिविल कोड के संभावित प्रावधानों को लेकर भी खूब चर्चा हो रही है.

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