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Joymala Elephant के लिए भिड़ गई तमिलनाडु और असम सरकार, जानिए हाई कोर्ट तक क्यों पहुंच गया मामला

Joymala Elephant Case: जॉयमाला हाथी का वीडियो वायरल होने के बाद शुरू हुआ विवाद अब गुवाहाटी और मद्रास हाई कोर्ट तक पहुंच गया है.

Joymala Elephant के लिए भिड़ गई तमिलनाडु और असम सरकार, जानिए हाई कोर्ट तक क्यों पहुंच गया मामला

जॉयमाला हाथी को लेकर हुआ विवाद

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डीएनए हिंदी: हाथियों को लेकर तमिलनाडु और असम की सरकारें (Assam Government) आमने-सामने आ गई हैं. तमिलनाडु सरकार ने तो मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) से कह दिया है कि वह हाथी जॉयमाला (Joymala Elephant) को असम को वापस नहीं करेगी. वहीं, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने कहा है कि हाथी उनके हैं और उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा है. उन्होंने बताया है कि इस मामले पर शुक्रवार को गुवाहाटी हाई कोर्ट (Guwahati High Court) में सुनवाई होगी. दूसरी तरफ, इसी मामले पर मद्रास हाई कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है. हिमंत बिस्व सरमा ने उम्मीद जताई है कि फैसला उनके पक्ष में आएगा.

एक हाथी जॉयमाला कई सालों से तमिलनाडु में है. हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें दावा किया गया कि जॉयमाला हाथी को बुरी तरह पीटा जा रहा है और उसे बुरी तरह प्रताड़ित किया जा रहा है. बाद में केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने एक ट्वीट करके जानकारी दी कि यह हाथी पूरी तरह ठीक है और मारपीट का यह वीडियो काफी पुराना है. केंद्र सरकार ने तमिलनाडु सरकार के उस दावे का समर्थन किया कि हाथी की अच्छी देखभाल की जा रही है.

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असम के अधिकारियों को तमिलनाडु ने रोका
इसी मामले को लेकर मद्रास हाई कोर्ट में तमिलनाडु सरकार ने कहा कि वह हाथी नहीं लौटाएगी. इसके बाद असम सरकार ने गुवाहाटी हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी है जिस पर सुनवाई होनी है. इससे पहले हाथियों का हालचाल जानने के लिए असम से चार एक्सपर्ट की एक टीम वंडालूर पार्क भी पहुंची. हालांकि, तमिलनाडु सरकार ने इन लोगों को हाथियों से नहीं मिलने दिया.

अब असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने कहा है, 'हाथी हमारे हैं. हमारा केस कल गुवाहाटी हाई कोर्ट में सुना जाएगा. अगर अच्छा फैसला आता है तो अच्छी बात है क्योंकि हाथी तो हमारे ही हैं. अगर मद्रास हाई कोर्ट भी अच्छा फैसला देता है तो यह भी ठीक है. अब क्योंकि यह मामला विवादित हो गया है इसलिए हम अब न्यायालय पर ही निर्भर हैं.'

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दरअसल, तमिलनाडु का कहना है कि यह हाथी तो कई सालों से उनके पास है, ऐसे में इसे वापस करने का सवाल ही नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक, यह हाथी साल 2011 में दोनों सरकारों की सहमति से ही तमिलनाडु लाया गया था.

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