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टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन के हत्यारों की सजा पर फैसला आज, जानें मिलेगी उम्रकैद या फांसी या...

Court Decision: आज मंगलवार दोपहर बाद सौम्या विश्वनाथन के हत्यारों की सजा पर साकेट कोर्ट का फैसला आ सकता है. यह फैसाल 26 अक्टूबर को होना था पर कोर्ट ने इसकी तारीख 7 नवंबर तय कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट की वकील नेहा त्यागी बता रही हैं कि ऐसे केस में अधिकतम सजा क्या हो सकती है?

�टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन के हत्यारों की सजा पर फैसला आज, जानें मिलेगी उम्रकैद या फांसी या...

सौम्या विश्वनाथन मर्डर केस में दोषियों की सजा पर आज आ सकता है फैसला.

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डीएनए हिंदी: टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन के हत्यारों की सजा पर आज मंगलवार को दोपहर बाद साकेत कोर्ट में फैसला आ सकता है. पिछली सुनवाई यानी 26 अक्टूबर को दोषियों की सजा पर फैसला होना था पर कोर्ट ने इसकी तारीख 7 नवंबर तय कर दी थी. दिल्ली में ही टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथक की हत्या मामले में कोर्ट ने इसी साल 18 अक्टूबर को रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय कुमार को दोषी ठहराया था. इन्हें महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत भी दोषी करार दिया गया था. बता दें कि सौम्या की हत्या 30 सितंबर 2008 की सुबह दक्षिणी दिल्ली के नेल्सन मंडेला मार्ग पर कर दी गई थी.
पुलिस ने शुरुआती जांच में इसे दुर्घटना का मामला माना था, पर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सौम्या के सिर के पिछले हिस्से से गोली मिलने के बाद इसे हत्या के केस के रूप में दर्ज किया गया था. इस ब्लाइंड मर्डर केस में पुलिस को तब सफतला हासिल हुई थी जब जिगिषा घोष हत्याकांड में कुछ लोग गिरफ्तार किए गए थे.
 
संगठित गिरोह के अपराधी
इन दोषियों को कोर्ट में क्या सजा सुनाई जा सकती है इस बाबत दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की वकील नेहा त्यागी ने कहा कि यह सिर्फ हत्या का केस या सिर्फ लूट का मामला नहीं है. सौम्या विश्वनाथन की हत्या संगठित गिरोह के सदस्यों ने की है. इस गिरोह का पेशा ही है लूटना और हत्या करना. ऐसे अपराधियों को कानून के दायरे में तय अधिकतम सजा मिलने चाहिए. 

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सजा-ए-मौत या उम्रकैद
नेहा बताती हैं कि ऐसे में  किसी संगठित क्राइम सिंडिकेट की सदस्यता होने पर मकोका अधिनियम संबद्ध व्यक्ति को उत्तरदायी मानता है. मकोका की धारा 3(4) में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो संगठित अपराध सिंडिकेट का सदस्य है उसे कारावास की सजा मिलेगी. इस कारावास की अवधि 5 साल से कम नहीं होगी, बल्कि दोषी को आजीवन कारावास तक की सजा सुनाई जा सकती है. ऐसे केस में सजा के साथ न्यूनतम जुर्माना 5 लाख रुपए लगाए जाते हैं. अगर ऐसे दोषियों पर इंडियन पिनल कोड की धारा 302 के तहत अपराध सिद्धि हो जाती है तो मौत की सजा या ताउम्र कैद की सजा सुनाई जा सकती है.

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