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विपक्षी एकता की 'कसमों' के बीच दीदी ले गईं कांग्रेस का इकलौता हाथ, बंगाल में विधायक पर क्यों मचा है बवाल

West Bengal Politics: पश्चिम बंगाल में बायरन बिस्वास कांग्रेस के अकेले विधायक थे. 2021 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया था.

विपक्षी एकता की 'कसमों' के बीच दीदी ले गईं कांग्रेस का इकलौता हाथ, बंगाल में विधायक पर क्यों मचा है बवाल

ममता बनर्जी और राहुल गांधी (file photo)

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डीएनए हिंदी: जहां एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2024 के आम चुनाव से पहले पूरे विपक्ष को एकजुट करने में जुटे हैं. वहीं पश्चिम बंगाल में ममता और कांग्रेस के बीच अलग ही खेल चल रहा है. ममता बनर्जी ने कांग्रेस एक एकलौते विधायक को भी तोड़ दिया है. कांग्रेस के विधायक बायरन बिस्वास ने सोमवार को सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस (TMC) का दामन थाम लिया है. उन्होंने पश्चिम मेदिनीपुर जिले में टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.  

मुर्शिदाबाद जिले में अल्पसंख्यक बहुल सागरदिघी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बिस्वास सत्तारूढ़ पार्टी के जनसंपर्क अभियान तृणमूल नवज्वार के दौरान घाटाल क्षेत्र में टीएमसी में शामिल हो गए. तृणमूल कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, ‘आज जनसंजोग यात्रा के दौरान अभिषेक बनर्जी की मौजूदगी में सागरदिघी के कांग्रेस विधायक बायरन बिस्वास हमारे साथ शामिल हुए. हम उनका तृणमूल कांग्रेस परिवार में तहे दिल से स्वागत करते हैं.’ 

ये भी पढ़ें- 2024 से पहले विपक्ष का शक्ति प्रदर्शन, पटना में 12 जून को BJP को मात देने पर बनेगी रणनीति

टीएमसी ने कहा कि भाजपा की विभाजनकारी और भेदभावपूर्ण राजनीति के खिलाफ लड़ने के संकल्प को मजबूत करने के लिए बिस्वास ने सही मंच चुना है. हम मिलकर लड़ेंगे और जीतेंगे.’ बायरन बिस्वास ने इस साल की शुरुआत में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सागरदिघी सीट जीती थी. इस तरह राज्य विधानसभा में कांग्रेस का खाता खुला था, क्योंकि 2021 के विधानसभा चुनावों में पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया था.

क्या विपक्षी एकता की कवायद को लगेगा झटका?
बायरन बिस्वास के TMC में शामिल होने के बाद अब विधानसभा में अब कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं बचा है. चुनाव जीतने के बाद से ही उनके टीएमसी में जाने की अटकलें तेज हो गई थी. बता दें कि ममता के इस कदम से आम चुनाव से पहले विपक्षी एकता की कवायद को झटका लग सकता है. क्योंकि 12 जून को नीतीश कुमार ने पटना में सभी विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है. इसमें ममता और कांग्रेस नेताओं के आने की संभावना है. लेकिन ममता के इस कदम से कांग्रेस दूरी बना सकती है.

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