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Jama Masjid के 14वें शाबान बुखारी ने यहां से की है पढ़ाई, 29 साल के इमाम निभाएंगे 400 साल पुरानी परंपरा

Shaban Bukhari: जब मुगल बादशाह शाहजहां ने दिल्ली में जामा मस्जिद बनवाई थी, तब उन्होंने बुखारा के शासकों को एक इमाम की जरूरत बताई थी. आइए जानते हैं कि इमाम क्या काम करते हैं.

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Jama Masjid के 14वें शाबान बुखारी ने यहां से की है पढ़ाई, 29 साल के इमाम निभाएंगे 400 साल पुरानी परंपरा

 Shaban Bhukhari

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दिल्ली की जामा मस्जिद के निवर्तमान शाही इमाम, सैयद अहमद बुखारी ने रविवार को अपने बेटे सैयद शाबान बुखारी को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. उन्होंने जामा मस्जिद के नए इमाम के रूप में अपने पिता की जगह ली, इससे पहले वो नायब इमाम थे. इस दौरान जामा मस्जिद के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि पहले शाही इमाम को शाहजहां ने नियुक्त किया था. ऐसे में आइए जानते हैं कि जामा मस्जिद के 14वें शाबान बुखारी ने कहां से पढ़ाई-लिखाई की है. 

अहमद बुखारी ने कहा कि जामा मस्जिद के पहले इमाम (हजरत सैयद अब्दुल गफूर शाह बुखारी, शाही इमाम) को 63 साल की उम्र में शाही इमाम नियुक्त किया गया था. उन्होंने कहा कि  परंपराओं के मुताबिक इमामों ने अपने जीवनकाल में ही अपने उत्ताराधिकारियों की घोषणा की है. ऐसे में 400 से अधिक सालों से चली आ रही इस परंपरा के मुताबिक, जामा मस्जिद से मैं घोषणा करता हूं कि सैयद शाबान बुखारी मेरे उत्तराधिकारी होंगे. बता दें कि नवंबर 2014 में सैयद अहमद बुखारी ने अपने बेटे के नाम नायब इमाम के लिए घोषित किया था. इसके बाद खूब विवाद भी हुआ था. दस्तारबंदी के कार्यक्रम में सैयद अहमद बुखारी ने उलेमाओं के बीच अपने बेटे को पगड़ी बांधकर उनको औपचारिक इमाम बनाने की घोषणा की.


 

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कौन हैं शाबान बुखारी?

जामा मस्जिद के अगले इमाम शाबान बुखारी का पूरा नाम सैयद उसाम शाबान बुखारी है. उनकी पैदाइश दिल्ली में 11 मार्च 1995 में हुई थी. उन्होंने एमिटी युनिवर्सिटी से सोशल वर्क में मास्टर डिग्री की है. 2014 में शाबान को अहमद बुखारी ने नायाब इमाम नियुक्त किया था. वह अहमद बुखारी के तीन बच्चों में से सबसे छोटे बच्चे हैं. शाबान शादीशुदा हैं और उनके 2 बच्चे हैं, और उनकी पत्नी का नाम शाज़िया है.


 

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क्या काम करते हैं शाही इमाम?

बताया जाता है कि जब मुगल बादशाह शाहजहां ने दिल्ली में जामा मस्जिद बनवाई थी, तब उन्होंने बुखारा (उज़्बेकिस्तान) के शासकों को एक इमाम की जरूरत बताई थी. इस तरह मौलाना अब्दुल गफूर शाह बुखारी को भारत भेजा गया. शाहजहां ने उन्हें शाही इमाम का खिताब दिया. इमाम वो होते हैं जो मस्जिद में नमाज पढ़ाते हैं. शाही इमाम का मतलब है कि राजा की ओर से नियुक्त किया गया इमाम. जानकारी के मुताबिक, 1650 के बाद से अब तक मौलाना अब्दुल गफूर शाह बुखारी के परिवार के लोग ही जामा मस्जिद के शाही इमाम बनते चले आए हैं. मुगल शासन के खत्म होने के बाद, उन्होंने अपने आप को ही यह उपाधि दे दी है. 

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