Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

इलाहाबाद हाई कोर्ट कैंपस की मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट का अल्टीमेटम, जानिए दिया है क्या फैसला

Prayagraj News: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मस्जिद को हटाने का आदेश दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. मस्जिद 3 महीने में हटाने को कहा है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट कैंपस की मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट का अल्टीमेटम, जानिए दिया है क्या फैसला

सुप्रीम कोर्ट.

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदी: इलाहाबाद हाई कोर्ट कैंपस में मौजूद मुस्लिम मस्जिद (Allahabad High Court Campus Mosque) का हटना अब तय हो गया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मस्जिद को हटाने के हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड (UP sunni waqf board) को मस्जिद हटाने के लिए तीन महीने का वक्त दिया है. साथ ही चेतावनी है कि यदि तय डेडलाइन के अंदर मस्जिद को खाली नहीं किया जाता है तो कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी है. सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया, जिसमें बोर्ड ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि वक्फ बोर्ड को हाई कोर्ट के आसपास ही वैकल्पिक भूमि आवंटित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के पास आवेदन करने की छूट दे दी है.

पढ़ें- IND vs AUS: चेतेश्वर पुजारा करने लगे स्पिन बॉलिंग, अश्विन ने पूछा ऐसा सवाल, जानकर हंसने लगेंगे आप

हाई कोर्ट ने मस्जिद को खाली करने का दिया था आदेश

इलाहाबाद हाई कोर्ट कैंपस के दक्षिणी कोने पर मस्जिद बनी हुई है. इस मस्जिद को हाई कोर्ट ने अवैध मानते हुए परिसर से हटाने के आदेश दिए थे. इस आदेश के खिलाफ वक्फ बोर्ड व कई अन्य ने सुप्रीम कोर्ट के पास गुहार लगाई थी. सोमवार को जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने इन याचिकाओं पर सुनवाई की. सुनवाई में दोनों पक्ष सुनने के बाद बेंच ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला सही है और उसमें हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नजर नहीं आ रहा है. इसके बाद उन्होंने तीन महीने में मस्जिद को हटाने का आदेश दिया. साथ ही कहा कि इसके बाद प्रशासन के पास मस्जिद को अवैध निर्माण घोषित कर ध्वस्त करने का अधिकार होगा.

पढ़ें- Electric Scooter Explodes: घर में खड़ा था ई-स्कूटर, बम की तरह हुआ विस्फोट, 5 लोगों के साथ ऐसा हुआ

दोनों पक्ष के वकीलों ने दी ये दलीलें

वक्फ बोर्ड की तरफ से इस केस में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पक्ष रख रहे थे, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पक्ष रखा. सिब्बल ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की मौजूदा बिल्डिंग के साल 1861 में निर्माण के समय से ही उत्तरी कोने पर शुक्रवार की नमाज अदा की जाती थी. वहां बाकायदा वजू की भी व्यवस्था थी. बाद में नमाज वाले बरामदे के पास जजों के चैंबर बन जाने से हाई कोर्ट रजिस्ट्रार ने कैंपस के दक्षिणी छोर में नमाज की व्यवस्था की थी. उन्होंने हाई कोर्ट के मुस्लिम वकीलों, क्लर्कों और मुवक्किलों को मस्जिद हटने से नमाज पढ़ने की समस्या होने की बात कही. इस पर ADG भाटी ने हाई कोर्ट के 500 मीटर के दायरे में एक और मस्जिद होने की जानकारी सुप्रीम कोर्ट बेंच को दी.

पढ़ें- Imran Khan Arrest: महिला जज को दी थी धमकी, अब पूर्व पाक पीएम इमरान खान होंगे गिरफ्तार, हेलिकॉप्टर से ले जाएंगे लाहौर से इस्लामाबाद

सुप्रीम कोर्ट ने इस आधार पर लिया फैसला

सुप्रीम कोर्ट बेंच ने मस्जिद को कैंपस से हटाने का फैसला लेने में एक और प्वॉइंट को अहम माना है. बेंच के मुताबिक, मस्जिद सरकारी पट्टे की जमीन पर है और उसका अनुदान साल 2002 में ही रद्द हो चुका है. साल 2012 में भूमि की बहाली की पुष्टि हो चुकी है. इसलिए याचिकाकर्ता उस पर कानूनी दावा नहीं कर सकते. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर. 

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement