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'Delhi Liquor Policy Scam में AAP सबसे बड़ी लाभार्थी' Arvind Kejriwal की याचिका पर ED ने दिया हाई कोर्ट में जवाब

Delhi Liquor Policy Scam: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर प्रवर्तन निदेशालय से जवाब मांगा गया था

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Delhi Liquor Policy Scam: दिल्ली शराब नीति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली हाई कोर्ट के सामने उस याचिका पर अपना जवाब दाखिल कर दिया है, जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है. केजरीवाल लगातार इस मामले में अपनी गिरफ्तारी को अवैध बता रहे हैं. उन्होंने ईडी द्वारा इस मामले में गिरफ्तारी के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में याचिका दाखिल की थी, जिस पर ईडी को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए गए थे. ईडी ने मंगलवार शाम को अपना जवाब दाखिल किया है, जिसमें जांच एजेंसी ने बताया है कि इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने की जरूरत क्यों पड़ी है? जांच एजेंसी ने आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) को इस घोटाले की सबसे बड़ी लाभार्थी बताया है. साथ ही कहा है कि आप ने अपने नेशनल कनवेनर अरविंद केजरीवाल के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग को अंजाम दिया है. 

पार्टी ने गोवा चुनाव में इस्तेमाल किया पैसा

ईडी ने दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा की बेंच के सामने अपना जवाब दाखिल किया है. इस जवाब में पूरे घोटाले में AAP और अरविंद केजरीवाल की भूमिका के बारे में बताया है. जांच एजेंसी ने हाई कोर्ट को बताया है कि दिल्ली शराब घोटाले (Delhi Liquor Scam) के अपराध के जरिये मिली संपत्ति की सबसे बड़ी लाभार्थी AAP थी, जिसने घोटाले से मिली करीब 45 करोड़ रुपये की रकम को गोवा विधानसभा चुनाव 2022 में अपने प्रचार अभियान में इस्तेमाल किया था.

केजरीवाल के जरिये की है पार्टी ने मनी लॉन्ड्रिंग

ईडी ने हाई कोर्ट को बताया है कि AAP एक राजनीतिक दल है, जो जनप्रतिनिधित्व कानून-1951 की धारा 29-ए के तहत व्यक्तियों के संघ के तौर पर रजिस्टर्ड है. आप ने अरविंद केजरीवाल के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध किया है, जो PMLA 2002 की धारा 70 के तहत अपराध के दायरे में आता है. ईडी ने कहा कि केजरीवाल को कई बार इस केस की जांच में सहयोग करने के मौके दिए गए हैं. ईडी ने केजरीवाल को इस मामले में 9 बार समन भेजा था, लेकिन उन्होंने जानबूझकर हर बार समन की अनदेखी की और कमजोर तर्क देते हुए जांच में शामिल होने से इंकार कर दिया.

कल फिर चलेगी इस मामले में सुनवाई

जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने इस मामले में बुधवार (3 अप्रैल) को भी सुनवाई जारी रखने का निर्णय लिया है. जस्टिस शर्मा ने आगे कहा कि अदालत इस मामले में केजरीवाल तत्काल रिहा किए जाने के लायक है या नहीं. इस बारे में निर्णय तक पहुंचने के लिए फैक्ट्स का पूरा ध्यान रख रही है. कोर्ट को याचिका में उठाए गए मुद्दों पर निर्णय लेना होगा, क्योंक वे याचिकाकर्ता (केजरीवाल) की तत्काल रिहाई की मांग करने वाले सीनियर एडवोकेट्स की दलीलों का आधार हैं. 

केजरीवाल के वकील ने कही ये बात

इससे पहले केजरीवाल की तरफ से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें पेश कीं. उन्होंने कहा कि एक मौजूदा मुख्यमंत्री को एक सप्ताह पहले आदर्श आचार संहिता के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया. समान अवसर और स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव ही लोकतंत्र का दिल हैं. यदि आप इस समान अवसर को बाधित करने के लिए कुछ करते हैं तो यह लोकतंत्र के दिल पर आघात करने के समान है. सिंघवी ने कहा कि मेरी मुवक्किल को रिहा कर दिया जाए, क्योंकि उनकी गिरफ्तारी का आधार ही दोषपूर्ण है.

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