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Bihar EWS Quota: बिहार में सवर्ण गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण, अगड़ों के लिए नीतीश सरकार का बड़ा फैसला

Bihar News: बिहार में न्यायिक सेवा में सवर्णों के लिए 10 फीसदी EWS कोटा लागू किया गया है. जातीय सर्वे के जरिये दलित और पिछड़ों को लुभाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह बड़ा दांव माना जा रहा है.

Bihar EWS Quota: बिहार में सवर्ण गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण, अगड़ों के लिए नीतीश सरकार का बड़ा फैसला

CM Nitish Kumar

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डीएनए हिंदी: Bihar EWS Reservation Updates- बिहार में जातीय सर्वे का रिजल्ट घोषित करने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को एक और बड़ा फैसला किया है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट बैठक में बिहार न्यायिक सेवा में 10 फीसदी EWS कोटा को मंजूरी दी गई. यह आरक्षण समाज के सामान्य वर्ग यानी सवर्ण जातियों के आर्थिक रूप से कमजोर युवाओं को मिलेगा. इसके लिए बिहार उच्च न्याय सेवा संशोधन नियमावली 1951 और बिहार असैनिक सेवा न्याय शाखा भर्ती नियमावली 1955 में संशोधन को मंजूरी दी गई है. इनकी जगह अब बिहार उच्च न्याय सेवा संशोधन नियमावली 2023 और बिहार असैनिक सेवा न्याय शाखा भर्ती संशोधन नियमावली 2023 लागू होंगी, जिन्हें कैबिनेट ने स्वीकृत कर दिया है. कैबिनेट बैठक में कुल 14 एजेंडे को मंजूरी दी गई है.

बिहार में हैं 15 फीसदी सामान्य वर्ग

बिहार जातीय सर्वे (Bihar Caste Census) के आंकड़ों के हिसाब से राज्य में कुल 15.52 फीसदी सामान्य वर्ग की आबादी है. राज्य सरकार ने सोमवार को महात्मा गांधी जयंती पर जातीय जनगणना के आंकड़े जारी किए थे. जातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य की आबादी 13 करोड़ से ज्यादा आंकी गई है. राज्य में सबसे ज्यादा संख्या में अत्यंत पिछड़ा वर्ग यानी EBC जातियां आंकी गई हैं. इनकी संख्या 36.01 फीसदी है. इसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग यानी OBC की संख्या 27 फीसदी है, जबकि अनुसूचित जाति (SC) 19.65 फीसदी और अनुसूचित जनजाति (ST) महज 1.68 फीसदी हैं. सामान्य वर्ग यानी सवर्ण जातियों की संख्या 15.52 फीसदी हैं.

अगड़ों को आरक्षण माना जा रहा नीतीश का बड़ा दांव

कैबिनेट बैठक के बाद सामान्य यानी सवर्ण वर्ग के युवाओं को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की जानकारी कैबिनेट सचिव एस. सिद्धार्थ ने मीडिया को दी. इसे नीतीश कुमार सरकार का बड़ा दांव माना जा रहा है. इससे पहले जातीय जनगणना को लेकर सवर्ण जातियों में असुरक्षा की भावना होने का मुद्दा उठाया जा रहा था. इससे यह माना जा रहा था कि भाजपा का कोर वोटर कहलाने वाली सवर्ण जातियों में जो थोड़ा-बहुत वोट नीतीश की जदयू और लालू प्रसाद यादव की राजद को मिलता है, वो भी भगवा दल के खेमे में खिसक सकता है. जातीय जनगणना में करीब 15 फीसदी से ज्यादा संख्या पाए जाने के कारण यह वर्ग जीत-हार तय करने वाला तो साबित नहीं हुआ, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि सवर्णों की यह संख्या नजदीकी अंतर वाले परिणाम में अहम साबित हो सकती है. इसी कारण अत्यंत पिछड़े वर्ग व महादलित का मुद्दा उठाने वाले नीतीश इस वर्ग को नाराज नहीं करना चाहते हैं. इसीलिए आर्थिक आरक्षण का पासा फेंका गया है. यह भी माना जा रहा है लोकसभा चुनाव से पहले कुछ और नौकरियों में भी नीतीश EWS कोटा लागू कर सकते हैं.

केंद्र सरकार पहले ही दे रही EWS कोटा

सवर्ण वर्ग को शांत रखने के लिए EWS कोटा यानी आर्थिक कमजोर वर्ग को आरक्षण सबसे पहले केंद्र सरकार ने दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने साल 2019 में EWS Quota लागू किया था. इसमें सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को सरकारी नौकरी और स्कूल-कॉलेज में एडमिशन को लिए आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण दिया गया था. यह व्यवस्था 103वें संविधान संशोधन के जरिये की गई थी. यही आरक्षण अब बिहार सरकार ने अपने यहां राज्य स्तर की न्यायिक सेवा में लागू किया है.

क्या है EWS और कौन आते हैं दायरे में

सामान्य वर्ग के वो लोग, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, उन्हें Economically Weaker Section (EWS) के दायरे में माना जाता है. इस सेक्शन की परिकल्पना उस विरोध के चलते की गई थी, जिनमें सामान्य वर्ग के गरीब परिवार के युवाओं के मुकाबले महज आरक्षण के कारण अनुसूचित जाति-जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के समृद्ध परिवारों के युवाओं को प्राथमिकता मिलने को गलत बताया जाता रहा है. ईडब्ल्यूएस कोटे में सामान्य वर्ग के वही परिवार शामिल हैं, जिनकी सालाना पारिवारिक आय 8 लाख रुपये से कम है. इन्हें ही 10 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा. 

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