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बिहार सरकार इस महीने प्रदान करेगी हिंदी सेवा सम्मान, लेखिका गीताश्री को मिला विद्याभारती पुरस्कार

Bihar News: गीताश्री वरिष्ठ पत्रकार रह चुकी हैं. उन्हें निर्भीक पत्रकारिता का रामनाथ गोयनका अवॉर्ड भी मिल चुका है. अब बिहार सरकार ने भी उन्हें एक उपन्यास के लिए सम्मानित करने का फैसला किया है.

बिहार सरकार इस महीने प्रदान करेगी हिंदी सेवा सम्मान, लेखिका गीताश्री को मिला विद्याभारती पुरस्कार

Writer Geetashree को इसी किताब के लिए सम्मानित किया जा रहा है.

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डीएनए हिंदी: बिहार सरकार हिंदी सेवा के लिए राज्य की तरफ से दिए जाने वाले सम्मान इस महीने के अंत में प्रदान करेगी. साल 2021-22 के लिए 14 साहित्यकारों व एक संस्था को सम्मानित किया जाएगा, जिनमें डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को डॉ. राजेंद्र प्रसाद शिखर सम्मान प्रदान किया जाएगा. यह हिंदी सेवा के लिए राज्य की तरफ से दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है. वरिष्ठ पत्रकार व लेखिका गीताश्री को भी उनके उपन्यास वाया मीडिया - एक कोरेस्पोंडेंट की डायरी के लिए विद्यापति पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. ये सम्मान हर साल बिहार सरकार के राजभाषा विभाग की तरफ से हिंदी सेवी सम्मान एवं पुरस्कार योजना के तहत दिए जाते हैं, जिन्हें साहित्य जगत में बेहद सम्मान की नजर से देखा जाता है. इन पुरस्कारों के लिए नामों का चयन निर्णायक मंडल करता है. राजभाषा विभाग जुलाई के अंत में साल 2021-22 और 2022-23, दोनों साल के पुरस्कार विजेताओं का सम्मान समारोह एक साथ आयोजित करने की तैयारी कर रहा है.

रामनाथ गोयनका अवॉर्ड भी पा चुकी हैं गीताश्री

पेशे से पत्रकार रह चुकीं 57 वर्षीय गीताश्री अब जानीमानी साहित्यकार हैं. कहानी, कविता और लेख लिखने वाली गीताश्री को झारखंड और छत्तीसगढ़ से आदिवासी लड़कियों की तस्करी पर रिपोर्टिंग के लिए साल 2008-09 में रामनाथ गोयनका सर्वश्रेष्ठ हिंदी पत्रकार पुरस्कार भी मिल चुका है, जो निर्भीक पत्रकारिता के लिए दिया जाता है. बिहार के मुजफ्फरपुर में 31 दिसंबर 1965 को जन्मीं गीताश्री दूरदर्शन समेत कई जाने-माने संस्थानों में रिपोर्टर से संपादक तक की भूमिका में रही हैं. 

हर विषय पर रही है गीताश्री की अच्छी पकड़

गीताश्री की पकड़ पत्रकारिता के कारण हर तरह के विषय पर रही है, लेकिन वे खासतौर पर राजनीति से लेकर साहित्य, सिनेमा, कला, संस्कृति, स्त्री विमर्श और सामाजिक मसलों पर लिखने की विशेषज्ञ मानी जाती हैं. उनके उपन्यास हसीनाबाद, वाया मीडिया–एक रोमिंग कोरोस्पोंडेंट की डायरी, राजनटनी, अम्बपाली, कैद-बाहर और कहानी संग्रहों प्रार्थना के बाहर, स्वप्न, साज़िश और स्त्री, डाउनलोड होते हैं सपने, लेडीज सर्कल आदि को बेहद तारीफ मिली है. आदिवासी लड़कियों की तस्करी पर आधारित शोध रिपोर्ट सपनों की मंडी और बैगा जनजाति की गोदना कला पर आधारित शोध रिपोर्ट देहराग को भी जमकर चर्चा मिली है. उन्हें तमाम सम्मान मिल चुके हैं.

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