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DNA TV Show: मणिपुर पर हंगामा, भीलवाड़ा पर चुप्पी, क्यों खल रही गठबंधन INDIA की चुप्पी?

राजस्थान के भीलवाड़ा में जो कुछ हुआ है, उस पर कांग्रेस ने चुप्पी साध रही है. विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA ने भी चुप्पी साधी है. अब इन पार्टियों की सलेक्टिव चुप्पी को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

DNA TV Show: मणिपुर पर हंगामा, भीलवाड़ा पर चुप्पी, क्यों खल रही गठबंधन INDIA की चुप्पी?

DNA TV Show.

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डीएनए हिंदी: संसद का मानसून सत्र चल रहा है लेकिन दोनों सदनों में मणिपुर को लेकर जमकर हंगामा बरपा है. 19 जुलाई को मणिपुर से महिलाओं के साथ बदसलूकी और हैवानियत का जो वीडियो सामने आया, उसने हर किसी की आत्मा को झकझोर दिया. एक संवेदनशील इंसान होने के नाते ये ज़रूरी भी है कि हम ऐसी घटनाओं से न सिर्फ प्रभावित हों, बल्कि इनका विरोध भी करें. मणिपुर के वीडियो पर जमकर सियासत भी हुई है. विपक्ष प्रधानमंत्री से जवाब मांग रहा है. संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सवाल उठाए जा रहे हैं लेकिन अफसोस इस बात का है कि इस हंगामे से नेताओं की सियासत भले ही चमक रही हो लेकिन महिलाओं का उससे कोई भला नहीं हो रहा है. न तो उनके साथ होने वाली हैवानियत रुक रही है और न ही उनके खिलाफ होने वाले अपराध. सौरभ राज जैन के साथ जानिए कैसे इस देश में महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है.

राजस्थान की त्रासदी क्यों नहीं लोगों को आ रही नजर?
राजधानी दिल्ली से करीब साढ़े पांच सौ किलोमीटर दूर, राजस्थान के भीलवाड़ा में 14 वर्ष की एक नाबालिग बच्ची को कोयला भट्ठी में जिंदा जलाने का मामला सामने आया है. आशंका है कि हैवानों ने पहले उसके साथ गैंगरेप किया और फिर सबूत मिटाने के लिए उसे कोयला बनाने वाली एक भट्ठी में जिंदा जला दिया. आग में बच्ची का पूरा शरीर जल कर कोयला बन गया. सिर्फ उसके पैर का एक कड़ा रह गया और राख में मिले चांदी के इस कड़े से ही पूरे मामले का खुलासा हुआ.

ये उस राजस्थान की कहानी है, जो रेप के मामलों में पूरे देश में नंबर वन है. लेकिन शायद ये आंकड़ें और भीलवाड़ा की ये तस्वीरें गहलोत सरकार को नज़र नहीं आएंगी. भीलवाड़ा की ये तस्वीरें उनके सियासी एजेंडे में फिट नहीं बैठतीं. लेकिन हमने इस घटना पर एक रिपोर्ट तैयार की है. ये रिपोर्ट सलेक्टिव अप्रोच रखने वाले नेताओं को जरूर देखनी चाहिए जिनके लिए रेप, और महिलाओं के साथ होने वाले अपराध सियासी मुद्दों से ज्यादा कुछ नहीं है.  

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भट्ठी में जिंदा जला दी गई 14 साल की बच्ची
जंगल में जल रही भट्ठियों की इन तस्वीरों में, पहली नज़र में आपको कुछ भी अलग या असामान्य नहीं लगेगा. लेकिन ये भट्ठी एक ऐसे हादसे की गवाह है, जिसे सुन कर आपकी रूह भी कांप उठेगी. इस भट्ठी में 14 वर्ष की एक बच्ची को जिंदा जला दिया गया. जानकारी के मुताबिक बच्ची बुधवार सुबह 8 बजे, बकरियां चराने के लिए जंगल की तरफ गई थी. देर शाम तक भी जब बच्ची नहीं लौटी तो परिजनों ने उसे ढूंढना शुरू किया. बच्ची की तलाश मं जब ग्रामीण जंगल में पहुंचे तो उन्हे कोयला बनाने वाली एक भट्ठी जलती नजर आई. बारिश के सीजन में आम तौर पर ये भट्ठियां बंद रहती हैं. शक होने पर जब ग्रामीण भट्ठी के पास पहुंचे तो उन्हे वहां बच्ची की चप्पलें नजर आईं. यही नहीं राख के ढेर में चांदी का एक कड़ा और हड्डियों के टुकड़े भी मिले. ये वही कड़ा था, जिसे बच्ची ने अपने पैर में पहना था. शक होने पर ग्रामीणों ने रात में ही कुछ आरोपियों को पकड़ लिया, जिन्हें बाद में पुलिस को सौंप दिया गया. परिजनों ने हत्या से पहले बच्ची के साथ गैंगरेप की आशंका भी जताई है.

घटना का पता चलते ही स्थानीय लोग भड़क गए और प्रदर्शन शुरू कर दिया. बाद में पुलिस और प्रशासन के सीनियर अधिकारी मौके पर पहुंचे और हत्यारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया. मामले की गंभीरता को देखते हुए फॉरेंसिक टीम भी मौके पर पहुंची और घटना से जुड़े सबूत जुटाए. पुलिस ने सभी दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ़्तार करने और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया है.

राजस्थान से आ रहे रेप के सबसे ज्यादा केस
NCRB के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में पूरे देश में बलात्कार के 31 हजार 6 सौ सतत्तर मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें 6,377 मामले तो सिर्फ़ राजस्थान में सामने आए थे. इसमें भी 1,453 मामले ऐसे थे, जिसमें पीड़िता नाबालिग थीं. रेप के मामले में दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश था, जहां बलात्कार के 2,947 मामले दर्ज किए गए. वहीं वर्ष 2021 में उत्तरप्रदेश में दुष्कर्म के 2,8452 हज़ार 8 सौ पैंतालिस मामले सामने आए थे. महाराष्ट्र में बलात्कार के 2,496 मामले दर्ज किए गए. NCRB के अनुसार वर्ष 2021 में असम में रेप के 1,737, दिल्ली में रेप के 1,250 केस दर्ज किए गए थे. 

NCRB की तरफ़ से जारी किए गए ये आंकड़े बताते हैं कि राजस्थान में महिलाओं के साथ अपराध और दुष्कर्म के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. और इन्ही बढ़ते मामलों की वजह से राजस्थान रेप के मामलों में बीते तीन वर्षों से पहले नंबर पर है. ये एक ऐसा रिकॉर्ड है, जिस पर राजस्थान सरकार को शर्म आनी चाहिए. लेकिन शर्म जैसे शब्द शायद सियासत के शब्दकोष में होते ही नहीं है.

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राजस्थान के मंत्री शांति धारीवाल ने रेप पर एक ऐसा बयान दिया था, जिसे सुनकर लोग सन्न रह जाएंगे.जिन आंकड़ों पर सरकार को शर्म से डूब मरना चाहिए था, वो आंकड़े राजस्थान के मंत्री महोदय के लिए मर्दानगी का प्रतीक हैं. सिर्फ़ मंत्री ही नहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी रेप और रेप के बाद होने वाली हत्याओं पर अजीबो-ग़रीब बयान दे चुके हैं. उन्होने कहा था कि अपराधी लड़कियों की रेप के बाद हत्या इसलिए कर देते हैं, क्योंकि उन्हे सज़ा का डर होता है. 

खल रही है कांग्रेस और INDIA गठबंधन की चुप्पी

हालांकि भीलवाड़ा की घटना सामने आने के बाद कांग्रेस ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली और इसीलिए अब बीजेपी गहलोत सरकार पर ही नहीं कांग्रेस पर भी हमलावर है. बीजेपी की तरफ़ से क्या कहा गया. भीलवाड़ा की ये घटना बुधवार की है लेकिन ट्विटर पर सक्रिय रहने वाले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ से देर शाम तक इस घटना पर कुछ नहीं कहा गया. उन्होने हरियाणा की क़ानून व्यवस्था पर मनोहर लाल सरकार पर तो सवाल उठाए, लेकिन भीलवाड़ा पर एक शब्द नहीं लिखा. 

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और राहुल गांधी की ट्विटर वॉल का भी यही हाल रहा. बात कांग्रेस के शासन वाले राजस्थान की थी, इसलिए उनकी तरफ़ से भी इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली गई. कांग्रेस ही नहीं, भीलवाड़ा पर विपक्षी गठबंधन इंडिया के नेता भी खामोश हैं. इनमें से किसी को भी इतना वक़्त नहीं मिला कि वो एक नाबालिग़ लड़की के साथ हुए अपराध पर आवाज़ भी उठा सकें.  इनकी ये चुप्पी इसलिए भी हैरान करती है, क्योंकि ये नेता मणिपुर में महिलाओं से बदसलूकी के मुद्दे पर काफ़ी एक्टिव हैं और केंद्र सरकार से जवाब भी मांग रहे हैं किन इनमें से किसी ने भी राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार से सवाल पूछने की दिलेरी नहीं दिखाई.

क्यों विपक्ष ने साधी है चुप्पी?
इस वजह का नाम है सियासत. वो सियासत, जो महिला सुरक्षा के मुद्दे पर भी नेताओं को सिलेक्टिव बना देती है. वो अपनी सुविधानुसार तय करते हैं, कि उन्हे कब और किस घटना पर प्रदर्शन करना है और किस घटना पर चुप्पी साध लेनी है. यही सेलेक्टिव एप्रोच महिलाओं की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. अगर हमारे नेता वाकई महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं, तो उन्हे ये सेलेक्टिव एप्रोच छोड़नी होगी और ग़लत को ग़लत कहने की हिम्मत भी जुटानी होगी फिर चाहे वो किसी भी पार्टी के हों. किसी भी विचारधारा के हों.

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