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'कूनो में सड़ा मांस खाने से हो रही चीतों की मौत,' पूर्व डकैत ने लगाया आरोप, छोड़ा चीता मित्र का पद

पूर्व डकैत रमेश सिकरवार, कूनो में चिता मित्र के तौर पर काम कर रहे थे. उन्होंने बड़ा आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि डॉक्टर और अधिकारी सभी लापरवाह हैं.

'कूनो में सड़ा मांस खाने से हो रही चीतों की मौत,' पूर्व डकैत ने लगाया आरोप, छोड़ा चीता मित्र का पद

पूर्व डकैत रमेश सिकरवार बने हैं चीता मित्र.

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डीएनए हिंदी: कूनो नेशनल पार्क में नमीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों की असमय मौत हो रही है. चीतों की सुरक्षा के लिए तैनात चीता-मित्र पूर्व डकैत रमेश सिकरवार ने अपना पद छोड़ दिया है. उन्होंने अधिकारी और डॉक्टरों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि कूनो पार्क में चीतों को सड़ा-गड़ा मांस खिलाया जा रहा है. उनका साफ कहना है कि लापरवाही की वजह से चीते जान गंवा रहे हैं.

चीता मित्र रमेश सिकरवार का कहना है कि चीतों को क्वारंटाइन बाड़ों में 2 से 3 दिनों तक भूखा रखा जाता है, भूख की वजह से वे सड़ा-गला मांस खा लेते हैं और बीमार हो जाते हैं. चीतों की मौत की असली वजह यही है. भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीता मित्र एक के बाद एक हो रही चीतों की मौत पर दुखी हैं इसलिए अपना पद छोड़ रहे हैं. 

कौन हैं रमेश सिकरवार?
रमेश सिकरवार पूर्व डकैत हैं. कूनो नेशनल पार्क में चीतों की सुरक्षा के लिए करीब 90 गांवों के 457 लोगों को चीता मित्र बनाया गया था. रमेश सिकरवार का नाम जब सामने आया तो अचानक लोग उनके उनके अतीत का जिक्र करने लगे. उन्होंने 70 से ज्यादा हत्याएं की थीं. उनका कहना है कि लोग चीता मित्र का पद छोड़ रहे हैं.

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क्या-क्या अधिकारियों पर लगाए आरोप?
चीता मित्र रमेश सिकरवार का कहना है कि पहले चीतों को ताजा मांस नहीं मिल रहा है. चीता मित्रों को अपने खर्चे पर जंगल में बैठक के लिए जाना होता है. उन्हें नाश्ता कराकर, फोटो खिंचाकर निपटा दिया जाता है. उनकी सूचनाओं पर अधिकारी एक्शन नहीं लेते हैं. चीतों को पार्क में बासी मांस खिलाया जाता है. अगर चीता मित्रों का ख्याल रखा जाए तो वे किसी भी कीमत पर उन्हें पार्क से बाहर न निकलने दें. 

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अब तक कितने चीतों की हो चुकी है मौत?
भारत में अब तक कुल 9 चीतों की मौत हो चुकी है. इसे लेकर तरह-तरह के दावे किए जाते हैं. चीतों की मौत की वजह अभी तक पता नहीं चल सकी है. ज्यादातर एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीते भारत के जंगलों में सर्वाइव नहीं कर पा रहे हैं.

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