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मेइती-कुकी से मुलाकात, उग्रवादियों पर नजर, हिंसा का जायजा, क्या अमित शाह संभालेंगे मणिपुर के हालात?

अमित शाह, म्यांमार सीमा पर स्थित मोरेह जाने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं वह सुरक्षा उपायों की समीक्षा करेंगे और हालात का जायजा लेंगे.

मेइती-कुकी से मुलाकात, उग्रवादियों पर नजर, हिंसा का जायजा, क्या अमित शाह संभालेंगे मणिपुर के हालात?

मणिपुर में अमित शाह की अहम बैठक.

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डीएनए हिंदी: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) बुधवार को मणिपुर के तेंगनौपाल जिले में भारत-म्यांमा सीमा के निकट स्थित मोरेह शहर का दौरा करने वाले हैं. गृहमंत्री का यह दौरा बेहद खास है. उम्मीद जताई जा रही है कि मणिपुर हिंसा का एक हल निकलेगा और विद्रोह की लहर शांत होगी.

अमित शाह सुरक्षा उपायों की समीक्षा करने के साथ ही कुकी समुदाय के नागरिक समाज संगठनों से भी मुलाकात करेंगे. सेना से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी है.

सूत्रों के मुताबिक सोमवार की रात को विमान से यहां पहुंचे अमित शाह दोपहर में कांगपोकपी जिले में जाएंगे और कई समूहों से बातचीत करेंगे. अधिकारियों ने कहा कि इस बीच उग्रवादियों तथा सुरक्षा बलों के मध्य काकचिंग जिले के सुगनू में रातभर गोलीबारी हुई. 

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सांगोलमांग में हुई गोलीबारी, नहीं थम रही हिंसा

अधिकारियों के मुताबिक इंफाल ईस्ट जिले के सागोलमांग में भी गोलीबारी की घटना हुई और उग्रवादियों के हमले में एक आम नागरिक घायल हो गया.

क्या अमित शाह बातचीत से निकाल पाएंगे हल?

मणिपुर में शांति बहाली के प्रयासों के तहत केंद्रीय गृह मंत्री ने मंगलवार को अलग मेइती और कुकी समूहों से मुलाकात की. उन्होंने शांति कायम करने के लिए भरोसा दिया और कहा कि संकटग्रस्त राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए काम करेंगे. 

कैसे संभलेगें मणिपुर में हालात?

गृह मंत्री ने सर्वदलीय बैठक भी की थी. केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन कुमार डेका इस यात्रा में शाह के साथ हैं. तीन मई को मणिपुर में जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद गृह मंत्री पहली बार पूर्वोत्तर राज्य का दौरा कर रहे हैं. 

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1 महीने से मणिपुर में भड़की है हिंसा

मणिपुर करीब एक महीने से जातीय हिंसा से प्रभावित है और राज्य में इस दौरान झड़पों में इजाफा देखा गया है. कुछ सप्ताह की खामोशी के बाद गत रविवार को सुरक्षा बलों एवं उग्रवादियों के बीच गोलीबारी भी हुई. अधिकारियों ने बताया कि संघर्ष में मरने वालों की संख्या बढ़कर 80 हो गई है. 

क्यों भड़की थी हिंसा?

मणिपुर में जनजातीय एकता मार्च के बाद पहली बार जातीय हिंसा भड़क उठी. अनुसूचित जाति के दर्जे की मांग को लेकर मेइती समुदाय ने तीन मई को प्रदर्शन किया था जिसके बाद ‘जनजातीय एकता मार्च’ का आयोजन किया था. 

मणिपुर में रहा है हिंसा का पुराना इतिहास

आरक्षित वन भूमि से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर तनाव के चलते, पहले भी हिंसा हुई थी, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए थे. मैतेई समुदाय मणिपुर की आबादी का करीब 53 प्रतिशत है और समुदाय के अधिकतर लोग इंफाल घाटी में रहते हैं. नगा और कुकी समुदाय के लोगों की संख्या कुल आबादी का 40 प्रतिशत है और वे पर्वतीय जिलों में रहते हैं. 

सेना-सुरक्षाबलों ने संभाली कमान

भारतीय सेना और असम राइफल्स की लगभग 140 टुकड़ियां पूर्वोत्तर के राज्य में स्थिति सामान्य करने के प्रयास में जुटी हैं. हर टुकड़ी में 10,000 कर्मी होते हैं. इसके अलावा अन्य अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को भी तैनात किया गया है. (इनपुट: भाषा)

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