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Cauvery water dispute: मुंह में मरे चूहे रखकर कर्नाटक से पानी मांग रहे तमिलनाडु के किसान, जानिए वजह

Cauvery water dispute: तमिलनाडु के किसान मांग कर रहे हैं कि कर्नाटक सरकार कावेरी नदी का पानी छोड़े. उनकी वजह से तमिलनाडु के किसानों की जमीनें सूखी रह जा रही हैं.

Cauvery water dispute: मुंह में मरे चूहे रखकर कर्नाटक से पानी मांग रहे तमिलनाडु के किसान, जानिए वजह

Tamilnadu Farmers

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डीएनए हिंदी: कावेरी नदी के पानी को लेकर तमिलनाडु के किसान एक बार फिर धरने पर बैठे हैं. तिरुचिरापल्ली में किसानों ने कर्नाटक सरकार के रुख पर नाराजगी जताई और कहा कि विरोध में मरे हुए चूहों को अपने मुंह में रख लिया. किसान मांग कर रहे हैं कि अगर उन्हें पानी नहीं मिला तो उनकी स्थिति बदहाल होगी.

तमिलनाडु के किसानों का कहना है कि अगर कर्नाटक कावेरी का पानी नहीं छोड़ता है तो किसान जल संकट की वजह से धान की खेती नहीं कर पाएंगे. उन्हें कर्नाटक ने जानबूझकर गरीबी की ओर धकेल दिया है. किसानों का कहना है कि उन्हें जिंदा रहने के लिए चूहे का मांस खाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. 

यह पहली बार नहीं है कि किसानों ने विरोध का यह तरीका अपनाया है. साल 2017 में, 65 वर्षीय चिन्नागोडांगी पलानीसामी ने तमिलनाडु में किसानों की दुर्दशा पर सरकार का ध्यान खींचने के लिए अपने दांतों के बीच जिंदा चूहे को दबोच लिया था.

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कर्नाटक में भी हो रहा विरोध प्रदर्शन
सुप्रीम कोर्ट की ओर से कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण और विनियमन समिति के आदेशों में हस्तक्षेप करने से इनकार करने के बाद कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन जारी है. इन आदेशों में कर्नाटक को पड़ोसी तमिलनाडु को 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश दिया गया था.

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क्या कह रहे हैं कर्नाटक के किसान?
किसान संगठन और कन्नड़ समर्थक संगठन कावेरी बेसिन जिलों मैसूर, मांड्या, चामराजनगर, रामनगर, बेंगलुरु और राज्य के अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वे राज्य सरकार से पड़ोसी राज्य के लिए पानी नहीं छोड़ने का आग्रह कर रहे हैं. कर्नाटक का कहना है कि वह जल छोड़ने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि मानसून में कम बारिश के कारण पानी की कमी है. कावेरी बेसिन इलाकों में खड़ी फसल की सिंचाई और पेयजल संबंधी आवश्यकताओं के कारण उसे खुद इसकी जरूरत है.

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