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हरियाणा के इस गांव की जमीन अंग्रेजों ने कर दी थी नीलाम, 165 साल बाद भी हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं ग्रामीण

हरियाणा में एक ऐसा गांव है जहां के लोगों ने आजादी की लड़ाई में न सिर्फ जान की कुर्बानी दी बल्कि उनकी जमीन भी नीलाम कर दी गई. आज भी ये लोग अपनी जमीन का मालिकाना हक  लेने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. पढ़ें हमारे रिपोर्टर नवीन शर्मा की रिपोर्ट...

हरियाणा के इस गांव �की जमीन अंग्रेजों ने कर दी थी नीलाम, 165 साल बाद भी हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं ग्रामीण

रोहनात में धरने पर बैठ ग्रामीण

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डीएनए हिन्दी: हरियाणा के भिवानी जिला में एक ऐसा गांव हैं जहां लोगों ने स्वतंत्रता दिवस के दिन तिंरगा नहीं फहराया. ऐसा नहीं कि ये लोग राष्ट्रद्रोही हैं. ये लोग 165 साल पुराने हक की एक लड़ाई लड़ रहे हैं. जिले के रोहनात गांव वालों ने 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की थी. इस वजह से अंग्रेजों ने उनकी जमीन नीलाम कर दी. ये लोग गांव की जमीन का मालिकाना हक लेने के लिए आज भी संघर्ष कर रहे हैं.

4 साल पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इस गांव में तिरंगा फहराते हुए कहा था कि गांव की जमीन गांव के नाम की जाएगी. लेकिन, ग्रामीणों का कहना है कि 4 साल बीतने के बाद भी सरकार ने उनकी कोई मांग पूरी नहीं की. 

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अपनी मांगों को लेकर रोहनातवासी 10 अगस्त से धरने पर बैठे हैं. 17 अगस्त को धरन पर बैठे संतलाल की मौत भी हो गई. गांव वाले मृतक संतलाल को शहीद घोषित करने और उनके आश्रितों को सरकारी नौकरी देने की मांग लगातार कर रहे हैं. 10 दिन बीतने के बाद भी गांव वालों ने संतलाल का अंतिम संस्कार नहीं किया है.

जिला प्रशासन उन्हें लगातार समझाने की कोशिश कर रहा है लेकिन गांव वाले मानने को तैयार नहीं है. गांव वालों ने अब शव को मुख्य सड़क पर रखकर प्रदर्शन की चेतावनी दी है.

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गांव वालों का कहना है कि रोहनात के लोगों ने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंक दिया था. बाद में अंग्रेजों ने कई लोगों को रोड रोलर से कुचल दिया था और गांव की जमीन नीलाम कर दी थी. जिस सड़क पर लोगों को कुचला गया था आज भी उसका नाम लाल सड़क है.

वहीं दूसरी तरफ बवानीखेड़ा के थाना प्रभारी संदीप शर्मा ने बताया कि कानून-व्यवस्था न बिगड़े इसके लिए पर्याप्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. हांसी की ओर जाने वाली सड़क पर नाके भी लगाए गए हैं.

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