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जब कांशीराम से हुई थी मायावती की पहली मुलाकात, ऐसा था IAS की बजाय UP की मुख्यमंत्री बनने का सफर

आज मायावती का 67वां जन्मदिन है. बसपा कार्यकर्ता प्रदेश भर में कार्यक्रम करने वाले हैं. उनका जन्मदिन जनकल्याणकारी दिवस के तौर पर BSP मना रही है.

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  • Jan 15, 2022, 08:38 AM IST

डीएनए हिंदी: 15 जनवरी 1956 को मायावती का जन्म हुआ था. उनके पिता का नाम था प्रभु दास और माता का नाम था राम रती. आज मायावती एक ऐसा नाम हैं, जिसने राष्ट्रीय राजनीति को ना सिर्फ एक नई दिशा दी बल्कि इतिहास भी रचा. उनके जन्मदिन के मौके पर उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें-

1.यूपी की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री

यूपी की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री
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देश के सबसे बड़ी आबादी वाले सूबे उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनना किसी के लिए भी आसान नहीं होता. कोई ऐसा कर पाता है तो ये अपने आप में एक अहम बात हो जाती है. मायावती इस मामले में काफी खास हैं. वह चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल कर चुकी हैं. यही नहीं इसी के साथ वह यूपी की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री बनने का इतिहास भी रच चुकी हैं. मगर ये सब हुआ कैसे, कहां से हुई इस सफर की शुरुआत? 



2.IAS ऑफिसर बनना चाहती थीं

IAS ऑफिसर बनना चाहती थीं
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मायावती ने कभी राजनीति में आने का सोचा भी नहीं था. सन् 1975 में उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कालिंदी कॉलेज से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की. सन् 1976 में उन्होंने बीएड की डिग्री ली. इसके साथ ही वह LLB भी कर रही थीं. वह एक IAS ऑफिसर बनना चाहती थीं. यूपीएससी की तैयारी कर रही थीं, हालांकि राजनीतिक मुद्दों पर उनके अपने विचार थे, जिन्हें वह अक्सर मंचों पर जाहिर भी करती रहती थीं 



3.एक भाषण ने बदल दी थी जिंदगी

एक भाषण ने बदल दी थी जिंदगी
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बताया जाता है कि केंद्र में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद मायावती ने एक भाषण दिया था. इस भाषण में उन्होंने दलितों के लिए हरिजन शब्द का इस्तेमाल करने पर आपत्ति जाहिर की थी. ये बात जब कांशीराम तक पहुंची, तो वह सीधे मायावती से मिलने उनके घर पहुंच गए थे और उन्हें अपने संगठन से जुड़ने का ऑफर दिया था. यहीं से मायावती की किस्मत बदली और उनकी जिंदगी का सफर एक नए उद्देश्य के साथ नई राह पर मुड़ गया. 



4.बन गईं लोकतंत्र का जादू

बन गईं लोकतंत्र का जादू
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बसपा से जुड़ने के बाद जून 1995 में मायावती पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं. यह अपने आप में एक ऐतिहासिक घटना थी. वह देश की पहली दलित महिला थीं, जो मुख्यमंत्री के पद पर पहुंची थी. उस वक्त प्रधानमंत्री पी.वी.नरसिम्हा राव ने उन्हें 'लोकतंत्र का जादू' कहा था. मायावती जून 1995 से अक्टूबर 1995 तक, मार्च 1997 से सितंबर 1997 तक और 2002-2003 तक तीन बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं.1997 और 2002 में वह बीजेपी के बाहरी समर्थन से मुख्यमंत्री बनीं. 2003 में बीजेपी के समर्थन वापस लेने के कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था. 
 



5.2001 में कांशीराम ने बनाया उत्तराधिकारी

2001 में कांशीराम ने बनाया उत्तराधिकारी
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इस बीच साल 2001 में बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशी राम ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था. वह साल 2003 में पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनी गईं. सन् 2012 में वह उत्तर प्रदेश की पहली मुख्यमंत्री बनीं जिसने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया. वह सन् 2007 से 2012 तक मुख्यमंत्री के पद पर रहीं. ये बतौर मुख्यमंत्री उनका चौथा कार्यकाल था. 



6.दलित आइकन के रूप में बनीं पहचान

दलित आइकन के रूप में बनीं पहचान
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मायावती को आज भी लोग एक दलित आइकन के रूप में देखते हैं. उन्हें बहनजी कहकर बुलाया जाता है. 



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