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Hindi Diwas 2023: भारत ही नहीं इस देश की भी ऑफिशियल लेंग्वेज है हिंदी, पढ़ें अपनी भाषा से जुड़ी 10 रोचक बातें

अमेरिका और जापान के विश्वविद्यालयों में 100 साल से भी ज्यादा समय से हिंदी की पढ़ाई हो रही है.

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डीएनए हिंदी: आज हिंदी दिवस (Hindi Diwas 2023) है. यूं तो हिंदी हमारे देश की आधिकारिक राजभाषा है, लेकिन इसके चाहने वाले दुनिया के कोने-कोने में बसे हुए हैं. अंग्रेजों की दासप्रथा की बदौलत कहिए या दुनिया में भारत के गौरव की बढ़ती धमक का इशारा, आपको उस देश में भी हिंदी बोलने वाले मिल जाएंगे, जहां इसके बारे में शायद आप सोचेंगे भी नहीं. अंग्रेजी और चीनी मंदारिन के बाद दुनिया में सर्वाधिक लोगों की प्रथम भाषा का दर्जा रखने वाली हिंदी की खासियत इन 10 पॉइंट्स में समझते हैं.

1. हिंदी को इसका नाम कैसे मिला?

क्या आप जानते हैं कि हम जिस भाषा को हिंदी (Hindi Diwas) कहते हैं, उसका यह नाम अपना नहीं है. कई इतिहासकारों के मुताबिक, हिंदी शब्द पर्शियन लेंग्वेज (फारसी भाषा) से निकला है. पर्शिया (अब ईरान) के लोग सिंधु नदी (Indic River) के किनारे रहने वाले लोगों को हेंडी (Hendi) कहते थे और उनकी भाषा को इंडी (Indi) कहा जाता था. यही शब्द बाद में बिगड़कर हिंदी हो गया. 

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हालांकि यह भी बता दें कि फारसी भाषा और हिंदी भाषा का मूल एक ही भाषा है. दोनों ही संस्कृत भाषा से अपभ्रंश होकर बनी हैं, जो प्राचीन भारत की भाषा थी और ईरान में मिले इस्लाम व पारसी धर्म के आने से पूर्व के हिंदू धर्म के चिह्नों से वहां की भी प्राचीन भाषा साबित होती है.

2. भारत ही नहीं फिजी की भी आधिकारिक राजभाषा

अंग्रेज भारत को गुलामी की जंजीरों में बांधने के बाद यहां से दूसरे देशों में मजदूरी के लिए दास लेकर गए. ये दास फिजी, सूरीनाम, मॉरीशस, गुयाना से लेकर दक्षिण अफ्रीका तक पहुंचाए गए. गिरमिटिया मजदूर कहे गए ये दास इन देशों में हिंदी का झंडा आज भी बुलंद किए हुए हैं. इनमें सबसे अनूठा है फिजी (Fiji), जहां हिंदी को अंग्रेजी और फिजियन (फ्रैंच भाषा का एक रूप) के साथ ही आधिकारिक राजभाषा का दर्जा बाकायदा स्थानीय संसद से हासिल है. इसे वहां हिंदुस्तानी कहा जाता है.

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हालांकि यह हिंदी हमारी हिंदी से थोड़ी अलग है और स्थानीय शब्दों से परिपूर्ण है, लेकिन इसमें भोजपुरी और अवधी भाषा की महक एकदम स्पष्ट दिखाई देती है. फिजी सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के हिसाब से वहां करीब 3.95 लाख इंडो-फिजियन लोग हिंदी बोलते हैं, जो कुल जनसंख्या का करीब 43.7% हैं.

3. दुनिया के 40 से अधिक देशों में होती है हिंदी की पढ़ाई

इसे दुनिया के ग्लोबल विलेज (Global Village) बनने का असर कहिए या भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे बड़े वैश्विक बाजार में बदलने का सफर, लेकिन दुनिया में हिंदी की पढ़ाई को भी अब अंग्रेजी या मंदारिन जितना अहम माना जाता है. इस समय दुनिया के 40 देशों के 600 से ज्यादा नामी-गिरामी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों व संस्थाओं में हिंदी पढ़ाई जा रही है.

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अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी (University of Yale) में तो साल 1815 से ही हिंदी पढ़ाई जा रही है, जबकि जापान की टोक्यो यूनिवर्सिटी में भी 100 साल से ज्यादा समय से हिंदी का अध्ययन हो रहा है.

4. दुनिया के 20 देशों में बोली जाती है हिंदी भाषा

दुनिया में हिंदी भाषा भारत के अलावा 20 अन्य देशों में भी भरपूर तरीके से बोली जाती है. दुनिया में इसे बोलने वाले करीब 75 करोड़ लोग हैं, जिनमें 53 करोड़ (2001 की जनगणना के मुताबिक) भारत में मौजूद हैं. भारत के बाद सबसे ज्यादा हिंदीभाषी नेपाल में हैं, लेकिन तीसरे नंबर पर अमेरिका का नाम देखकर शायद आप चौंक सकते हैं. अमेरिका में हिंदी 11वीं सबसे ज्यादा उपयोग की जाने वाली भाषा है, जिसे वहां करीब 6.5 लाख लोग बोलते हैं. 

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अमेरिका के अलावा यमन, युगांडा, पाकिस्तान, भूटान, बांग्लादेश, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, गुयाना, त्रिनिदाद एंड टौबेगो, सूरीनाम आदि देशों में भी हिंदी जमकर इस्तेमाल होती है. हालांकि हर जगह के हिसाब से हिंदी का रूप थोड़ा बदल जाता है यानी जरूरी नहीं कि वहां बोली जाने वाली हिंदी देवनागरी लिपि पर खरी उतर सके.

5. Goggle को भी भाती है हिंदी

हिंदी भाषा की ताकत का लोहा Goggle भी मानता है. क्या आप जानते हैं कि वेब वर्ल्ड में हिंदी हर साल करीब 94 फीसदी की रफ्तार से अपनी जगह बढ़ा रही है. वेब एड्रेस बनाने में 7 सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली भाषाओं में हिंदी भी एक है.

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6. संयुक्त राष्ट्र हिंदी में प्रसारित करता है न्यूज बुलेटिन

दुनिया का प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे शक्तिशाली संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) भी हिंदी भाषा के प्रभाव से नहीं बच सकी है. संयुक्त राष्ट्र की न्यूज विंग अपना बुलेटिन हिंदी भाषा में भी प्रसारित करती है ताकि वैश्विक आबादी के एक बड़े हिस्से तक अपनी बात पहुंचा सके.

7. भारत में भी हर साल बढ़ रहे हिंदी भाषी

शायद ये फैक्ट देखकर आप चौंक जाएं, लेकिन भारत में भी हिंदी बोलने वालों की संख्या हर साल तेजी से बढ़ रही है. दरअसल आजादी के बाद दक्षिण भारतीय राज्यों ने हिंदी से दूरी बनाए रखी, लेकिन धीरे-धीरे ग्लोबल होती दुनिया में हिंदी की बढ़ती अहमियत के कारण रोजगार की जरूरत के दबाव में दक्षिण भारत और उत्तर-पूर्वी राज्यों के लोगों ने हिंदी सीखनी शुरू की. 

साल 1971 की जनगणना में जहां भारत की 36.99% आबादी ने ही हिंदी को अपनी पहली भाषा बताया था, वहीं साल 2011 की जनगणना में यह आंकड़ा कुल आबादी का 43.63% पर पहुंच गया. फिलहाल चल रही जनगणना में इस आंकड़े के 50% की सीमारेखा छूने का अनुमान लगाया जा रहा है.

8. देश में हिंदी सबसे पहले किस राज्य ने अपनाई?

उत्तर और मध्य भारत के तकरीबन सभी राज्यों में हिंदी प्रमुख भाषा के तौर पर बोली जाती है. स्थानीय स्तर पर यह मैथिली, भोजपुरी, अवधी, खड़ी (कौरवी), हरियाणवी जैसी भाषाओं में तब्दील हो जाती है, लेकिन इसका आधार हिंदी ही रहता है. इसके बावजूद क्या आप जानते हैं कि किस राज्य ने हिंदी को सबसे पहले आधिकारिक राजभाषा का दर्जा दिया था. यह राज्य था बिहार (Bihar).

9. हिंदी में टाइपिंग की शुरुआत कब हुई?

हिंदी में टाइपिंग की शुरुआत भारत की आजादी से भी पहले शुरू हो चुकी थी. साल 1930 में हिंदी का पहला टाइपराइटर बनाया गया. इसके बाद हिंदी में लिखने वालों को मानो खुद को पेश करने की आजादी ही मिल गई.

10. विश्व हिंदी सम्मेलन से विश्व हिंदी दिवस तक

दुनिया भर में बोली जाने के बावजूद हिंदी को वैश्विक स्तर पर मान्य भाषा का दर्जा मिलने में धीरे-धीरे समय लगा है. पहला विश्व हिंदी सम्मेलन (World Hindi Conference) साल 1975 में मनाया गया, लेकिन पहला विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Diwas या World Hindi Day) साल 2006 में मनाया गया था.

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