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World Preeclampsia Day 2023: प्रेग्नेंसी में ये बीमारी मां-बच्चे दोनों के लिए है जानलेवा, जानिए क्या डायट में बदलाव करने से कम होता है खतरा

Preeclampsia प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली एक ऐसी स्थिति है, जो मां और बच्चे दोनों के लिए जानलेवा साबित होती है.  यहां जानिए क्या डायट में बदलाव कर इसके जोखिम को कम किया जा सकता है?

World Preeclampsia Day 2023: प्रेग्नेंसी में ये बीमारी मां-बच्चे दोनों के लिए है जानलेवा, जानिए क्या डायट में बदलाव करने से कम होता है खतरा

प्रेग्नेंसी में प्रीक्लेम्पसिया मां और बच्चे दोनों के लिए साबित होती है जानलेवा

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डीएनए हिंदी: हर साल 22 मई को प्रीक्लेम्पसिया डे (World Preeclampsia Day 2023) मनाया जाता है. इस  दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों में प्रीक्लेम्पसिया जैसी गंभीर बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना है. दरअसल, यह एक गंभीर बिमारी है और इसका खतरा प्रेग्नेंट महिलाओं में होता है. इसलिए इस गंभीर (Preeclampsias Risk During Pregnancy) बीमारी को लेकर प्रेग्नेंट महिलाओं को सचेत रहना बहुत जरूरी है. क्योंकि अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह बीमारी मां और बच्चे दोनों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है. 

आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से (Pregnancy Health Care) बताने वाले हैं, इस गंभीर बीमारी के बारे में साथ ही जानेंगे क्या इस बीमारी में क्या डायट भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. आइए जानते हैं... 

क्या है ये बीमारी 

दरअसल, प्रीक्लेम्पसिया गर्भावस्था के दौरान होने वाली एक ऐसी स्थिति है, जो हाई ब्लड प्रेशर और किडनी डैमेज का कारण बनती है. बता दें कि ये बीमारी हर गर्भवती महिला में नहीं होती है, लेकिन इसका खतरा जरूर बना रहता है. वहीं प्रीक्लेम्पसिया के खतरे को बढ़ाने के लिए पूरी तरह से डायट को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. क्योंकि अनहेल्दी डायट के अलावा इसके खतरे को बढ़ाने के लिए कई अन्य कारण भी हो सकते हैं.

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इसके अलावा, मोटापे को भी कुछ हद तक प्रीक्लेम्पसिया के जोखिम के रूप में देखा जाता है. हालांकि, इसके अलावा भी कई ऐसी स्थितियां हैं, जो प्रीक्लेम्पसिया के खतरे को बढ़ा देती हैं. इसमें डायबिटीज, किडनी डिजीज, क्रॉनिक हाई ब्लड प्रेशर आदि शामिल हैं. इससे इस बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है. 

इन चीजों से इस बीमारी में मिलती है राहत

इसके अलावा कुछ विटामिन और पोषक तत्व इसके जोखिम को कम करने में मदद करते हैं. साथ ही सही डायट के जरिए ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और सूजन को कम करने में भी मदद मिलती है. इसके अलावा देर से गर्भ धारण करने में प्रोबायोटिक के सेवन के सुरक्षात्मक प्रभाव हो सकते हैं, लेकिन ये अभी और शोध का विषय है.

रिसर्चर्स के मुताबिक कैल्शियम भी एक अन्य पोषक तत्व है, जो प्रीक्लेम्पसिया के जोखिम से बचाता है. लेकिन विटामिन डी के प्रीक्लेम्पसिया के जोखिम को कम करने से जुड़े होने को लेकर स्थिति साफ नहीं हैं, फिर भी गर्भावस्था के दौरान हेल्दी डायट के हिस्से के रूप में विटामिन डी लेने की सलाह दी जाती है.

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कुछ फूड्स बढ़ाते हैं इस बीमारी का खतरा

वहीं कुछ फूड्स प्रीक्लेम्पसिया के खतरे को बढ़ाते हैं, जिससे बीपी, कोलेस्ट्रॉल, सूजन और डायबिटीज पर उनका प्रभाव पड़ता है. इसमें अधिक नमक, चीनी और फैट से भरपूर डाइट प्रीक्लेम्पसिया के जोखिम से जुड़े हुए हैं और ये रेड और प्रोसेस्ड मीट, तले हुए आलू, व्हाइट ब्रेड और अचार जैसे फूड्स के अधिक सेवन से हो सकते हैं. 

प्रीक्लेम्पसिया से रोकथाम में ये फूड्स हैं फायदेमंद

शोधकर्ताओं के मुताबिक, प्रेग्नेंट महिलाओं या जो प्रेग्नेंसी प्लान कर रही हैं उनके लिए मेडिटेरेनियन डायट फायदेमंद होता है. मेडिटेरेनियन डायट में फलों, सब्जियों, फलियों और हेल्दी फैट वाले फूड्स भी शामिल हैं. वहीं प्रीक्लेम्पसिया के जोखिम को कम करने के लिए हाई सोडियम, चीनी और फैस वाले फूड आइटम्स से परहेज करना चाहिए. हालांकि महिलाओं को यह याद दिलाना जरूरी है कि ये सभी डायट जोखिम को कम कर सकते हैं, लेकिन संभावना को पूरी तरह से खत्म नहीं करते हैं 

वहीं कुछ मामलों में पहले से हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज से जूझ रही महिलाओं को प्रीक्लेम्पसिया का खतरा होगा इसकी भी कोई गारंटी नहीं है.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.) 

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